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कंगना Vs BMC : High Court ने राउत से पूंछा, हमारे पास डिक्शनरी है, हरामखोर का मतलब नॉटी है तो नॉटी का मतलब क्या है?

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:34 AM GMT
कंगना Vs BMC : High Court ने राउत से पूंछा, हमारे पास डिक्शनरी है, हरामखोर का मतलब नॉटी है तो नॉटी का मतलब क्या है?
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कंगना रनोट के ऑफिस में बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ बॉम्बे High Court में सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान, कोर्ट में शिवसेना के नेता संजय राउत के 'हरामखोर' वाले बयान पर भी बहस हुई.

कंगना के वकील बीरेंद्र सराफ ने कहा कि संजय राउत ने इंटरव्यू में हरामखोर का मतलब नॉटी बताया था. इस पर जस्टिस एस कथावाला ने कहा, 'हमारे पास भी डिक्शनरी है, अगर इसका मतलब नॉटी है तो फिर नॉटी का मतलब क्या है.'

सराफ ने आरोप लगाया कि संजय ने कंगना के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. उन्हें हरामखोर कहते हुए सबक सिखाने की बात कही थी. इसके बाद कोर्ट में राउत के बयान की फुटेज चलाई गई.

संजय राउत के वकील ने कहा- उन्होंने कंगना का नाम नहीं लिया

राउत के वकील प्रदीप थोराट ने कहा कि संजय ने बयान में कंगना का नाम नहीं लिया था. इस पर बेंच ने कहा, 'क्या आप कह रहे हैं कि आपके मुवक्किल ने उसे हरामखोर लड़की नहीं कहा है? क्या हम यह बयान दर्ज कर सकते हैं कि आपने (राउत ने) याचिकाकर्ता का हरामखोर नहीं कहा है.' इसके जवाब में थोराट ने कहा कि वह इस संबंध में कल एक हलफनामा दायर करेंगे.

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कंगना के वकील ने कहा कि ऑफिस गिराए जाने के बाद अखबार में उसे तोड़े जाने का जश्न मनाया गया था. यह पूरे देश ने देखा है. इस पर बेंच ने इस संबंध में सभी सबूत और दस्तावेज लाने की बात कही है. जिसमें कंगना के सभी ट्वीट्स और संजय राउत का पूरा इंटरव्यू शामिल हैं.

लगातार चल रही केस की सुनवाई

22 सितंबर को सुनवाई के दौरान High Court ने एक्ट्रेस के ऑफिस पर बुलडोजर चलाने का आदेश देने वाले अधिकारी और शिवसेना राज्यसभा सांसद संजय राउत को पक्षकार बनाने की बात कही थी. संजय राउत के 'उखाड़ दिया' वाले बयान कि सीडी High Court में सुनवाई के दौरान दी गई थी. इसके बाद High Court ने पक्षकार बनाने का आदेश जारी किया.

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24 सितंबर को बॉम्बे High Court ने कहा कि मानसून में जिस तरह ऑफिस तोड़ा गया है, उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. बीएमसी पर नाराजगी जताते हुए कहा था- कार्रवाई करने में तो आपने बहुत तेजी दिखाई. जब जवाब देने की बात आई तो सुस्ती दिखा रहे हैं.

25 सितंबर को High Court ने पूछा था कि बीएमसी के वे अफसर कौन थे, जो कंगना के दफ्तर का सर्वे करने गए थे. पहली बार मामले को देखने पर यही लगता है कि कार्रवाई गलत नीयत से की गई थी. अदालत ने तोड़फोड़ से पहले ली गई अवैध निर्माण की तस्वीरों को भी अदालत को देने को कहा था. इस दौरान संजय राउत ने जवाब दिया था कि इस तोड़फोड़ से उनका कोई लेना देना नहीं है.

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