सतना

स्वच्छता सर्वेक्षण में सतना हुआ फिसड्डी, सिंगरौली ने दी मात...

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:29 AM GMT
स्वच्छता सर्वेक्षण में सतना हुआ फिसड्डी, सिंगरौली ने दी मात...
x
स्वच्छता सर्वेक्षण में सतना हुआ फिसड्डी, सिंगरौली ने दी मात...सतना (विपिन तिवारी ) । विंध्य की औद्योगिक नगरी सतना, स्मार्ट सिटी सतना

स्वच्छता सर्वेक्षण में सतना हुआ फिसड्डी, सिंगरौली ने दी मात...

सतना (विपिन तिवारी ) । विंध्य की औद्योगिक नगरी सतना, स्मार्ट सिटी सतना, धार्मिक नगरी सतना, सीमेंट सिटी सतना..जैसे भारी उपाधियों वाला सतना शहर ने एक बार फिर स्वच्छता सर्वेक्षण में आखिरकार फिसड्डी रहा।सतना से कई मामलों में बेहद ही पिछड़े माने जाने वाले अंतिम छोर में बसे सिंगरौली ने लगातार दूसरे साल टॉप-20 में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुआ है।

मध्यप्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा कोरोना विस्फोट, 24 घंटे में मिलें 1142 नए पॉजिटिव मरीज

लाखों-करोड़ों की भारी भरकम राशि खर्च करने वाले सतना नगर निगम को गुरुवार को देश के 1 लाख से 10 लाख आबादी वाले शहरों की स्वच्छता संबंधी सूची केंद्रीय स्तर से जारी हुई तो सतना को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी। हद तो तब हो गई जब सतना की ओर से इंदौर मॉडल देखने का कथित राग आलापा गया, वहां क्या, क्या देखा और इसका क्या नतीजा आया अब सामने है।

कहां हो हुई चूक

जानकारी के मुताबिक पता चला कि नगर निगम का दावा 5 स्टार को लेकर किया गया था। जानकारी के अनुसार डाक्यूमेंटेशन का सही सबमिसन निगम के कामचलाऊ इंजीनियर के चलते नहीं हुआ और सतना के साथ दगाबाजी हो गई। सतना को न तो 5 स्टार रेटिंग मिली इसी के चलते 1000 अंकों का नुकसान भी हो गया। अन्यथा सीध्ो तौर पर टॉप-20 में ही शामिल होते। लेकिन बात तो अब सिर्फ नतीजे की होगी।

Bhopal और Indore मेट्रो को लेकर आई बड़ी खबर, पढ़िए

निगम कमिश्नर ने देश के सबसे स्वच्छ शहर और लगातार चौका मारने वाले इंदौर में स्वच्छता की हकिकत और मॉडल देखने के लिए सतना से स्वास्थ्य अधिकारी बृजेश मिश्रा, उपयंत्री मुकेश चतुर्वेदी और रोजल प्रताप सिंह को गुपचुप तरीके से भेजा था।टीम ने इंदौर में कौन सा मॉडल, क्या देखा, क्या क्रियान्वयन किया ? नतीजा सामने है।

स्वच्छता की चिंगारी भी नहीं जला पाया ज्वाला

सर्वेक्षण के शुरूआती दौर से ही सतना नगर निगम को अपने से अधिक थर्ड पार्टी पर भरोसा था लेकिन एनजीओ ने अपनी जेब भरने, फोटो सेशन और प्रेस विज्ञप्ति से अधिक नहीं बढ़ पाया। सतना ने इस बार भी रीवा के ज्वाला नामक एनजीओ को करीब आधे करोड़ का काम दिया गया लेकिन उसने भ्रष्टाचार से अधिक कुछ नहीं किया। यहां तक अपने कर्मचारियो की वेतन तक हड़प कर सतना से फरार हो गया।

कचरा तक बेचा लेकिन …

सतना नगर निगम किसी भी हद पर रैंकिंग में सुधार के लिए कचरे तक को बेचने की प्रक्रिया की लेकिन हालात जस के तस ही रहे। न केवल कागजी तौर पर बल्कि जमीनी हकीकत आज किसी से छिपी नहीं है।

