मध्यप्रदेश

Shahdol में एक साथ 11 श्रमिकों को दफनाया गया, Umaria में जलीं 4 चिताएं

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:21 AM GMT
Shahdol में एक साथ 11 श्रमिकों को दफनाया गया, Umaria में जलीं 4 चिताएं
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Shahdol में एक साथ 11 श्रमिकों को दफनाया गया, Umaria में जलीं 4 चिताएंMP: औरंगाबाद रेल हादसे में जान गंवाने वाले मध्य प्रदेश के Shahdol व 

Shahdol में एक साथ 11 श्रमिकों को दफनाया गया, Umaria में जलीं 4 चिताएं

MP: औरंगाबाद रेल हादसे में जान गंवाने वाले मध्य प्रदेश के Shahdol व Umaria जिलों के 16 श्रमिकों का शनिवार को उनके गांवों में अंतिम संस्कार किया गया। शहडोल के अंतौली गांव में एक साथ नौ शवों को और दो अन्य को उनके गांवों में दफनाया गया। वहीं, उमरिया के नेउसा गांव में एक साथ चार मजदूरों की चिताएं जलीं और एक अन्य मजदूर का अंतिम संस्कार ग्राम चिल्हारी में किया गया। 11 मजदूरों के शव शनिवार शाम चार बजे विशेष ट्रेन से शहडोल रेलवे स्टेशन लाए गए। यहां से एंबुलेंस से नौ शव अंतौली, एक-एक शव शहरगढ़ और बैरिहा गांव भेजे गए और उन्हें दफना दिया गया। इससे पहले पांच शव उमरिया रेलवे स्टेशन पर उतारे गए।

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कोरोना संक्रमण के कारण सभी शवों को बहुत ही सावधानी से रखा गया था। सभी शवों की पहचान करने के बाद उनके ऊपर नाम की चिट चिपका दी गई थी। जब शव दफनाने की बारी आई तो नाम पढ़कर उनके स्वजनों को बताया गया और उन्हें दूर से ही अंतिम प्रणाम करने का अवसर दिया गया। स्वजन बार-बार अंतिम बार चेहरा देखने की मांग करते रहे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें शव के पास नहीं जाने दिया। एएसपी ने पढ़ा गायत्री मंत्र एएसपी प्रतिमा एस मैथ्यूज ने गायत्री मंत्र पढ़कर शव को दफनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। अंत्येष्टि के काफी देर बाद तक अधिकारी गांव में ही डटे रहे।

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बूढ़े पिता के रुदन से नम हुई कलेक्टर की आंखें

उमरिया जिले के ग्राम नेउसा में एक साथ चार मजदूरों की अर्थियां उनके घरों से निकलीं। अपने जवान बेटों के शवों को देख रोते हुए बूढ़े पिता जोधी सिंह और चैन सिंह को देखकर हर किसी की आंखें नम थीं। इस दृश्य ने कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी की आंखों को भी नम कर दिया। वहीं ग्राम पंचायत चिल्हारी के अच्छेलाल कुशवाहा का भी अंतिम संस्कार किया गया।

मैंने सभी को बचाने की कोशिश की : वीरेंद्र सिंह हादसे में घायल उमरिया का वीरेंद्र सिंह घर पहुंचते ही बेसुध हो गया। थोड़ी देर बाद उसने बताया कि उसने ट्रेन को आते देख लिया था और चीख-चीखकर अपने साथियों को आवाज लगाई थी, लेकिन कोई भी नींद से नहीं जागा। हादसे में उसके भाई बिगेंद्र सिंह की भी मौत हो गई है।

कोरोना के कारण शव स्वजनों को नहीं देते हुए उन्हें दफना दिया गया। कुछ स्वजन मुआवजा राशि को लेकर बात कर रहे थे, जिन्हें समझा दिया गया है। -डॉ. अशोक भार्गव, कमिश्नर, शहडोल संभाग

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