मध्यप्रदेश

20 साल के अनुभव के साथ सबको मात देकर CM SHIVRAJ ने की सत्ता काबिज, अब CORONA के साथ खुद की छवि मजबूत करने की चुनौती : KHULA KHAT

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:18 AM GMT
20 साल के अनुभव के साथ सबको मात देकर CM SHIVRAJ ने की सत्ता काबिज, अब CORONA के साथ खुद की छवि मजबूत करने की चुनौती : KHULA KHAT
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20 साल के अनुभव के साथ सबको मात देकर CM SHIVRAJ ने की सत्ता काबिज अब CORONA के साथ खुद की छवि मजबूत करने की चुनौती

20 साल के अनुभव के साथ सबको मात देकर CM SHIVRAJ ने की सत्ता काबिज, अब CORONA के साथ खुद की छवि मजबूत करने की चुनौती

MP में SHIVRAJ SINGH की सत्ता में वापसी ऐसे समय हुई जब कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से सिर उठा रहा था। कोरोना संकट ने SHIVRAJ SINGH की चुनौतियां बढ़ा दी हैं, लेकिन उन्हें समस्याओं के बीच सत्ता चलाने का लंबा अनुभव है। हालांकि उनकी सत्ता में वापसी जिस तरह से हुई है शायद इस संदर्भ में ही मार्को रूबियो ने कहा था-एक मतदान या किसी एक चुनाव के परिणामों से नेतृत्व क्षमता नहीं आंकी जा सकती। इसकी वास्तविक परख केवल समय के आधार पर की जा सकती है, वह भी 20 साल के कार्यों के आधार पर, 20 दिन के नहीं।

2005 से है राजनीती का अनुभव

CHAUHAN की नवंबर 2005 से आज तक की राजनीतिक यात्रा पर नजर डालें तो वह एक परिपक्व राजनीतिज्ञ नजर आते हैं। ऐसा नेता जिसकी वैचारिक दृढ़ता तथा कार्यशैली का प्रभाव जमीनी सतह पर भी दिखाई पड़ता है। नए-नए आइडियाज लाने तथा चुनावी मैदान में विजय पताका फहराने के वह माहिर हैं। अलबत्ता वास्तविक रूप में बारीकी से विश्लेषण करने पर उनके कामकाज में कई कमियां नजर आने लगती हैं। अब MP के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में उनके दोबारा सत्तासीन होने से नई चुनौतियां आ गई हैं।

social engineering को श्रेय

इस समय भाजपा को MP में दोबारा सत्तासीन करने का पूरा श्रेय CHAUHAN की social engineering को दिया जाना चाहिए। राजनीतिक नैतिकता भले राज्य में सत्ता पाने के लिए भाजपा द्वारा अपनाए गए हथकंडों की आलोचना करे, लेकिन ‘Real politics’ की भाषा में CHAUHAN ने अमित शाह व अटल बिहारी वाजपेयी के मिश्रण से निकली राजनीति का उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में लाना कोई आसान काम नहीं था, क्योंकि ग्वालियर व चंबल क्षेत्र के भाजपा नेता ‘महल’ की राजनीति का प्रबल विरोध करते आ रहे थे। MP विधानसभा के 2018 में हुए चुनाव में खुद SHIVRAJ ने ‘माफ करो महाराज’ का नारा दिया था। परंतु जैसे ही सिंधिया का कांग्रेस से मोहभंग हुआ, CHAUHAN ने भाजपा में उनका खुले दिल से स्वागत किया। यह लचीलापन SHIVRAJ के व्यक्तित्व तथा उनकी राजनीति के बारे में बहुत कुछ कहता है।

