सीधी

सीजे के रिजल्ट में विंध्य का जलवा, रीवा से चार, सतना से दो और सीधी से एक सलेक्शन, पढि़ए सफलता की कहानी

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:09 AM GMT
सीजे के रिजल्ट में विंध्य का जलवा, रीवा से चार, सतना से दो और सीधी से एक सलेक्शन, पढि़ए सफलता की कहानी
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रीवा/सतना . मप्र हाईकोर्ट द्वारा आयोजित सिविल जज भर्ती परीक्षा 2019 के बुधवार को घोषित किए गए परिणाम में विंध्य का जलवा रहा। रीवा से चार, सतना से दो और सीधी से एक सलेक्शन हुआ। प्रदेश की टॉपर भी हमारे यहां से ही रहीं। ३०४ अंक के साथ रीवा की बेटी जसविता शुक्ला ने टॉप किया। रीवा से सतीश शुक्ला और श्रद्धा पाण्डेय, भाविनी सिंह और सतना से रजनीश ताम्रकार और शुभांशु ताम्रकार का सलेक्शन हुआ है। जबकि, सीधी से ऋषि तिवारी ने परीक्षा पास की है।

जसविता शुक्ला: हिम्मत और अटूट आत्मविश्वास ने नहीं टूटने दिया हौसला कोई यह कैसे सोच सकता है कि पिता लकवाग्रस्त हों और उन्हीं की प्रेरणा से बेटी जज बन जाए। पर, हिम्मत और अटूट आत्मविश्वास हो तो कुछ भी नामुमकीन नहीं। यह बड़ा कारनामा रीवा की बेटी जसविता शुक्ला ने पहले ही प्रयास कर दिखाया। जसविता बताती हैं कि पापा का सपना मेरा सपना बन गया। एक बार कदम आगे बढ़ाया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। पेशे से फोटोग्राफार रहे पिता रंगनाथ शुक्ल और माता रजनी शुक्ला निवासी गांधी कॉम्प्लेक्स रीवा की बेटी जसविता बताती हैं कि २०१३ में सरस्वती स्कूल जेलमार्ग रीवा से इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद टीआरएस से बीएएलएलबी का कोर्स पूरा किया। रीवा में सूरज पाण्डेय सर के यहां ट्यूशन लिया और कुछ दिन तक इंदौर में जजमेंट की कोचिंग ली। इसके बाद घर में रहकर ही सिविल जज की परीक्षा की तैयारी की। गुरु सूरज पाण्डेय, मां, बड़ी बहन, दादी एवं भाई तनिष्क सहित पूरे परिवार का सहयोग रहा। जसविता ने कहा कि विपरीत परिस्थियां आती हैं लेकिन हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना होता है।

सतीश शुक्ला: अंतिम प्रयास में मिली सफलता मैं तो कहता हूं कि १७-१८ घंंटे पढऩे से कुछ नहीं होता। जो पढ़ें चाहें पांच घंटे ही पढ़ें लेकिन सॉलिड पढ़े। मैं लगातार पांच बार से सिविल जज के लिए इंटरव्यू दे रहा था, लेकिन सफल नहीं हुआ तो हार नहीं मानी और अंतिम प्रयास में सफलता पा ही ली। यह कहना है सिविल जज के लिए चयनित रीवा जिले के नईगढ़ी तहसील अंतर्गत ग्राम सिगटी निवासी सतीश कुमार शुक्ल का। शुक्ल ने सफलता का श्रेय पिता एड. चक्रधर प्रसाद शुक्ल, माता कुसुम शुक्ला एवं गुरु डॉ. अनुवाद श्रीवास्तव रिटायर्ड जज को देते हुए बताया कि उन्होंने वर्ष २००९ में जबलपुर से लॉ करने के बाद सिविल जज की तैयारी शुरू की। पांच बार से परीक्षा दे रहे थे, चयन अंतिम बार के प्रयास में हुआ। वे मध्यम परिवार से हैं और सिगटी गांव के सरकारी स्कूल से प्राथमिक, इसके बाद सरस्वती स्कूल मऊगंज से माध्यमिक एवं मार्तण्ड क्रमांक-१ रीवा से इंटरमीडियट की परीक्षा उत्तीर्ण की। ग्रेजुएशन मऊगंज के कॉलेज से करने के बाद जबलपुर चले गए और वहीं रहकर तैयारी करते रहे। वे २७८ अंक लेकर ५२वें पायदान पर रहे। इस मुकाम तक पहुंंचाने में पिता का योगदान है।

