प्रोन्नति में एससी-एसटी आरक्षण के लिए केंद्रीय विभागों व राज्यों को आदेश जारी
नई दिल्ली। केंद्र ने शुक्रवार को अपने सभी विभागों और राज्य सरकारों को एससी और एसटी वर्ग के कर्मचारियों के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश जारी कर दिया। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।
कार्मिक मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि प्रोन्नति के प्रत्येक आदेश में इस बात का साफ तौर पर उल्लेख होना चाहिए कि यह प्रोन्नति सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए जा सकने वाले आदेश के अधीन होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पांच जून को केंद्र सरकार को कानून के मुताबिक एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की अनुमति प्रदान कर दी थी।
इस संबंध में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की उस दलील पर संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया था कि विभिन्न हाई कोर्टों और इसी तरह के मामले में 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी यथास्थिति के आदेश से प्रोन्नति की पूरी प्रक्रिया ठप हो गई है। इसके बाद जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह को इसकी अनुमति प्रदान कर दी थी।
उप्र सरकार को लेना होगा नया फैसला
केंद्र सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण के लिए आदेश जरूर कर दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इस व्यवस्था को लागू करने के लिए नए सिरे से फैसला लेना होगा। वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर प्रदेश में कोई कानून नहीं रह गया है, इसलिए भी नए सिरे से अधिनियम प्रभावी करना सरकार की मजबूरी होगी।
अब आरक्षण के विरोधी और समर्थक दोनों समूहों की निगाहें प्रदेश सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई हैं। प्रदेश सरकार को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने का इंतजार है।
प्रदेश के सरकारी विभागों में हलचल मचा देने वाले पदोन्नति में आरक्षण विषय आदेश को बसपा शासन में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सितंबर 2007 में लागू किया था। इसके बाद अनुसूचित जाति, जनजाति के कई अधिकारी कनिष्ठ होने के बावजूद महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हो गए थे।
विरोध में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने अदालत की शरण ली थी और 27 अप्रैल, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आठ मई, 2012 को पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल कर दी थी। इसके बाद भी पदोन्नति में आरक्षण के समर्थक अपनी लड़ाई जारी रखे हुए थे।
केंद्र सरकार ने राज्यों को भी यह कानून लागू करने की सलाह दी है। इसके बाद से प्रदेश सरकार को केंद्र के आदेश का इंतजार है। अपर मुख्य सचिव दीपक त्रिवेदी ने कहा कि अभी यह आदेश हमें मिला नहीं है। आने के बाद ही उसका अध्ययन होगा।
समर्थक और विरोधी दोनों कल सड़क पर
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर रविवार को समर्थक जहां स्वाभिमान दिवस मनाएंगे, वहीं सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने चेतावनी दौड़ का आयोजन किया है। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश के अन्य जिलों के लोग भी स्वाभिमान दिवस में शामिल होंगे।
17 जून को सुबह छह बजे डॉ. भीमराव आम्बेडकर स्मारक, गोमती नगर मेन गेट से "आरक्षण बचाओ पैदल मार्च" शुरू होगा। इसे उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति खेमकरन रवाना करेंगे।
बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी 17 जून को स्वाभिमान दिवस मनाया जायेगा। समिति के संयोजकों ने मांग की है कि जब तक प्रदेश में पदोन्नाति में आरक्षण की बहाली का आदेश जारी न हो जाये तब तक सभी विभागों में पदोन्नातियों पर रोक लगाई जाये।
दूसरी ओर पदोन्नाति में आरक्षण देने की कोशिशों के विरोध में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने 17 जून को लखनऊ में चेतावनी दौड़ आयोजित की है। पदाधिकारियों ने बताया कि सभी प्रांतों की राजधानियों में विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे और काला दिवस मनाया जाएगा।
समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने बताया कि लखनऊ में 17 जून को सुबह छह बजे गोमतीनगर स्थित 1090 चौराहा से राजीव चौक तक चेतावनी दौड़ होगी। भारतीय वायु सेना के 80 वर्षीय सेवानिवृत्त एयर मार्शल आरके दीक्षित इसका नेतृत्व करेंगे।
शुक्रवार को समिति की बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और बताना चाहिए कि केंद्र व प्रदेश सरकार पदोन्नाति में आरक्षण के पक्ष में है या नहीं। समिति ने भाजपा व कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों से भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।