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दूसरों का दुख बांट लेना सबसे बड़ी सेवा: पंडित विजय शंकर
रीवा। जिले के मानस भवन में 3 जनवरी से सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सुंदर प्रवचन व्यास पंडित विजय शंकर मेहता के मुखारबिंद से हो रहा है। चैथे दिवस बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई गई। उन्होंने कृष्ण लीलाओं का वर्णन किया। इस अवसर पर संत विजय शंकर मेहता ने कहा कि दुनिया में दूसरों का दुख बांट लेना सबसे बड़ी सेवा है। काम थोड़ा मुश्किल जरूर है पर यदि हो सके तो जरूर करें। भक्तों के जीवन के बारे में उन्होंने समझाते हुए कहा कि उसे ऐसा होना चाहिए जैसा की लाइब्रेरी में पड़ा अखबार कोई छुपाव नहीं होता जो जब चाहे तब पढ़ सके। ईश्वर को प्राप्त करने का मूल मंत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान को पवित्रता बहुत पसंद है आप जितना जल्दी पवित्र हो जाओगे ईश्वर उतनी जल्दी प्राप्त होंगे।
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भक्तों का चित्त कभी किसी से शिकायत नहीं करता। संसार के पदार्थों से मोह ना करें तृष्णा का त्याग करें। भगवान कहते हैं यदि सत्कर्मों का प्रकाश हो गया तो मैं जीवन में आ जाऊंगा। भक्ति से जीवन के रिश्तो को सजाना सीख लो सजना सवरना सीख लो मुस्कुराना सीख लो। उन्होंने एक शेर भी सुनाया न सफर से न हमसफर से निकलेगा, आपके पैर का कांटा आप से ही निकलेगा। तकलीफ तो सबके जिंदगी भी होगी पर तकलीफ आपको ही दूर करना है हिम्मत मत हारना हिम्मत से लड़ना सीखो।
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सत्संग ही जीवन को सुंदर बनाने का ब्यूटी पार्लर
कभी-कभी अपने जी को बहलाया है जो खुद न समझ सके दूसरों को समझाया है। भक्ति शक्ति शांति का प्रतीक है गीता है। वह आंख बंद कर प्राप्त होती है, आंख बंद करना भी ध्यान है। मन के अभाव का नाम ध्यान है, मन नियंत्रित हो जाए, तो मन को निष्क्रिय किया जाए तभी ध्यान संभव है। कोई भी जीवन तब सुंदर होता है जब सुख के साथ शांति आती है, स्वयं तो अपने बच्चों पर सुख उड़ेल दिया पर शांति कहां से लाओगे। शांति स्वयं अर्जित करनी पड़ती है। सत्संग ही जीवन सुंदर बनाने का ब्यूटी पार्लर है। आज के युग में मनुष्य में संवेदनशीलता समाप्त सी हो गई है इसे जीवित करना होगा। इस अवसर पर डॉ सज्जन सिंह, रमेश द्विवेदी, उदय नारायण द्विवेदी, डॉ ज्योत्स्ना द्विवेदी, अनुपम तिवारी, जीपी त्रिपाठी, चंद्रिका प्रसाद चंद्र, रवीश चतुर्वेदी, अखिलेश तिवारी समेत अन्य प्रमुख गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।