भाविनी सिंह : सफलता के लिए कठिन परिश्रम जरूरी सिविल जज की परीक्षा में रीवा की एक और बेटी भाविनी सिंह पिता रिपुदमन सिंह निवासी ताला हाउस रीवा ने सफलता हासिल की है। भाविनी ने २८८ अंक प्राप्त कर २२वीं रैंक हासिल की। भाविनी की प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की पढ़ाई बाल भारती स्कूल रीवा से हुई। इसके बाद इन्होंने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रायपुर से विधि स्नातक की परीक्षा उतीर्ण की। भाविनी बताती हैं कि शुरू से ही उनके मन में जज बनने की ललक थी। इसके लिए लगातार तैयारी कर रहीं थी। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान ही इंटरनेशनल मूट कोर्ट में भाग लेने बियेना अस्ट्रिया में प्रतिनिधित्व किया था। भाविनी ने कहा कि यदि ईमानदारी से सतत अध्ययन किया जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा सफलता के लिए कठिन परिश्रम जरूरी है। भावनी का कहना है कि उन्होंने विधि के क्षेत्र में इसीलिए पढ़ाई शुरू की थी ताकि न्यायालयीन सेवा में योगदान दे सकें। इस पढ़ाई में परिवार द्वारा मिले सहयोग एवं मार्गदर्शन को उन्होंने श्रेय दिया है।

श्रद्धा पाण्डेय: लगन और आत्मविश्वास से मिली सफलता सिविल जज की परीक्षा में श्रद्धा पाण्डेय पिता रामायण प्रसाद पाण्डेय माता सत्याभामा पाण्डेय निवासी ग्राम खटखरी तहसील हनुमना का भी चयन हुआ है। श्रद्धा ने २७२.५ अंक लेकर ७८वीं रैंक प्राप्त की है। श्रद्धा ने बताया कि उनकी पढ़ाई-लिखाई रीवा में हुई। पिता पटवारी हैं, मां सहायक शिक्षिका और भाई डॉ. विवेक पाण्डेय मेडिकल कॉलेज रीवा में पदस्थ हैं। जिनके मार्गदर्शन एवं सहयोग से यह सफलता मिली है। इन्होंने रीवा में ही रहकर तैयारी की। श्रद्धा ने कहा कि लगन और आत्मविश्वास से यदि सतत मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है। इस सफलता पर वे काफी प्रसन्न हैं और कहा कि मेहनत सफल हो गई। तैयारी करने वाले युवाओं से उन्होंने कहा कि वे प्रयास नहीं छोड़ें तो कामयाब जरूर होंगे।

