मध्यप्रदेश

हमारे महान देश की महान परम्परा, खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे दंग..

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:36 AM GMT
हमारे महान देश की महान परम्परा, खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे दंग..
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हमारे महान देश की महान परम्परा, खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे दंग..रीवा। हम सभी जीवों में ईश्वर का दर्शन करते हैं। किसी को छोटा नहीं

महान देश की महान परम्परा, पढ़िए पूरी खबर…..

रीवा। हम सभी जीवों में ईश्वर का दर्शन करते हैं। किसी को छोटा नहीं नहीं समझते। पशु, पक्षी, जीव, जंतु, पेड़-पौधे, जंगल, पहाड़, नदी-तालाब, मिट्टी सहित इस सृष्टि में विद्यमान वस्तु में ईश्वर की अनुभूति का अनुभव करते हैं। सबको मानने की सनातनी परम्परा ही सभी धर्मो को मानने, सभी धर्म अनुयाइयों का सम्मान करने की सीख देती है। इसीलिए हमारा सनातन धर्म सबसे महान है और भारत देश महान है, यहां के रहवासी-निवासी महान हैं।

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दशहरा में नीलकंठ का दर्शन फलदायी

भगवान को शिवबाबा का एक नाम नीलकंठ है। शायद यही कारण है कि दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना काफी शुभ माना गया है। इस पक्षी में भगवान भोलेनाथ का प्रताप देखते हैं। दशहरा में नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से मानो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होंगे और कृपा बरसेगी। नीलकंठ के दर्शन कर बच्चे, बूढ़े, युवा, महिलाएं सभी काफी प्रसन्न होते हैं।

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यदि सुबह-सुबह कहीं बैठे नीलकंठ के दर्शन हो गये मानो वह दिन काफी शुभ है और लोग प्रसन्न चित रहते हैं। वैसे तो नीलकंठ का दर्शन होना हर दिन के लिए शुभ है लेकिन ऐसा होता नहीं कि हर दिन आपको नीलकंठ का दर्शन हो सके। यदि हो गया तो वह दिन काफी फलदायी होगा। ऐसा लोग महसूस भी करते हैं। इसके अलावा अन्य मान्यताओं के अनुसार भी नीलकंठ का दर्शन शुभ माना गया है और लोगों की कोशिश होती है कि नीलकंठ का दर्शन हो जाय।

इनके दर्शन भी शुभकर

हिंदू धर्म में इन जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों का दर्शन काफी शुभ माना गया है और इनमें ईश्वर का विशेष अंश माना जाता है। जिनमें तुलसी, पीपल, बरगद, नीम, केला, गाय, नेवला, मोर, सर्प, हाथी आदि प्रमुख हैं। जबकि इनके अलावा अभी अन्य जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी हैं जिन्हें अलग-अलग विशेष दिवसों में पूज्य माना गया है।

दशहरा मतलब सबकुछ शुभ ही शुभ

दशहरा एक ऐसा पर्व एवं त्योहार है जिस दिन सबकुछ शुभ ही शुभ माना गया है। इस दिन कोई कार्य अशुभ नहीं हो सकता। कोई भी कठिन से कठिन कार्य इस दिन शुभ माना जाता है और फलदायी है। बिना सोचे विचारे इस दिन किसी भी तरह का कार्य चाहे सांस्कृतिक हो अथवा व्यवसायिक आपको निराश नहीं होना पड़ेगा। ऐसी लोगों की मान्यताएं और भावनाएं हैं। और फिर कहा ही गया है कि जाकी रही भावना जैसी…. यदि भावनाएं सही हैं तो फल अच्छा ही मिलेगा।

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