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जानिए क्या है Coronavirus, कितना खतरनाक है! क्या वाकई आपको इससे डरना चाहिए?

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:14 AM GMT
जानिए क्या है Coronavirus, कितना खतरनाक है! क्या वाकई आपको इससे डरना चाहिए?
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दुनिया भर में फैल रहे कोरोनावायरस की वजह से मौत का आकंड़ा 6000 के करीब पहुंच गया है। वहीं संक्रमित लोगों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा हो गई

दुनिया भर में फैल रहे कोरोनावायरस की वजह से मौत का आकंड़ा 6000 के करीब पहुंच गया है। वहीं संक्रमित लोगों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा हो गई है। इस वायरस की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है। तो क्या सही में ये वायरस इतना ज्यादा खतरनाक है? क्या आपको इस वायरस से डरने की जरुरत है या फिर मीडिया इन चीजों को बढ़ा चढ़ाकर आपको दिखा रहा है और एक डर का माहौल बना रहा है। आइए जानते हैं: Know what is Coronavirus, how dangerous! Are you really afraid of this?

वायरस की फैमिली है कोरोनावायरस कोरोनावायरस किसी एक इकलौते वायरस का नाम नहीं है। यह वायरस की एक पूरी फैमिली है। इस वायरस का इंटरेस्टिंग फैक्ट ये हैं कि आपको जो सर्दी जुखाम होता है वो भी एक तरह का कोरोनावायरस है। 2002-2003 में सार्स वायरस फैला था, वो भी एक तरह का कोरोनावायरस था। अभी जो वायरस लोगों को संक्रमित कर रहा है वो भी एक तरह का कोरनावायरस है। 31 दिसंबर 2019 को ये चीन के शहर वुहान में पाया गया था। नए कोरनावायरस का नाम N-COV रखा गया है, यानी नोवल कोरोनावायरस। नोवल का मतबल होता है नया। ये वायरस इतना नया है कि चीन इसका नाम भी नहीं सोच पाया था और इसका नाम N-COV रख दिया। हालांकि बाद में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसका नाम COVID-19 रखा।

क्या है कोरोनावायरस का ओरिजिनल सोर्स? ज्यादातर कोरोनावायरस का ओरिजिनल सोर्स कोई न कोई जानवार ही होता है। ये इंसान को संक्रमित करता है और फिर ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन से ये इंसानों के बीच फैल जाता है। सार्स के केस में ओरिजिनल सोर्स चमगादड़ था। मेर्स (MERS-CoV) कोरोनावायरस 2012-2013 में मिडिल ईस्ट में फैला था। इसका ओरिजिनल सोर्स ऊंट था। हालांकि जो नया कोरोनावायरस फैला है इसके ओरिजिनल सोर्स के बारे में अभी तक साफ तौर पर कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका ओरिजिनल सोर्स सांप हो सकते हैं। जबकि कुछ का मानना है कि ये चमगादड़ हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चमदागड़ से आने वाले कोरोनावायरस और इस नए कोरोनावायरस में 90 प्रतिशत समानता है।

कोरोनावायरस के लक्षण एक समान इन सारे कोरोनावायरस के लक्षण एक दूसरे से समान है। जैसे खांसी, जुखाम, बुखार, सिरदर्द और गला खराब होना। जब आपको सीजनल फ्लू होता है तब भी ये सारे लक्षण दिखाई देते हैं। नए कोरोनावायरस के भी यही लक्षण है। इसी वजह से नए कोरोनावायरस और नॉर्मल फ्लू को बीच पहचान कर पाना मुश्किल होता है। कोरोनावायरस के एक्ट्रीम केस में आपको निमोनिया भी हो सकता है। डॉक्टर्स को इसकी पहचान करने के लिए लेबोरेटरी टेस्ट करना पड़ता है। नोवल कोरोनावायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड 2-14 दिन के बीच का है। इसका मतलब है कि अगर आप संक्रमित हो गए हैं तो आपको लक्षण दिखने में 14 दिनों का समय लग सकता है।

