मध्यप्रदेश

KAMALNATH के इस्तीफे के बाद उनका एक डायलॉग ने भाजपा की नींद उड़ाई 'आज के बाद कल आता है' क्या सच में कांग्रेस मध्यप्रदेश में भाजपा की नींद उड़ा देगी?

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:16 AM GMT
KAMALNATH के इस्तीफे के बाद उनका एक डायलॉग ने भाजपा की नींद उड़ाई आज के बाद कल आता है क्या सच में कांग्रेस मध्यप्रदेश में भाजपा की नींद उड़ा देगी?
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राजनीति में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का गिरना और राहुल गांधी के दाहिने हाथ सिंधिया का
राजनीति में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का गिरना और राहुल गांधी के दाहिने हाथ सिंधिया का भगवाई होना इसी कहावत को साबित कर रहा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक ट्वीट ने काफी धमाल मचा दिया है।
शुक्रवार को कमलनाथ ने इस्तीफा देने से पहले कहा था कि राजनीति में आज के बाद कल आता है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के इस ट्वीट के बाद अब कमलनाथ के इस वाक्य का भी मतलब निकाला जा रहा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के ग्वालियर चंबल संभाग के ही एक नेता का कहना है कि भाजपा को भाजपा के ही नेता चैन से नहीं बैठने देंगे। सूत्रों का कहना है कि बस मध्यप्रदेश में नई सरकार बन जाने और मुख्यमंत्री को शपथ ले लेने दीजिए। बताते हैं कि भाजपा में भी मुख्यमंत्री पद को लेकर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी और राज्यसभा सदस्य ने ऑफ द रिकार्ड कहा कि राजनीति में बहुत कुछ चलता रहता है। आप सबको संतुष्ट नहीं कर सकते। शीर्ष नेतृत्व दमदार हो तो विभीषण नहीं पैदा हो पाते। भाजपा नेता का कहना है कि हर पार्टी में कई मुख्यमंत्री के चेहरे होते हैं। बनता कोई एक है। सवाल यह है कि पार्टी और संगठन पर शीर्ष नेतृत्व की पकड़ कैसी है। भाजपा नेता का कहना है कि ज्योतिरादित्य की तरह इससे पहले अजीत पवार भी भाजपा के साथ आए थे, लेकिन शरद पवार के मजबूत जबड़े से अजीत पवार को नहीं खींचा जा सका।
साथ आए विधायक भी लौट गए थे। मध्यप्रदेश भाजपा के एक अन्य नेता का कहना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जब दमदार होता है तो विभीषण पैदा होने की गुंजाइश न के बराबर रहती है। अभी राजनीति का कई खेल बाकी है।

बताते हैं कि मध्यप्रदेश में राजनीति के अभी कई खेल बाकी हैं। भाजपा के लिए पहली दुविधा अपना मुख्यमंत्री का चेहरा और मंत्रिमंडल का बंटवारा करने की है। दूसरी बड़ी दुविधा राज्य में होने वाले उपचुनाव में कम से कम 10-12 सीटें जीतने की भी हैं।
समझा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले जाने से यह रास्ता बहुत आसान नहीं है। माना जा रहा है कि उपचुनाव के बाद कांग्रेस की स्थिति सुधरने पर एक बार फिर सत्ता पाने, बचाने की होड़ लग सकती है। तब कमलनाथ के फिल मुख्यमंत्री के तौर पर मध्यप्रदेश तिरंगा फहराने की स्थिति आ सकती है। अभी यह केवल कयासबाजी है।
Aaryan Dwivedi

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