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MP: पाकिस्तान में दहेज मांगा था, हिंदुस्तान में नहीं हो सकती सजा
इंदौर। सत्र न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी का फैसला पलट दिया कि पाकिस्तान में दहेज मांगा था, आरोपित को भारत की कोर्ट से सजा नहीं हो सकती। कोर्ट ने आरोपितों को एक साल कारावास की सजा सुनाई थी।
मामला पाकिस्तान के नागरिक संदीप परियानी और उनकी पत्नी सनम का है। दोनों पाकिस्तान के निवासी हैं और उनकी शादी जनवरी 2012 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जैकबाबाद में हुई थी।
शादी के बाद यह परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया। करीब डेढ़ साल बाद सनम ने पति संदीप, सास पूनम और ससुर दीवानचंद के खिलाफ धारा 498 ए (दहेज प्रताड़ना) के तहत शिकायत दर्ज कराई। उसका कहना था कि आरोपितों ने दो लाख रुपए दहेज लाने के लिए दबाव बनाया।
पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज कर लिया शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज कर लिया। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी की कोर्ट ने तीनों आरोपितों को एक-एक साल कारावास की सजा सुनाई। आरोपितों ने इस फैसले को एडवोकेट मीतेश जैन के माध्यम से सत्र न्यायालय में चुनौती दी। जैन ने तर्क रखे कि फरियादी महिला की शादी पाकिस्तान में हुई थी।
जिन तारीखों पर वह दहेज मांगने का आरोप लगा रही है, उन दिनों वह पाकिस्तान में थी। जब शादी ही भारत में नहीं हुई, दहेज यहां नहीं मांगा गया तो यहां के न्यायालय सजा कैसे सुना सकते हैं। सेशन कोर्ट ने तर्कों से सहमत होते हुए आरोपितों को बरी कर दिया।