कोरोनावायरस आपके लिए कितना खतरनाक? ये वायरस आपके लिए कितना खतरनाक और जानलेवा है इसे समझने के लिए कुछ फैक्ट देखने होंगे। इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है जबकि अब तक 5834 लोगों की मौत हुई है। यानी संक्रमित मरीजों की तुलना में मरने वालों की संख्या 3.7 प्रतिशत के करीब है। ये जो 3.7 प्रतिशत है, इसे हम मोर्टेलिटी रेट कहते हैं। मोर्टेलिटी रेट का मतलब है कि अगर आपको इंफेक्शन हो जाए तो जान जाने के कितने चांस है। 3.7 परसेंट का मतलब है कि इससे आपकी मौत नहीं होगी और आप रिकवर कर जाएंगे। एक स्टडी में पता चला है कि जिन लोगों की नए कोरोनावायस से मौत हुईं है उनका इम्यून सिस्टम पहले से ही किसी और वजह से कमजोर था। उनमें से ज्यादातर लोग बुजुर्ग थे। वायरसों के बारे में इंटरेस्टिंग फैक्ट ये भी है कि जो वायरस आसानी से फैलता है उसका मोर्टेलिटी रेट अपने आप ही कम होता है। वहीं जो वायरस आसानी से नहीं फैलते उनका मॉर्टेलिटी रेट ज्यादा होता है।

क्या है कोरोनावायरस का मोर्टेलिटी रेट? इबोला का मॉर्टेलिटी रेट 70 प्रतिशत था। यानी अगर आपको इबोला हो जाएगा तो केवल 30 प्रतिशत चांस है कि आपकी जान बच जाएगी। लेकिन दुनिया भर में इबोला के सिर्फ 3000 केस देखने को मिले। दूसरी तरफ अगर हम कॉमन कोल्ड और चिकन पॉक्स का उदाहरण लेते हैं तो ये दोनों बहुत आसानी से फैलते हैं। कॉमन कोल्ड का मोर्टेलिटी रेट 0.01 परसेंट है। 2003 के सार्स का मोर्टेलिटी रेट 10 परसेंट था। अभी अंदाजा लगाया जा रहा है कि नए कोरोनावायरस का मोर्टेलिटी रेट 3 के आस-पास निकलेगा। इससे ये पता चलता है कि नया कोरोनावायरस.. सार्स, इबोला और मेर्स की तुलना में कम घातक है। क्योंकि इसका मोर्टेलिटी रेट इन सभी से कम है। सार्स ने केवल 8000 लोगों को संक्रमित किया था, लेकिन नए कोरोनावायरस ने 150,000 से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है। जो कि करीब 19 गुना ज्यादा है।

कैसे फैलता है वायरस? नया कोरोनावायरस उसी तरह से फैलता है जैसे सर्दी जुखाम फैलता है। इससे बचने के तरीके वहीं है जिससे आप सर्दी जुखाम से बचते हैं। यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बयान जारी करते हुए यात्रियों को वुहान में जानवरों के बाजारों में जाने से बचने की सलाह दी है। इसके अलावा ये भी कहा गया है कि वह बिना पका मीट न खांए। लोगों से कहा गया है कि वह इस रोग से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचे और अपने हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोए।

क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए? 1) हाथों को बार-बार साबुन से धोना चाहिए. 2) अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए. 3) हाथों से बार-बार अपने चेहरे को छूने से बचे. 4) भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचे. 5) खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल से ढक कर रखें. 6) जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों उनसे दूरी बनाकर रखें. 7) भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाना जरूरी हो तो फेस मास्क लगाए 8) पब्लिक प्लेसेज में लिफ्ट का बटन और दरवाजों के हैंडल जैसी चीजों को छूने से बचे

कोरोनावायरस की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं ​​​​​ सोशल मीडिया पर कई सारे तरीके वायरल हो रहे हैं जिसमें कोरोना वायरस का इलाज बताया जा रहा है। लेकिन आपको बता दें कि कोरोनावायरस की अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन सकी है। अगर आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होगा तो ही आप कोरोनावायरस से बच सकते हैं। इसकी वैक्सीन को बनने में एक साल का समय लग सकता है। सार्स की वैक्सीन बनाने में भी 20 महीने लगे थे।

दुनियाभर की इकोनॉमी को भारी नुकसान दुनिया भर की सरकारें इस वायरस से फैलने से रोकने का प्रयास कर रही है। लेकिन सबसे ज्यादा कोरोनावायरस के मामले चीन में देखे गए हैं। उनमें से भी 90 प्रतिशत मामले वुहान शहर के हैं। वहीं इकोनॉमिकली इसका बहुत बड़ा नुकसान देखने को मिल सकता है। चीन को करीब 60 बिलियन डॉलर के करीब का घाटा एस्टीमेट किया गया है। इससे चीन की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत की कमी आ सकती है।

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