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Karwa Chauth 2022 : कब है करवा चौथ का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Karwa Chauth 2022 : कब है करवा चौथ का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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Karwa Chauth Vrat 2022 : करवा चौथ कब पड़ रहा है? पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? यह सब जानने के लिए इस समाचार को अवश्य पढ़ें।

Karwa Chauth 2022 Vrat And Pujan Vidhi : पति की लम्बी आयु के लिए महिलाएं कई तरह का व्रत रखती हैं। इन्ही व्रत में से एक है करवा चौथ का व्रत (Karwa Chouth Vrat)। इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखकर रात के समय अपने पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलती है। साथ में विधि-विधान से माता पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करने का विधान है। जिसे आगे विस्तार से बताएंगे। लेकिन इस बार करवा चौथ कब पड़ रहा है (Karwa Chauth Vrat Kab Hai)? पूजा का शुभ मुहूर्त कब है (Karwa Chouth Shubh Muhurt)? यह सब जानने के लिए इस समाचार को अवश्य पढ़ें।

कब है करवा चौथ ?

Karwa Chauth Kab Hai? पंचांगों में बताए अनुसार कार्तिक माष की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। इस बार 13 अक्टूबर 2022 को चतुर्थी तिथि में चंद्रोदयव्यापिनी मुहूर्त है। हलांकि चतुर्थी तिथि 14 अक्टूबर को भी है। लेकिन 14 अक्टूबर को कम समय के लिए होने से इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनाया जायेगा।

चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर को रात्रि 1ः58 से शुरू हो जायेगा। इसे हम इस तरह भी समझें कि 12 अक्टूबर वाली रात्रि 12 बजे के बाद 13 अक्टूबर हो जाता है। ऐसे में 13 अक्टूबर को दिन भर चतुर्थी तिथि रहेगी। दूसरे दिन यानि कि 14 अक्टूबर को दूसरे दिन भोर में 3ः09 एएम पर समाप्त होगी। पूजा व सरगी का समय 13 अक्टूबर को भोर ब्रह्मबेला 4ः56 से 6ः26 तक है।

ऐसे करें पूजा की तैयारी (Karwa Chouth Vrat Ki Taiyari Kaise Karen)

करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को चाहिए कि वह सारगी से समय के पूर्व स्नान आदि से निवृत्त हो जायें। इस बार सारगी का समय 13 अक्टूबर को भोर 4ः56 से 6ः26 तक है।

स्नान के बाद ब्रह्म मुहूर्त में मां गौरी की आराधना करते हुए बयाना निकालें और व्रत का संकल्प लें।

व्रती महिलाओं को चाहिए कि इस दिन किसी की चुगली, निंदा तथा विवाद करने से बचें।

व्रत के दौरान माता पार्वती के मंत्रो का जाप करना सर्वोत्तम बताया गया है।

व्रत के समय इस मंत्र का मन ही मन जाप करते रहें।

ओम सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

कहा गया है कि मंत्रो का जाप न हो सके तो अपना चित्त माता पार्वती पर एकाग्र करते हुए उनका ध्यान करें।

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