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अब आप ई-सिगरेट का धुआं नहीं उड़ा पाएंगे, सरकार ने उठाया ये कदम

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 5:59 AM GMT
अब आप ई-सिगरेट का धुआं नहीं उड़ा पाएंगे, सरकार ने उठाया ये कदम
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मुंबई: इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन से बनने वाले हर तरह के नशे जैसे ई सिगरेट, हुक्का और वैप के बढ़ते नुकसान को समझते हुए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य और यूनियन टेरेटरीज को एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में ई-सिगरेट, वैप और हुक्का की बिक्री और डिलीवरी पर पूरी तरह सख्ती बरती जाएगी. यहां तक की ऑनलाइन सेल पर भी सरकार की पैनी नजर होगी. हालांकि सरकार ने एडवाइजरी में बैन का शब्द का इस्तेमाल नहीं किया बस ENDS ये लिखा है. ENDS का पूरा मतलब ( ईलेकट्रानिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम) है. लेकिन राज्य सरकारों से सिफारिश की है कि वो इसके बढ़ते नुकसान को देखते हुए जल्द से जल्द इसपर बैन लगाए.

आम सिगरेट की लत से दूर रहने के लिए युवा आजकल ई-सिगरेट को अच्छा ऑपशन मानकर उसके प्रति झुक रहे हैं. लेकिन अगर आप इस नई स्टडी के बारे में जानेंगे तो चौंक जाएंगे. अमेरिकन केमिकल सोसाइटी ने हाल ही में ई सिगरेट पर एक खुलासा किया है कि ई-सिगरेट से केवल सांस या फेंफडों की शिकायत नहीं होती है बल्कि लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से आपका डीएनए नष्ट हो जाता है और आपको कैंसर भी हो सकता है. पिछले दिनों भी ई-सिगरेट पर कुछ स्टडी सामने आई थी. जिसके बाद से ही सरकार इसकी बिक्री पर बैन लगाने की तैयारी कर रही थी.

जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी किया था शोध अमेरिकन केमिकल सोसाइटी ने हाल ही में एक स्टडी करके उसकी रिपोर्ट सौंपी है. इससे पहले भी जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर शोध किया था! जहरीले एल्डिहाइड् की तरह ही ई-सिगरेट में मौजूद रसायनिक पदार्थ सिन्नामेल्डिहाइड का उपयोग सामान्य कोशिका को नुकसान पहुंचाता है. इससे सांस संबंधी बीमारियां और बढ़ जाती है. सिन्नामेल्डिहाइड एक ऐसा रसायन है जिसमें दालचीनी जैसा स्वाद और गंध होती है

कैसी होती है ई-सिगरेट ई-सिगरेट में ऐसा निकोटिन होता है जो और ज्यादा नुकसान करता है, साथ ही इसमें हेवी मेटल्स भी होते हैं. ये एक मिथ है कि ई-सिगरेट का कोई नुकसान नहीं है. इसमें विषाक्त रासायनिक पदार्थ होते हैं जो तम्बाकू के धुएं में पाए जाते हैं. इससे फेंफड़ों का डीएनए नष्ट हो जाता है. युवाओं में ई-सिगरेट का ट्रेंड बढ़ रहा है, लेकिन इसके फ्यूचर इफेक्ट बहुत नुकसानदायक हैं. इसके अंदर ऐसे केमिकल का इस्तेमाल होता है जो आम सिगरेट से 10 गुणा ज्यादा हानीकारक है और जो वेपर के जरिए शरीर के अंदर जाते हैं हाथों में जो इलेकट्रानिक डिवाइस लिक्वीड को गर्म करती है उसमें निकोटिन रहती है और निकोटिन अलग -अलग फ्लेवर जैसे किवी, चॉकलेट होती है, ताकी उसकी धुंआ और टेस्ट सिगरेट जैसा लगे.

क्या होती है ई-सिगरेट इलेकट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (एंड्स) बैटरी से चलती है. इसके अंदर जो लिक्वीड निकोटिन का मिक्स होता है उसके गर्म होने से हवा निकलती है. ई-सिगरेट निर्माता कहते हैं एरोसोल वॉटर वेपर है लेकिन इसका टेस्ट टॉक्सिक एलिमेंट जैसा होता है. जो आपके शरीर के अंदर जाकर फेंफड़ों को नुकसान पहुंचाता है.

भारत में ई-सिगरेट का बाजार भारत में 30-50 फीसदी ई-सिगरेट का बाजार ऑनलाइन है, आईटीसी केवल डिवाइस बनाती है, लेकिन ई-सिगरेट पर भारत में कोई नियम नहीं है. ये ज्यादातर चीन से आती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ग्रुप बनाया है जो ई-सिगरेट के कुप्रभाव पर रिसर्च कर रही है और भारत में इसका कैसा बाजार है इसपर एक रिपोर्ट जल्द सौंपेगी!

कैसे काम करती है ई-सिगरेट ई सिगरेट में भाप बनाने वाला एक यंत्र और एक कंटेनर होता है, जिसमें निकोटीन फ्लेवर वाला द्रव भरा जाता है, जब इसे एक सिरे से खींचा जाता है, तो द्रव भाप बनता है. इस भाप को सांस के साथ अंदर खींचा जा सकता है. ई सिगरेट बैट्री से चलती है और बैट्री यूएसबी ड्राइव से चार्ज की जा सकती है. एक- एक ई-सिगरेट की कीमत 500 रुपए से 15 हजार रुपए तक होती है

Aaryan Dwivedi

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