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रीवा के शिक्षा विभाग का हाल, जहां हुई पहली पदस्थापना वहीं से हो जाते है सेवानिवृत्त, जुगाड़ से बनता है काम

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:24 AM GMT
रीवा के शिक्षा विभाग का हाल, जहां हुई पहली पदस्थापना वहीं से हो जाते है सेवानिवृत्त, जुगाड़ से बनता है काम
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रीवा. रीवा जिले के शिक्षा विभाग का ऐसा हाल है की यहाँ कोई नियम-कायदे और क़ानून नहीं होते. यहाँ जुगाड़, Source और Force बहुत काम की चीज़ है. इस

रीवा. रीवा जिले के शिक्षा विभाग का ऐसा हाल है की यहाँ कोई नियम-कायदे और क़ानून नहीं होते. यहाँ जुगाड़, Source और Force बहुत काम की चीज़ है. रीवा के शिक्षा विभाग में कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों का वर्चस्व ऐसा है की वे भोपाल तक के अधिकारियों और मंत्रालयों में जेब गरम कर विभाग में अपना सिक्का चलाते हैं. तभी तो जिसकी जहाँ पदस्थापना हो जाती है वह वहीँ से सेवानिवृत्त भी होता है.

अन्य विभागों की तुलना में शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग माना जाता है. यही कारण है कि चाहे किसी भी तरह का निर्वाचन हो, सर्वे हो, महामारी हो, जनगणना हो, शिक्षकों की सेवाएं आवश्यक रूप से इसमें ली जाती है. विद्यालय और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शासन समय-समय पर युक्ति-युक्त करण की प्रक्रिया को अपनाकर कई वर्षों से एक ही विद्यालय में जमे शिक्षकों को अतिशेष मानकर इधर से उधर करती है.

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युक्ति-युक्तकरण की प्रक्रिया तो प्रत्येक वर्ष अपनाई जाती है लेकिन वह महज कागजी खानापूर्ति तक ही सीमित रहती. जिन शिक्षकों को इधर से उधर किया भी जाता है उनमे उनकी मर्जी शामिल होती है. शहर से ग्रामीण विद्यालयों के रिक्त पदों पर भारी मात्रा में अतिथि शिक्षकों की भर्ती कर शासन को दोहरी क्षति पहुंचाई जाती है.

भले ही शासन की ओर से शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति पर पाबंदी है लेकिन सच्चाई यह है कि भारी मात्रा में शिक्षक अध्ययन अध्यापन छोड़ प्रतिनियुक्ति की आड़ लेकर अधिकारी बन जाते हैं. इनमें से जिनका जुगाड़ फेल हो जाता है वह संलग्नीकरण या किसी विशेष कार्य की समिति में अपना नाम शामिल करवा कर बड़े कार्यालयों में जम जाते हैं .

प्रतिनियुक्ति भी अलग-अलग पदों पर एक दो या 3 वर्ष के लिए की जाती है. लेकिन एक बार जिसने अपनी आमद दे दी तो वह कार्यालय छोड़ने का मोह भंग नहीं होता उसके लिए उसे जो भी जुगाड़ लगाना पड़े वह तैयार रहते है. अभी हाल ही में डीपीसी कार्यालय में ए.पी.सी के पद पर पदस्थ की प्रतिनियुक्ति 1 वर्ष के लिए की गई थी जो 1 वर्ष की आड़ में 2 वर्ष तक रहे हैं इसके बाद भी विद्यालय ना जाकर जुगाड़ लगाकर अपनी प्रतिनियुक्ति बिना किसी नए सिस्टम के आगे बढ़ा ली . तो वही बीआरसीसी के पद से हटाए गए कई बीआरसीसी स्कूल ना जाना पड़े इसके लिए नये नये जुगाड़ लगाकर पुनः बीआरसीसी बनना चाह रहे.

