मध्यप्रदेश

ताबड़तोड़ नियुक्तियां कर रही है कमलनाथ सरकार, शिवराज सिंह पहुंचे राज्यपाल के पास

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:14 AM GMT
ताबड़तोड़ नियुक्तियां कर रही है कमलनाथ सरकार, शिवराज सिंह पहुंचे राज्यपाल के पास
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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वीडी शर्मा, गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह के साथ मंगलवार शाम को अचानक राजभवन पहुंचे। भाजपा

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच मंगलवार को शाम को अचानक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन राजभवन पहुंचे। भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के राजभवन के बाहर हलचल तेज हो गई है। आधे घंटे बाद राजभवन से बाहर आकर उन्होंने मीडिया को भी राज्यपाल से हुई बातों को साझा किया। Kamal Nath government is making quick appointments, Shivraj Singh reaches Governor

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वीडी शर्मा, गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह के साथ मंगलवार शाम को अचानक राजभवन पहुंचे। भाजपा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के अचानक राजभवन पहुंचते ही हलचल फिर तेज हो गई है।

राजभवन से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि नियुक्तियों को लेकर राज्यपाल से चर्चा हुई है। चौहान ने कहा कि बेशर्म सरकार नियुक्तियों पर नियुक्तियां कर रही हैं। लोग सरकार से परेशान हैं।

चौहान ने कहा कि राज्यपाल ने दो बार पत्र लिखा, फिर भी कमलनाथ सरकार ने फ्लोर टेस्ट नहीं किया। सरकार से जनता प्रताड़ित हो रही है। अल्पमत की सरकार नियुक्तियां कर रही हैं। यह नियुक्तियां असंवैधानिक है। चौहान ने सभी नियुक्तियां रद्द करने की भी मांग की।

चौहान ने बंगलुरू में रह रहे विधायकों के बारे में कहा कि बेंगलुरू में विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। साफ है कि उन्हें बंधक नहीं बनाया गया है। कमलनाथ सरकार के पास बहुमत नहीं है।

दस दिनों से चल रहा है सियासी घमासान मध्यप्रदेश में पिछले 10 दिनों से भी अधिक समय से सियासी घमासान चल रहा है। सोमवार को सुबह विधानसभा की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण से हुई थी और एक मिनट के ही भाषण के बाद राज्यपाल वहां से चले गए। इसके बाद स्पीकर ने 26 मार्च तक कोरोना वायरस के चलते विधानसभा स्थगित कर दी। इसके बाद भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। साथ ही सभी 106 भाजपा विधायकों की राजभवन में परेड कराई गई। शाम होते-होते राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने को कहा, साथ ही यह भी कहा कि यदि कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट नहीं कराती है तो माना जाएगा कि वो अल्पमत में आ गई है। इसके बाद शाम को कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात भी की थी। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर राज्यपाल की विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ ठन गई है। दोनों में ही पत्राचार के जरिए शीतयुद्ध शुरू हो गया है।

बहुमत साबित कर लेगी कमलनाथ सरकार इससे पहले मंगलवार को दोपहर में कांग्रेस ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर बेंगलुरू में रुके हुए विधायकों को बंधक बनाए रखने के आरोप लगाए। पत्रकार वार्ता में जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने मीडिया के कई सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि उनसे वीडियो भी इस तरह बनवाए गए हैं, जैसे किसी ने उनके ऊपर बंदूक लगा रखी हो। उन्होंने कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि पहले निष्कासित मंत्री कमलनाथ सरकार की उपलब्धि बताते थे, लेकिन अचानक उनके सुर बदल गए हैं। पीसी शर्मा ने इस दौरान मीडिया के समक्ष कुछ वीडियो भी दिखाए जिसमें पहले और अब की बातें सुनाई गई।

कांग्रेस ने भी दाखिल की याचिका दिल्ली से खबर है कि कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके 16 विधायकों को वापस लाने की मांग की। कांग्रेस ने कहा है कि इन विधायकों की अनुपस्थिति में बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता है।

भाजपा की याचिका पर सुनवाई बुधवार को इससे पहले भाजपा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 26 तक विधानसभा को स्थगित करने को चुनौती दी थी। यह याचिका भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से लगाई गई थी। सुनवाई के लिए मंगलवार का दिन तय था, लेकिन कांग्रेस का पक्ष जानने के लिए कोर्ट ने मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्य सचिव को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। अब कांग्रेस की तरफ से बुधवार को सुबह पक्ष सुना जाएगा।

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