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सीधी : अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह के लिये साख बचाने की बड़ी चुनौती, बॉलीवुड के एक्टर अरुणोदय सिंह आ सकते है चुनाव प्रचार में

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:06 AM GMT
सीधी : अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह के लिये साख बचाने की बड़ी चुनौती, बॉलीवुड के एक्टर अरुणोदय सिंह आ सकते है चुनाव प्रचार में
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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की राजनीति में चाणक्य कहे जाने वाले अर्जुन सिंह का परिवार अपनी राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र अजय सिंह इस लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वे सीधी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में है. विधानसभा चुनाव में अजय सिंह को अपने ही गढ़ में हार का मुंह देखना पड़ा था. उनकी पैतृक सीट चुरहट उनके हाथ से निकल गई थी. ऐसे में इस चुनाव में अजय सिंह जीत हासिल करना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.

मध्यप्रदेश का विंध्याचल क्षेत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है. विंध्य क्षेत्र में सीधी, सतना, रीवा और शहडोल लोकसभा सीट आती है. इस क्षेत्र में हमेशा से ही सिंह के परिवार का दबदबा रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंह के परिवार के साथ ही प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी भी यहां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को विंध्य क्षेत्र में करारी हार देखने को मिली थी. 30 विधानसभा सीटों पर 24 सीटें भाजपा के खाते में आई थीं.

चुरहट पारंपरिक सीट से ​दादा, पिता और पुत्र सभी लड़ चुके हैं

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पिता शिवबहादुर सिंह ने अपना पहला विधानसभा का चुनाव भी चुनहट से ही लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पैतृक सीट और चुरहट के इलाकेदार होने के नाते अर्जुन सिंह यहीं से विधानसभा चुनाव लड़ते थे. अर्जुन सिंह ने अपना पहला विधायकी का चुनाव 1957 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ा. इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए.

अर्जुन सिंह ने 1991 में सतना लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद पहुंचे. पिता अर्जुन सिंह के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद उनके बेटे इस सीट से चुनाव लड़ते रहे और जीतते भी रहे. उन्होंने अपना पहला उपचुनाव 1985 में लड़ा और चुरहट से विधायक बने. हाल ही में हुए विधानसभा में अजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा. राज्य में वे नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे थे.

सतना से लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने पहुंचाया सीधी

सीधी में अजय सिंह का मुकाबला भाजपा सांसद ​रीति पाठक से है. इस बार भाजपा प्रत्याशी की स्थिति उतनी मज़बूत नहीं है. पार्टी के भीतर ही उनके खिलाफ असंतोष का माहौल है. कई नेता व कार्यकर्ता बेमन से प्रचार कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार विंध्याचल की राजनीति में दबदबा रखने वाले अजय सिंह सीधी के बजाए सतना से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी बात को नहीं मानकर उन्हें सीधी से टिकट थमा दिया. विधानसभा चुनाव में अगर अजय सिंह जीत हासिल कर लेते तो वह आज मुख्यमंत्री के बाद दूसरे पायदान पर होते.

वहीं, विंध्याचल क्षेत्र में पहली बार कांग्रेस ने नया फार्मूला अपनाया है. तीन लोकसभा सीटों पर पार्टी ने ब्राह्मण और ठाकुर उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. भाजपा ने दो सीटों पर ब्राह्मण और एक सीट पर पिछड़ा उम्मीदवार खड़ा किया है.

भाजपा की लहर में कांग्रेस आगे,कांग्रेस की सत्ता में भाजपा

​विंध्याचल का सियासी मिजाज शुरू से ही अजीब रहा है. जब मध्यप्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज होती है तो कांग्रेस इस क्षेत्र में बढ़त हासिल कर लेती है. वहीं जब कांग्रेस की लहर होती है तो भाजपा इस क्षेत्र में आगे होती है. विंध्य क्षेत्र के पिछड़ने का एक कारण यह भी रहा है. जब 2018 में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो 30 विधानसभा सीटों में से 6 सीटें हासिल हुई. इसी चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बड़े उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के साधारण उम्मीदवारों ने यहां अच्छी सफलता हासिल की.

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र व कांग्रेस के नेता अजय सिंह उर्फ राहुल भैया के नाम से पहचाने जाने वाले के लिए यह चुनाव आसान नहीं है.​​ सीधी विधानसभा में कांग्रेस ने मात्र एक सीट पर जीत हासिल की है. बीजेपी में कुछ नाराज़ लोगों में विरोध के स्वर ज़रूर है लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को होता नज़र नहीं आ रहा. विधानसभा चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी दो लाख 10 हज़ार वोट से पीछे थी. इस अंतर को पाटना अजय सिंह के सामने बड़ी चुनौती है. अगर इस चुनाव में वे हारते हैं तो पूरे वंश का राजनीति में पतन की ओर चला जाएगा. इसलिए यह चुनाव उनके लिए करो या मरो का चुनाव है.

वहीं, अर्जुन सिंह के पोते और राहुल सिंह के पुत्र अरुणोदय सिंह ने फिल्मी दुनिया को अपना करियर चुना है. वे कई फिल्मों में काम कर चुके है.

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