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हालांकि कार्यालयों में पदस्थ लिपिकों को 3 वर्ष में अन्यत्र स्थानांतरित करने के शासन के निर्देश हैं लेकिन वह निर्देश महज कागजी पूर्ति तक ही है. यदि इनकी जन्मकुंडली उठाई जाए तो यह प्रारंभ से जहां पदस्थ हैं वहीं से सेवानिवृत्त हो रहे है .

यही हाल स्कूलों में पदस्थ व्याख्याता, उच्च श्रेणी शिक्षक, सहायक शिक्षक, अध्यापक का है. यदि सच्चाई के साथ सूची तैयार की जाए तो लगभग 60% शिक्षक प्रारंभ से जहां पदस्थ हुए हैं वहीं से सेवानिवृत्त हो जाते है. चाहे जैसे भी किया जाए फिर जुगाड़ लगाने में इतने माहिर होते हैं कि कोई टस से मस नही कर पाता.

जिले में यदि शासन की योजनाओं का सही ढंग से रफ्तार के साथ के कि्यान्वयन करवाना है तो उसके लिए आवश्यक होगा कि 3 वर्षों से जो लिपिक जिस कार्यालय में पदस्थ हैं उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए . साथ ही 5 वर्षों से ज्यादा जो शिक्षक जहां पदस्थ हैं उन्हें अन्यत्र विद्यालय में स्थानांतरित किया जाए तभी शिक्षा का स्तर भी सुधरेगा. अन्यथा बस कागजी घोड़े दौड़ते रहेंगे. कार्यालय में जमे शिक्षकों की जिनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त हुई हैं उनका रिनूवल न कर नए व्यक्ति को मौका देते हुए उन्हें विद्यालय का रास्ता दिखाया जाए.

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रिटायर हो गए फिर भी बैठते हैं डीइओ कार्यालय में

इंद्रबली पटेल एवं रामलखन शर्मा दो ऐसे चेहरे हैं जो सेवानिवृत्त होने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बैठकर काम करते हैं. वास्तव में सच्चाई यह है कि सर्वाधिक भ्रष्टाचार डीईओ कार्यालय में ही है . कार्यालय में यदि सँलग्नीकरण पर नजर डालें तो लगभग आधा दर्जन शिक्षकों की फौज तैयार है .विद्यालय खुल जाने के बाद इनकी संख्या दर्जन से ऊपर हो जाती है जो रमसा, परीक्षा सेक्शन, कंप्यूटर रूम, या अन्य किसी शाखा में जुगाड़ लगाकर अटैच हो जाते हैं.

10 वर्षों से लगातार अटैच है व्याख्याता बी.डी त्रिपाठी

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बी.डी.त्रिपाठी एक ऐसा नाम है जो चाहे जितने डीईओ बदल जाए लेकिन उनको टस से मस करने की हिम्मत किसी भी अधिकारी में नहीं. यहां यह बताना आवश्यक है कि बी.डी त्रिपाठी को राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था लेकिन सच्चाई है कि यह पुरस्कार इन्हें बिना पढ़ाये का दिया गया है. जिस समय उन्हें पुरस्कार दिया गया उसके 3 वर्ष पूर्व से इन्होंने स्कूल में न तो किताब छूई और ना हीं स्कूल का मुंह देखा हां ऑफिस में रहकर अधिकारियों की सेवा अवश्य की.

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डीइओ ऑफिस के संलग्नीकरण पर एक नजर

1. वी.डी. त्रिपाठी व्याख्याता, मूल पदस्थापना शाउमावि कन्या गोविंदगढ़. 2. संतोष कुमार पांडेय प्रधानाध्यापक, मूल पद स्थापना खौर कोठी 3, आर.एस. चतुर्वेदी व्याख्याता मनिकवार 4, द्रोणाचार्य पांडे लिपिक मूल पदस्थापन रायपुर कर्चुलियान 5, हरिहर पटेल अन्वेषक मूल पदस्थापना हनुमना 6- कमलेश पांडे अध्यापक 7- मिथिलेश बुनकर सहायक अध्यापक 8- अतुल उपाध्याय अध्यापक 9- दिवाकर पांडे सहायक अध्यापक 10- विजय शर्मा लिपिक 11- शिवनाथ पटेल भृत्य 12- धर्मपाल पटेल भृत्य 13- रामराज् शुक्ला, भृत्य 14- विजय शर्मा सहा अध्यापक

