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रीवा: संजय गाँधी अस्पताल की लापरवाही बर्दास्त से बाहर, पिता को पता ही नहीं चला कि जवान बेटा मर गया, शव तक कर दी गायब...

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:27 AM GMT
रीवा: संजय गाँधी अस्पताल की लापरवाही बर्दास्त से बाहर, पिता को पता ही नहीं चला कि जवान बेटा मर गया, शव तक कर दी गायब...
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रीवा: संजय गाँधी की लापरवाही बर्दास्त से बाहर, पिता को पता ही नहीं चला जवान बेटा मर गया, लाश तक कर दी गायब...रीवा : संजय गांधी अस्पताल से

रीवा: संजय गाँधी की लापरवाही बर्दास्त से बाहर, पिता को पता ही नहीं चला जवान बेटा मर गया, लाश तक कर दी गायब...

रीवा : संजय गांधी अस्पताल से एक जवान बेटे की लाश गायब कर दी गई। इस अमानवीय कृत्य ने प्रबंधन की लापरवाही उजागर की है। बीमार बेटे को इलाज के लिए भर्ती परिजनों ने भर्ती किया था। बेटा तो बचा नहीं, शव भी लापता कर दिया गया। मच्र्युरी में जवान बेटे का शव जिस टाई बैग से रखा गया था, उसमें बुड्ढे की लाश थी। इस लापरवाही की पोल खुली तो रविवार को अस्पताल प्रबंधन परिजनों के साथ शव तलाशता रहा, लेकिन नहीं मिली।

इस लापरवाही पर कलेटर, डीन, सीएमएचओ, सीएमओ तक जवाब नहीं दे पाए। मिली जानकारी के अनुसार मऊगंज निवासी विवेक कुशवाहा पिता रामविशाल कुशवाहा उम्र 22 वर्ष की तबीयत रक्षाबंधन के बाद खराब हुई थी।

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मऊगंज में डॉटर से इलाज कराया गया। राहत नहीं मिली तो संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कर दिए। संजय गांधी अस्पताल में पहले आईसीयू में रखा गया। बाद में कोविड सेंटर में डाल दिया गया। कोविड सेंटर पहुंचते ही बेटा एक रात में ही लाश में बदल गया। बेटे को कोविड सेंटर में भर्ती कराकर पूरी रात पिता नीचे ही रहा।

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सुबह विवेक की मौत हुई तो पिता को जानकारी तक नहीं दी गई। शव सीधे मच्र्युरी भेज दी गई। बाद में मृतक के बड़े पिता का बेटा रामचन्द्र कुशवाहा पहुंचा तो उसने विवेक की सुध लेनी शुरू की। कोविड वार्ड तक जुगत लगाकर पहुंचता तो अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर होनी शुरू हुई। वहां से विवेक की मौत की जानकारी दी गई।

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सीएमओ डॉ यत्नेश से परिजनों ने संपर्क किया। दूसरे दिन 9 अगस्त को मृतक का शव देखने के लिए बुलाया गया। दूसरे दिन पहुंचे तो अस्पताल से विवेक का शव गायब मिला। जिस टाइ बैग में विवेक की पर्ची लगी थी। उसके अंदर किसी बुजुर्ग का शव रखा था। विवेक के शव का या हुआ और किसे सुपुर्द कर दिया गया, इसका जवाब कोई नहीं दे पाया। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने परिजनों के जमों पर नमक लगाने का काम किया।

5 अगस्त को हुआ था भर्ती

विवेक की तबीयत रक्षाबंधन के बाद बिगड़ी थी। शरीर में दर्द और एंठन की शिकायत थी। मऊगंज में डॉटर को दिखाए आराम नहीं मिला। इसके बाद 5 अगस्त की रात 8 बजे उसे लेकर परिजन संजय गांधी अस्पताल पहुंचे। विवेक को आईसीयू द्वितीय तल में भर्ती कराया गया। पहले गैलरी में ही रखा गया। बेड खाली नहीं था। बेड खाली होने के बाद 6 अगस्त को उसे आईसीयू के बेड नंबर 14 में शिफ्ट किया गया। दवा दी गई। रात ढ़ाई बजे सेहत में सुधार हुआ।

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हांलांकि आसीजन नहीं दी गई थी नाक में नली जरूर लगाई गई थी। 7 अगस्त को सुबह 3 बजे स्वस्थ्य था। घर में फोन पर बात भी की। उसे सुबह जनरल वार्ड सी -2 में शिफ्ट कर दिया गया। एसरे कराने के लिए कहा गया। वह पैदल ही एसरे कराने गया। 1 बजे एसरे हुआ। रिपोर्ट देखने के बाद विवेक को ऊपर तीसरी मंजिल में शिफ्ट कर दिया गया।

वहां किसी को जाने नहीं दिया गया। 8 अगस्त को चार बजे किसी तरह कोविड वार्ड पहुंचे। वहां एक मरीज से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि युवक सुबह 8 बजे ही डेड हो गया। बाहर गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी ने बताया कि 11-12 बजे युवक की मौत हो गई। सीएमओ डॉ यत्नेश से मरीज के भाई की बात कराई गई। डेड बाडी दिखने के लिए 9 अगस्त को बुलाया गया।

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सिर्फ 20 घंटे में कैसे मर गया

जनरल वार्ड से कोविड वार्ड में शिफ्ट करने के पहले विवेक की हालत में सुधार था। आसीजन भी हटा लिया गया था। वह पैदल घूम फिर रहा था। जैसे ही कोविड सेंटर में मरीज को भर्ती किया गया। उसके 20 घंटे बाद ही ऐसा या ट्रीटमेंट किया गया कि विवेक की मौत हो गई। विवेक की मौत ने कोविड सेंटर में चल रहे इलाज और प्रयोगों पर भी सवाल खड़े किए हैं।

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इंजेक्शन के नाम पर भी चल रहा प्रयोग

संजय गांधी अस्पताल में कोविड मरीजों पर चोरी चुपके गाइड लाइन से हट कर दवाइयां दी जा रही हैं। इंजेशन का भी प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में विवेक की मौत अस्पताल में चल रहे उपचार पर भी सवाल खड़े किए हैं। यह भी संभव है कि विवेक पर कोई नई दवा का प्रयोग किया गया हो। कई मरीजों को रेंडीसिविर इंजेशन लगाया जा रहा है। इसके लिए वसूली भी चल रही है।

दिनभर भटकते रहे परिजन

बेटे का शव गायब होने के बाद परिजन इधर उधर दिन भर भटकते रहे। उन्हें कहीं से भी न्याय नहीं मिला। थाना पहुंच कर शिकायत करने की भी कोशिश की गई। उनकी थाना में भी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। इस बड़ी लापरवाही के बाद संजय गांधी अस्पताल के डॉटर और प्रबंधन जिमेदारी लेने से बचते रहे।

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पुलिस वालों ने बताया कि कोरोना था

विवेक कुशवाहा को कोविड वार्ड में भर्ती किया गया। इसके पहले उसकी कोविड 19 जांच नहीं कराई गई थी। सिर्फ 20 घंटे के लिए कोविड में भर्ती होने के बाद उसकी मौत हो गई। इस दौरान उनके परिजनों को कोविड रिपोर्ट को लेकर भी जानकारी नहीं दी गई। मौत के बाद लाश लापता हुई तो पुलिस वालों ने कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी। कोविड रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में है।

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