जबलपुर

10वीं से लेकर पीजी की फेक डिग्री बनाने वाला गिरोह पकड़ाया, 20 से 30 हजार में देते थे फर्जी मार्कशीट

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:35 AM GMT
10वीं से लेकर पीजी की फेक डिग्री बनाने वाला गिरोह पकड़ाया, 20 से 30 हजार में देते थे फर्जी मार्कशीट
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10वीं से पीजी तक की फेक डिग्री बनाने वाले एक गिरोह को पुलिस ने पकड़ा है। इस गिरोह के तीन सदस्य को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह पिछले कई

10वीं से लेकर पीजी की फेक डिग्री बनाने वाला गिरोह पकड़ाया, 20 से 30 हजार में देते थे फर्जी मार्कशीट

जबलपुर। 10वीं से पीजी तक की फेक डिग्री बनाने वाले एक गिरोह को पुलिस ने पकड़ा है। इस गिरोह के तीन सदस्य को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह पिछले कई सालों से इस गोरखधंधे में लिप्त था।

पुलिस को लम्बे समय से फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह की शिकायत मिल रही थी। लेकिन ये पुलिस को चकमा देने में कामयाब हो जाते थे। बीते दिनों मुखबिर से सूचना मिली। जिस पर क्राईम ब्रांच पुलिस ने इन्हें धर दबोचा है। पकड़े गए सभी आरोपियों से पुलिस द्वारा पूछताछ की जा रही है।

ऐसे सामने आया मामला

मीडिया रिपोर्ट्स की माने फर्जी मार्कशीट बनाने का मामला तब प्रकाश में आया जब एक युवक उक्त मार्कशीट के जरिए नौकरी के लिए एप्लाई किया। इस दौरान जब दस्तावेजों की जांच हुई तो उक्त युवक की मार्कशीट फर्जी पाई गई। आनन-फानन में युवक ने फर्जी मार्कशीट होने की शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने मामला कायम करके युवक की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की। लेकिन फर्जी मार्कशीट तैयार करने वाला गिरोह पकड़ में नहीं आ रहा था। पुलिस को लम्बे समय से इस गिरोह की तलाश थी। बीते दिनों मुखबिर से सूचना मिली। जिस पर पुलिस तत्परता दिखाते हुए इन्हें धर दबोचा।

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ऐसे बनाते थे शिकार

खबरों की माने तो फर्जी मार्कशीट तैयार करने वाले लोग छात्रों को एक वेब साइट के जरिए शिकार बनाते थे। वह इस वेबसाइट के माध्यम से उन सभी छात्र-छात्राओं से संपर्क करते थे जो 10वीं एवं 12वीं में फेल हो चुके हैं। इन छात्रों को यह गिरोह परीक्षा में न बैठने एवं पास होने जैसी गारंटी देकर पैसे ऐंठता था और फिर इन्हें फर्जी मार्कशीट पकड़ाकर चलता बनता था।

20 से 30 हजार में होता था सौदा

मीडिया रिपोर्ट्स में माने तो फर्जी वेबसाइट तैयार करने वाले गिरोह छात्रों से 20 से 30 हजार रूपए ऐंठते थे। इस दौरान ये लोग छात्रों को यह भरोसा दिलाते थे कि उन्हें परीक्षा में नहीं बैठना पड़ेगा और इनके अच्छे माक्र्स भी आएंगे। अच्छे माक्र्स एवं परीक्षा न देने की लालच में ये छात्र इनके जाल में फंस जाते थे और वह इनसे मोटी रकम वसूलते थे।

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