ऋषि तिवारी: तीसरे प्रयास में हुए सलेक्ट सीधी जिले के रामपुर नैकिन विकासखंड अंतर्गत हनुमानगढ़ निवासी अधिवक्ता उमेश तिवारी के छोटे पुत्र ऋषि तिवारी का चयन सिविल जज में हुआ है। ऋषि तिवारी ने तीसरे अटैम्प्ट में परीक्षा उत्तीर्ण की। मध्यम वर्गीय परिवार के ऋषि तिवारी के पिता अधिवक्ता के साथ ही जिले में गठित सामाजिक संगठन टोको,रोकों, ठोंको के संयोजक हैं। ऋषि की प्रारंभिक शिक्षा सीधी जिला मुख्यालय के महर्षि विद्या मंदिर से पूर्ण हुई थी, कक्षा ५ से १२वीं तक की पढ़ाई उन्होंने केंद्रीय विद्यालय सीधी से पूरी कर पांच वर्षीय एलएलबी की पढ़ाई कर्नाटक विविद्यालय के एमएस रमैया लॉ कॉलेज बेंगलुरु से वर्ष २०१५ में पूर्ण की। इसके बाद दिल्ली में रहकर सिविल जज परीक्षा की तैयारी करने के बाद सीधी वापस लौट आए। यहीं रहकर सिविल जज परीक्षा की तैयारी करते रहे। ऋषि ने कहा कि यदि लगन और मेहनत के साथ प्रयास किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है।

शुभांशु ताम्रकार: समर्पण व निष्ठा के साथ की पढ़ाई उचेहरा निवासी शुभांशु ताम्रकार अपनी सफलता का श्रेय मार्ग दर्शक राजेश शर्मा व अपने जीजा आशीष ताम्रकार को देते हैं। मां माधुरी व बड़े पिता रामचन्द्र ताम्रकार का भी विशेष सहयोग रहा। उन्होंने बताया कि पिता जी व्यवसाय के सिलसिले में सभागंज में रहने लगे थे। प्रारंभिक शिक्षा उचेहरा से हुई। ११वीं के बाद इंदौर चला गया। वहीं से लॉ की पढ़ाई की। परीक्षा की तैयारी को लेकर बताया कि समर्पण व निष्ठा के साथ हर दिन करीब ८ से १० घंटी की पढ़ाई करें तो सफलता निश्चित है। चयन पर कैट जिला उपाध्यक्ष डॉ पवन ताम्रकार, मदनकान्त पाठक, लवकुश पाठक, हरीश ताम्रकार, उपेंद्र पांडेय, भरलाल ताम्रकार संतोष ताम्रकार, अशोक ताम्रकार, कोदुलाल ताम्रकार, मुबारक अली, कमलेश गुप्ता, संदीप सरावगी, मौसम निगम, सोहनलाल अब्दुल अंसारी, हर प्रसाद ताम्रकार, रामजी, अरुणेंद्र, राकेश, राजेश, रामाधार गुप्ता, उमेश, रविशंकर पाठक, कैलाश ताम्रकार, संतोष ने बधाई दी है।

रजनीश ताम्रकार: गलतियों से सीखता रहा व्यवहार न्यायधीश वर्ग-२ के लिए चयनित सतना के उचेहरा निवासी रजनीश ताम्रकार ने बताया कि दृढ़इच्छा व समर्पण के साथ लगातार कोशिश की जाए तो सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने सफलता का श्रेय अपने दादा भगवती प्रसाद ताम्रकार, मार्गदर्शक राधेश्याम शर्मा व चाचा को दिया है। जबकि, ट्रांसपोर्टर पिता रमेश ताम्रकार को अपना रोलमॉडल बताया। कहा, स्कूली शिक्षा उचेहरा से की है। सतना लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई करने एक वर्ष उचेहरा और नागौद न्यायालय में पै्रक्टिस की। इस दौरान प्री एक्जाम निकल गया, लेकिन मेन एग्जाम में सफलता नहीं मिली थी। निराश नहीं हुआ और ग्वालियर जाकर तैयारी करने का निर्णय लिया। वहां पढ़ाई के दौरान भी दो बार असफल रहा, लेकिन, गलतियों से सीखता रहा और चौथे अटैम्प्ट में सफल रहा। उन्होंने बताया कि कॉम्पिटीशन टफ है, लेकिन नामुमकिन कुछ भी नहीं है।मेरी पढ़ाई हिंदी मीडियम से थी। यही वजह है कि तैयारी में समय लग गया।

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