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सात सौ वर्ष पहले मूर्ख दिवस की ऐसे हुई थी शुरूआत, पढ़िये इस खबर में

नई दिल्ली (New Delhi) : अमूमन हर दिन कोई न कोई दिवस मनाया जाता हैं। इसी तरह एक अप्रैल का मूर्ख दिवस मनाया जा रहा हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को झूठी बाते बोलकर मूर्ख बनाते है और इस दिवस का आनद उठाते है।

नई दिल्ली (New Delhi) : अमूमन हर दिन कोई न कोई दिवस मनाया जाता हैं। इसी तरह एक अप्रैल का मूर्ख दिवस मनाया जा रहा हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को झूठी बाते बोलकर मूर्ख बनाते है और इस दिवस का आनद उठाते है।

सात सौ वर्ष पहले इंग्लैड में हुई थी शु्ररूआत

जानकारी के तहत वर्ष 1381 में पहली बार एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया गया था। दरअसल इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने सगाई का ऐलान किया और कहा गया कि सगाई 32 मार्च 1381 को होगी। इस ऐलान से आम जनता इतनी खुश हुई कि उसने खुशियां मनाना शुरू कर दिया। लेकिन कैंलेडर में 32 मार्च की कोई तरीख ही नही होती तब उन्हे एहसास हुआ कि वे बेवकूफ बन गए हैं। उसके बाद से ही हर साल एक अप्रैल को लोग मूर्ख दिवस के रूप में मनाते आ रहे है।

19वीं सदी से भारत में हुई शुरुआत

भारत में एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी। बताया जाता है कि अंग्रेजों द्वारा इसकी शुरूआत की गई थी। तब से भारत में भी हर साल इस दिन को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

सोशल मीडिया ने बढ़ाई पहचान

मूर्ख्र दिवस को सोशल मीडिया ने गति दी है। यही वजह है कि अब हर कोई अप्रैल फूल मनाने के लिये एक अप्रैल का बेस्रब्री से इंतजार करता है। इसकी वजह है कि इस दिन मूर्ख बनाने पर किसी को बुरा भी नही लगता और वर्ष में एक दिन उन्हे इसके लिये अच्छा मौका मिलता है।

Viresh Singh Baghel | रीवा रियासत

Viresh Singh Baghel | रीवा रियासत

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