मध्यप्रदेश

अंचल प्रदेश को मजबूत करने मिल सकता है नरेंद्र सिंह तोमर को CM पद, ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय मंत्री बनाने का विचार

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:16 AM GMT
अंचल प्रदेश को मजबूत करने मिल सकता है नरेंद्र सिंह तोमर को CM पद, ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय मंत्री बनाने का विचार
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ग्वालियर । कमल नाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है। इसी बीच सीएम पद के लिए

ग्वालियर । कमल नाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है। इसी बीच सीएम पद के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तेजी से उभरकर सामने आया है। इससे अंचल में सरगर्मियां बढ़ गई हैं। खबर है कि पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय मंत्री बनाने के लिए इस फार्मूले पर भी विचार किया जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो ग्वालियर-चंबल अंचल प्रदेश में सबसे ताकतवर हो जाएगा।

पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से भाजपा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने में कामयाब हो गई। इसलिए इनाम के तौर पर उनको केंद्रीय मंत्री मंडल में स्थान मिलना लगभग तय है। ऐसे में मुश्किल यह है कि ग्वालियर चंबल संभाग से पहले ही सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को केंद्रीय मंत्री बनाया जा चुका है।

ऐसे में अब अंचल से दो केंद्रीय मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं। इसलिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब मुख्यमंत्री पद के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम पर विचार कर रहा है। इससे अंचल से पूर्व सांसद सिंधिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेने का रास्ता साफ हो जाएगा।

ऐसे में तोमर को जौरा की खाली हुई सीट से उपचुनाव लड़ाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश में ग्वालियर-चंबल संभाग काफी पावरफुल हो जाएगा, क्योंकि केंद्रीय मंत्री के अलावा प्रदेश का मुख्यमंत्री भी संभाग से ही होगा। पिछली शिवराज सरकार में भी अंचल से सात मंत्री में थे। इसलिए इस बार भी कुछ ऐसा ही रहने की उम्मीद है।

अंचल से ही मिलेगी चुनौती

केंद्रीय मंत्री तोमर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की गुड बुक में शामिल हैं। मगर उनके नाम पर अंचल से ही विरोध के स्वर मुखर हो सकते हैं, क्योंकि इससे अंचल के कई दिग्गज भाजपा नेताओं का कद और घट जाएगा। इसलिए वह आसानी से इस निर्णय को स्वीकार नहीं करेंगे।

आखिर कैसे चला नाम

जब तक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, भाजपा फ्लोर टेस्ट को लेकर खूब हंगामा कर रही थी। अब सीएम पद से कमल नाथ के इस्तीफे देने के बाद भी अब तक ना तो विधायक दल की बैठक हुई और न ही मुख्यमंत्री का नाम फाइनल हो सका है।

वह भी तब जबकि देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है। वर्तमान में स्थाई मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री का होना बहुत जरूरी है। ऐसे समय में भी अब तक मुख्यमंत्री का नाम घोषित नहीं होने से इन अटकलों को बल मिला है कि अंदरखाने में मुख्यमंत्री के पद को लेकर रस्साकशी चल रही है।

अंचल को क्या होगा फायदा

1000 बिस्तर का अस्पताल : यह प्रोजेक्ट पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्राथमिकता में शामिल हैं। सीएम यदि अंचल से होगा तो यह अस्पताल जल्दी बनकर तैयार हो सकेगा। वर्तमान में बजट के अभाव में काम बहुत धीमी रफ्तार से चल रहा है।

स्मार्ट सिटी योजना : इसमें काम की रफ्तार काफी धीमी है। केंद्रीय मंत्री तोमर के सीएम बनने के बाद काम में तेजी आने की उम्मीद है।

नैरोगेज से ब्रॉडगेज : प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के कारण प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी हो गई थी। भूमि अधिग्रहण का काम भी अब तक पूरा नहीं हो सका था। केन्द्र एवं प्रदेश में भाजपा की सरकार और अंचल के ही सीएम होने से तेज गति से काम पूरा हो सकेगा।

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