न सफाई दिखी न रैकिंग

नगर निगम में सफाई लिए पैरलल व्यवस्था है मतलब एक ओर प्राइवेट कंपनी रैमकी का तामझाम दूसरी ओर नगर निगम स्वयं। रैमकी की ओर से शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए कथित तौर पर 6० मैजिक, 4 डम्फर, 2 काम्पैक्टर, 1 लोडर, नगर निगम की ओर से करीब 3 दर्जन मैजिक, 2 काम्पैक्टर, 4 डम्फर, 4 ट्रैक्टर के साथ ही नगर निगम के करीब 8 सौ सफाई कर्मचारी और रैमकी के कर्मचारी अलग, इसके बाद भी न तो सफाई दिखी न ही रैंकिंग।

NRA के तहत निर्णय लेने वाला पहला राज्य बना मध्यप्रदेश, PM MODI ने भी किया स्वागत

होशियारी पड़ी भारी

पिछले हिसाब किताब से सबके न लेने वाले सतना को उस वक्त झटका लगा जब उसने 5 स्टार रेटिंग का दावा ठोंक दिया लेकिन नजीजा इस प्रकार आया कि सितारों ने ही दगा दे दिया। 5 स्टार की रेटिंग का दावा के मुुकाबले एक भी स्टार नहीं मिले।

न जोन आया काम न जोनल

नगर निगम कमिश्नर अमनवीर सिंह बैंस ने सतना की स्वच्छता में सुधार लाने शहर को 7 जोन में बांटा लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात सबित हुआ। जानकारी के अनुसार सतना 45 वार्डों को 7 जोन में विभाजित किया ताकि, निगम के सूत्रधार उच्चस्तरीय पर्यवेक्षण कर सकें। इन सभी का नोडल अधिकारी नीलम तिवारी को बनाया गया। इसके आलावा इसकी जिम्मेदारी उपायुक्त विशाल सिंह, सहायक आयुक्त एसडी पाण्डेय, सहायक आयुक्त विरेन्द्र तिवारी, इंजीनियर अरूण तिवारी, नागेन्द्र सिंह, आरपी सिंह की ड्यूटी लगाई गई थी।

आसान भाषा में समझिए

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की तमाम शहरों में सफाई के उद्देश्य से स्वच्छता के नाम से प्रतियोगिता करानी शुरू की। सतना ने वर्ष 2017 में 55वीं रैंकिंग, 2018 में 93, 2019 में 197 रैंकिंग और इस वर्ष यानि 2020 में 47वीं रैंकिग हासिल की। सतना को 6000 अंकों में से 3583.37 अंक हासिल हुए। यूं तो बीते वर्ष की तुलना में सतना 193 अंकों बढ़त हासिल की लेकिन विगत साल की तुलना में इस प्रतियोगिता रंग और ढंग बदल चुके हैं। इसी सूची में विंध्य के एक शहर सिंगरौली ने 15वीं रैंक हासिल की तो संभागीय मुख्यालय रीवा तो सतना से भी गया-बीता साबित हुआ। जो टॉप-100 से भी बाहर हो गया।
प्रदेश में सतना सहित कुल सात स्मार्ट सिटी हैं। जिनमें से एक सतना है। सतना में लगातार पहले प्रतिभा पाल, फिर प्रवीण सिंह अढ़ायच, इसके संदीप जीआर और वर्तमान में अमनवीर सिंह बैंस जैसे आईएएस ऑफिसर्स की तैनाती हुई। लेकिन सतना की न तो दशा सुधरी न ही रैंकिंग। जितना बुरा हश्र इस बार हुआ है वैसा तो पहले कभी नही हुआ था। इतने खर्च ,इतने पाखंड,इतनी ट्रेनिंग के बाद भी सतना के इस तरह औंधे मुंह गिरना शर्मनाक है। बहरहाल बड़ा सवाल है कि लाखों रूपये फूंक देने के बाद इस प्रकार के प्रदर्शन की जिम्मेदारी भी तय होगी या वही अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा हाल भी आगे चलता रहेगा। [signoff]
Aaryan Dwivedi

Aaryan Dwivedi

    Next Story