कई राहत भरी योजनाएं चलाई

बतौर मुख्यमंत्री अपने तीन कार्यकाल में SHIVRAJ SINGH CHAUHAN ने राज्य की पंचायतों को व्यवस्थित किया तथा असंगठित क्षेत्र के लिए अनेक राहत भरी योजनाएं चलाईं। उनकी बदौलत वह एक सादगी-पसंद नेता की अपनी छवि गढ़ पाए। प्रदेश की बालिकाओं के लिए लाई गई उनकी योजनाओं के चलते उन्हें ‘मामा’ की उपाधि ही मिल गई। सार्वजनिक सेवाओं से जुड़े लोगों में दायित्वबोध पैदा करने तथा कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए CHAUHAN ने कुछ कानून बनाए। इसके द्वारा राज्य सरकार को यह अधिकार दे दिए गए कि वह आरोपित की अवैध संपत्ति छह माह में जब्त कर सके तथा एक साल के भीतर उसके खिलाफ फैसला कर दे। इस प्रकार जब्त की गई संपत्ति को जन कल्याण के कार्यों में इस्तेमाल किए जाने का प्रावधान भी इस कानून में रखा गया। हालांकि व्यावसायिक परीक्षा मंडल अर्थात व्यापमं के घोटाले के बीच राज्य सरकार की अक्षमता ने इस कानून को ज्यादा प्रभावी नहीं होने दिया जिसका उनकी छवि को खासा नुकसान भी पहुंचा।

सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने में सफल रहे

प्रदेश का सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने में भी SHIVRAJ सफल रहे। इसका सटीक उदाहरण उन्होंने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील ‘धार’ में प्रस्तुत किया जहां बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद तथा आरएसएस के लोगों द्वारा भारी विरोध किए जाने के बावजूद 16वीं शताब्दी की मस्जिद में जुमे की नमाज अदा कराई। अपने कार्यकाल में CHAUHAN ने प्रदेश के अल्पसंख्यकों का विशेष ध्यान रखा। स्कूली पाठ्यक्रम में गीता पाठ शामिल करना, सूर्य नमस्कार, भोजन मंत्र, वंदे मातरम गान जैसे मुद्दों का राज्य के अल्पसंख्यकों द्वारा विरोध करने पर मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक विद्यार्थियों व सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को इनसे छूट दे दी।

जबरिया धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए MP धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2013 का मुस्लिम व ईसाई समुदाय ने विरोध किया कि दोनों समुदायों के खिलाफ इसका दुरुपयोग किया जाएगा, लेकिन कानून बन जाने के बाद ऐसी कोई शिकायत नहीं पाई गई। इसी तरह MP गौवंश प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक के साथ भी हुआ। इसके कुछ प्रावधान, जैसे गौ वध करने वाले को सात साल की जेल, अति भयावह तक करार दिए गए, परंतु इस कानून के दुरुपयोग की भी कोई शिकायत नहीं मिली। राज्य के मुसलमानों सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदाय सामाजिक स्तर पर भी CHAUHAN द्वारा चलाई गई योजनाओं से लाभान्वित होते रहे।

उदाहरणार्थ तीर्थ दर्शन योजना ले लें। इसमें 60 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को देश-प्रदेश के विभिन्न धर्म स्थलों की यात्रा मुफ्त कराई जाती थी। अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हजारों नागरिकों ने इस धार्मिक यात्रा का लाभ लिया। एक संकोची स्थानीय नेता से प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के उपाध्यक्ष बनने और फिर मुख्यमंत्री बनने तक SHIVRAJ SINGH CHAUHAN ने लंबा सफर तय किया। कर्मठ व समर्पित सेवक की तरह वह निज स्वार्थ वाली राजनीति से बच निकले। लेकिन इस लंबी यात्रा में कुछ ऐसे दाग उनके दामन पर लग गए, जिनसे वे बच सकते थे।

अब उन्हें फिर मौका मिला है। ऐसे में भ्रष्टाचार व भाई- भतीजावाद के प्रति उन्हें जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी होगी। एक जीवंत व समृद्ध तथा आमजन की सहभागिता से भरपूर प्रजातंत्र के लिए आवश्यक है कि कानून व्यवस्था सुदृढ़ हो, नागरिक अधिकारों का सम्मान, वंचितों को अधिकार मिलें तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा केवल बातों तक ही सीमित न रह कर व्यवहार में भी दिखे। SHIVRAJ SINGH CHAUHAN इनका महत्व समझते हैं। निश्चित ही वह इन सभी पहलुओं पर यथोचित ध्यान देंगे और उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।

Aaryan Dwivedi

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