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बीईओ कार्यालय रीवा में संलग्नीकरण

बीईओ कार्यालय रीवा में पर्याप्त विभागीय अमला है. यहा चार से पांच लिपिक पदस्थ हैं, चौकीदार, एवं भृत्य पदस्थापन होने के बावजूद भी अनाधिकृत तरीके से अटैचमेंट किया गया. एक नजर.. 1- उमा शंकर पांडे शाहगढ़ दो मूर्ति स्थापना खैरा चौरहटा 2- दिलीप सिंह सहायक ग्रेड 3 मूल स्थापना शिवपुरवा 3- उमेश साकेत भृत्य, शिवपुरवा कमिश्नर ऑफिस में अटैचमेंट 1- सतीश कुमार निगम मूल पद स्थापना सामाजिक न्याय विभाग 2- शेषमणि मिश्रा लिपिक मूल पदस्थापन जेडी ऑफिस रीवा

जिला पंचायत में अटैचमेंट

1- अखिलेश मिश्रा लिपिक बीईओ कार्यालय हनुमना 2- राहुल वर्मा भृत्य हर्दी कपसा

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ईवीएम मशीन के नाम पर कई वर्षों से कलेक्ट्रेट में अटैच

1- सोमेश डाकपाले प्राचार्य 2- प्रदीप सिंह प्राचार्य 3- फैज अहमद सिद्दीकी व्या. 4- शरद द्विवेदी सहा. शिक्षक 4- अविनाश गौतम सहा शिक्ष. 5- अरुण शुक्ला सहाशिक्षक 6- पवन पांडे सहायक शिक्षक 7- सुनीत शुक्ला सहाअध्यापक 8- विमलेश गौतम सहा अध्या. 9- राजेश सिंह, व्या. 10- प्रभाकर सिंह, व्या.

उपरोक्त कर्मचारी की ड्यूटी ईवीएम में किसी विशेष कार्य के लिए लगाई जाती है लेकिन जब एक बार अपनी आमद दे देते हैं तो फिर एक 1 साल ईवीएम के नाम पर अटैच रहते हैं.

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कलेक्टर कार्यालय में अटैचमेंट

1- रमेश तिवारी सहायक शिक्षक 2- अशोक शुक्ला सहायक अध्यापक

विभिन्न कार्यालयों में भारी मात्रा में शिक्षकों के अटैचमेंट के बावजूद अधिकारी स्कूल जाने वाले शिक्षकों के ऊपर जब कार्यवाही करते हैं तब उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े होते. नवागत जिला कलेक्टर रीवा को चाहिए कि संबंधित विभाग प्रमुखों को तत्काल निर्देशित करें कि शिक्षा विभाग के समस्त लिपकीय एवं शिक्षकीय अमले का सँलग्नीकरण तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए एवं युक्ति युक्त करण की कार्यवाही प्रारंभ करते हुए शहर के शा.उ.मा.वि.मार्तंड 3, मार्तंड 2, पीके स्कूल, एस.स्कूल, निपनिया जैसे जिले के अन्य सभी प्राथमिक एवं माध्यमिक माध्यमिक विद्यालयों में क्षमता से ज्यादा भरे हुए शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों की रिक्त स्कूलों में पदस्थ किया जाए.

इसके बाद यदि शिक्षकों की आवश्यकता होती है तब अतिथि शिक्षक भरे जाएं जिससे शासन को करोड़ों रुपए जो अतिथि शिक्षकों को भुगतान किया जाता है उसकी बचत होगी.

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