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कालेधन में मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, स्विस बैंक ने सौपी...

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:35 AM GMT
कालेधन में मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, स्विस बैंक ने सौपी...
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कालेधन में मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, स्विस बैंक ने सौपी...नई दिल्ली: भारत सरकार को उन भारतीयों की दूसरी सूची मिल गई है, जिनके खाते स्विटजरलैंड के

कालेधन में मोदी सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, स्विस बैंक ने सौपी…

नई दिल्ली: भारत सरकार को उन भारतीयों की दूसरी सूची मिल गई है, जिनके खाते स्विटजरलैंड के स्विस बैंक बैंकों में हैं। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच कालेधन की सूचना के स्वत: आदान प्रदान की नई व्यवस्था के तहत यह सूची सौंपी गई है।

स्विटजरलैंड ने कहा कि 86 देशों के साथ 31 लाख वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की गई। जिन देशों के साथ यह जानकारी साझा की गई है, उनमें से भारत भी एक है। सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार इन लोगों के नाम देश को नहीं बताएगी। इस मामले में उसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, जो पहली सूची के समय अपनाई गई थी।

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उस दौरान ये कहा गया था कि सरकार खाताधारकों की जांच करेगी और उन पर मुकदमा चलाया जाएगा और जब उन पर कालाधन खाने का आरोप साबित हो जाएगा, तब उनके नाम देश को बताए जाएंगे।

स्विटजरलैंड के साथ हुए समझौते में भी यह बात शामिल है कि एसचेंज की गई जानकारी कर अधिकारियों को यह सत्यापित करने की अनुमति होगी कि या करदाताओं ने अपने कर रिटर्न में अपने विाीय खातों की सही ढंग से जानकारी दी है।

अब भारत को अगली सूची सितंबर 2021 में मिलेगी। भारत उन 86 देशों में शामिल है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने 2015 में बैंकों की सूचनाओं के आदान-प्रदान की संधि की थी।

स्विस अधिकारियों ने कहा कि इस वर्ष 86 देशों के साथ स्विट्जरलैंड द्वारा तीन मिलियन से अधिक खातों के बारे में जानकारी के समग्र आदान-प्रदान में एक बड़ी संया भारतीय नागरिकों और संस्थाओं से संबंधित है। पिछले एक साल में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और संस्थाओं के बारे में जानकारी साझा की है। ये मामले उन पुराने खातों से संबंधित हैं, जो 2018 से पहले बंद हो गए थे।

बीते वर्ष मिली थी पहली सूची: स्विटजरलैंड ने भारत को पहली सूची सितंबर-2019 में सौंपी थी। इस सूची में उन 50 खाताधारकों के नाम थे, जिन्हें स्विटजरलैंड की सरकार ने जून-2018 में सार्वजनिक कर दिया था। 2019 में स्विस सरकार ने भारत समेत 75 देशों के साथ जानकारी साझा की थी।

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