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वक्त के साथ ऐसे आ रहा है महिलाओं की स्थिति में बदलाव | PHOTOS

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:00 AM GMT
वक्त के साथ ऐसे आ रहा है महिलाओं की स्थिति में बदलाव | PHOTOS
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भारत में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नहीं रही है। इसमें युग के अनुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक उनकी स्थिति में अनेक उतार-चढ़ाव आए हैं। वेद नारी को अत्यंत महत्वपूर्ण गरिमामय, उच्च स्थान प्रदान करते हैं। वेदों में स्त्रियों की शिक्षा-दीक्षा, शील, गुण, कर्तव्य, अधिकार और सामाजिक भूमिका का जो सुंदर वर्णन पाया जाता है, वह विश्व के अन्य किसी धर्मग्रंथों में नहीं देखने को मिलता। वेद उन्हें घर की साम्राज्ञी कहते हैं और देश की शासक, पृथ्वी की सम्राज्ञी तक बनने का अधिकार देते हैं। वैदिक काल में नारी अध्ययन-अध्यापन से लेकर रणक्षेत्र में भी जाती थी। जैसे कैकयी महाराज दशरथ के साथ युद्ध में गई थीं।

स्वामी दयानंद के काल में भारत में नारी जाति की अवस्था अत्यंत दयनीय थी। सती प्रथा, बाल विवाह, देवदासी प्रथा, अशिक्षा, समाज में नारी का नीचा स्थान, विधवा का अभिशाप, नवजात कन्या की हत्या प्रथा आदि। धार्मिक ग्रंथों का अनुशीलन करते हुए स्वामी दयानंद ने पाया कि धर्म के नाम पर नारी जाति को समाज में जिस प्रकार से तिरस्कृत किया जा रहा था, सत्य उसके बिल्कुल विपरीत था। वेद हिंदू समाज ही नहीं, अपितु समस्त विश्व समाज के लिए अनुसरण करने योग्य ईश्वरीय ज्ञान है।

वैदिक काल में नारियां बहुत विदुषी और नियमपूर्वक अपने पति के साथ मिलकर हवन आदि में सम्मलित रहती थीं। पुराने समय में पुरुष के साथ चलने वाली स्त्री मध्यकाल में पुरुष की संपत्ति समझी जाने लगी। परंतु पुराने समय से ही जब-जब सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शोषण की शिकार नारियों ने खुद अपनी एक पहचान की तलाश की है, तब-तब उसको सफलता मिली है।

आजादी के बाद देश को चलाने वाले नेताओं ने यह महसूस किया कि यदि समाज को उन्नत बनाना है, तो लड़कियों को शिक्षा देनी बहुत जरूरी है। तभी से नारी शिक्षा के प्रसार में तेजी आई। 20वीं सदी के अंतिम दशक में समाज में आर्थिक-सामाजिक बदलाव आए, तब नारी के लिए भी नौकरी और शिक्षा के द्वार खुले। कंप्यूटर, मीडिया, पत्रकारिता, सेना, डॉक्टर, विज्ञान आदि जगह पर भी नारियों ने सिक्का जमाया। अब नारी की दुनिया बदल रही है। आजादी के बाद लगभग 12 महिलाएं विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण कर चुकी हैं। जवाहर लाल नेहरू का कथन है कि यदि आपको विकास करना है तो महिलाओं का उत्थान करना ही होगा। महिलाओं का विकास होने पर समाज का विकास स्वतः हो जाएगा।

स्वामी विवेकानंद का कहना है कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति का सर्वोत्तम थर्मामीटर है, वहां की महिलाओं की स्थिति। हमें नारियों को ऐसी स्थिति में पहुंचा देना चाहिए जहां वे अपनी समस्याओं को अपने ढंग से स्वयं सुलझा सकें। आवश्यकता है उन्हें उपयुक्त अवसर देने की। इसी आधार पर भारत के उज्जवल भविष्य की संभावनाएं सन्निहित है।

Aaryan Dwivedi

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