राष्ट्रीय

पैतृक गांव में भावुक हुए महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भू-धरा को ऐसे किया नमन, कहा लोकतांत्रिक व्यवस्था ने दिया यह दायित्व

पैतृक गांव में भावुक हुए महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भू-धरा को ऐसे किया नमन, कहा लोकतांत्रिक व्यवस्था ने दिया यह दायित्व
x
पैतृक गांव में भावुक हुए महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भू-धरा को ऐसे किया नमन, कहा लोकतांत्रिक व्यवस्था ने दिया यह दायित्व कानपुर। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) पैतृक गांव में भावुक नजर

पैतृक गांव में भावुक हुए महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भू-धरा को ऐसे किया नमन, कहा लोकतांत्रिक व्यवस्था ने दिया यह दायित्व

कानपुर। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) पैतृक गांव में भावुक नजर आये और उतरते ही अपनी भू-धरा को नमन किये। दरअसल राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार वे रविवार को यूपी के कानपुर देहात स्थित अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे थें। यहां आने के बाद वे भावुक नजर आए। हेलीपैड पर उतरकर उन्होंने अपनी जन्मभूमि पर नतमस्तक होकर भू-धरा को स्पर्श किया और उसे माथे से लगाया।

लोकतांत्रिक व्यवस्था ने दिया यह दायित्व

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैंने सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा, लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया।

संबोधन में कहीं यह भी बातें

अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने मंच से अपने दिल की बात कही। उन्होंने कहा, ’मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें सदैव मेरे दिल में रहती है। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे आगे बढ़कर देश-सेवा की प्रेरणा सदैव मिलती रही।

उन्होने कहा कि माता-पिता और गुरु का सम्मान ही हमारी भारतीय संस्कृति है। इस दौरान उन्होने संविधान-निर्माताओं एवं स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन किया।

Shashank Dwivedi | रीवा रियासत

Shashank Dwivedi | रीवा रियासत

    Next Story