मध्यप्रदेश

MP / नवनियुक्त विस अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा कार्यवाही की प्रणाली में किया बड़ा बदलाव, यहाँ पढ़ें...

MP / नवनियुक्त विस अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा कार्यवाही की प्रणाली में किया बड़ा बदलाव, यहाँ पढ़ें...
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भोपाल। पहली बार विधायक चुने गये विधायकों को अब सवाल करने के लिये विधानसभा में मौका मिलेगा। विधानसभा में यह नया प्रयोग होने जा रहा है। हर सत्र में एक दिन ऐसा होगा, जब प्रश्नकाल के दौरान केवल नए विधायक ही सवाल करेंगे और सरकार की तरफ से मंत्री जवाब देंगे। यह जानकारी विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा के दौरान दी है।

भोपाल। पहली बार विधायक चुने गये विधायकों को अब सवाल करने के लिये विधानसभा में मौका मिलेगा। विधानसभा में यह नया प्रयोग होने जा रहा है। हर सत्र में एक दिन ऐसा होगा, जब प्रश्नकाल के दौरान केवल नए विधायक ही सवाल करेंगे और सरकार की तरफ से मंत्री जवाब देंगे। यह जानकारी विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा के दौरान दी है।

उन्होने बताया कि बजट सत्र के दौरान 15 मार्च को ऐसा पहली बार करने की तैयारी है। इस दौरान वरिष्ठ विधायकों को प्रति प्रश्न करने की अनुमति भी नहीं होगी।

लॉटरी से प्रश्नों का होता है चयन

दरअसल प्रश्नों का चयन लॉटरी के माध्यम से होता है। जिसे विधायकों द्वारा ही पर्ची निकाली जाती है। हालांकि सरकार सभी प्रश्नों का विभागवार लिखित में जवाब देती है। लेकिन लॉटरी के माध्यम से जिन प्रश्नों का चयन होता है, उस पर सदन में संबधित विधायक को प्रति प्रश्न सरकार से पूछने का अधिकार होता है। संबधित विभाग का मंत्री सदन में जवाब देते हैं। हर सत्र में बैठक के दिन प्रश्नकाल के लिए 1 घंटे का समय निर्धारित है।

पहली बार के विधायकों का लिया जायेगा सवाल

विधानसभा अध्यक्ष श्री गौतम ने कहा कि 15 मार्च के लिए लॉटरी में सिर्फ पहली बार के विधायकों के प्रश्नों को ही लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था से नए विधायकों को सरकार से सवाल-जवाब का मौका मिलेगा और उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि विधायकों को सदन में संरक्षण देना अध्यक्ष की नैतिक जिम्मेदारी है।

सभापति की कुर्सी पर बैठेगी महिला

विधानसभा की कार्रवाई चलाने के लिये महिला को मौका दिये जाने पर विधानसभा में विचार किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 8 मार्च को महिला दिवस है। इस अवसर पर महिला सभापति को कुर्सी पर बैठाया जायेगा और कार्यवाही को संचालित करने का अवसर दिया जाएगा।

हालांकि ऐसा वर्ष 2013 से 2018 के बीच हो चुका है, जब महिला सभापति को आसंदी पर बैठाया गया था और अधिकांश सवाल महिला विधायकों ने ही पूछे थे।

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