इंदौर

भय्यू महाराज: मॉडलिंग की दुनिया से निकलकर अध्यात्म को अपनाया

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 5:54 AM GMT
भय्यू महाराज: मॉडलिंग की दुनिया से निकलकर अध्यात्म को अपनाया
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इंदौर। मालवा के शुजालपुर प्रांत से निकलकर देश-विदेश में अपनी आध्यात्मिक छवि के लिए पहचाने जाने वाले भय्यू महाराज ने मॉडलिंग के दुनिया से अपना करियर शुरू किया था और उसके बाद उन्होने शोहरत भरी मॉडलिंग की जिंदगी को अलविदा कहकर अध्यात्म के सफर पर चलना तय किया।

उनके भक्तों की फेहरिस्त में लता मंगेशकर से लेकर महाराष्ट्र की और देश-दुनिया की नामी हस्तियां रही है, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पीएम नरेंद्र मोदी, शिवसेना के उद्धव ठाकरे, मनसे के राज ठाकरे, आशा भोंसले, अनुराधा पौड़वाल, फिल्म एक्टर मिलिंद गुणाजी भी शामिल हैं। भय्यू महाराज से मिलने अब तक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान और गुजरात की सीएम आनंदी बेन पटेल सहित कई बड़ी हस्तियां उनके आश्रम में आ चुकी है।

सद्भावना उपवास के दौरान उनको नरेंद्र मोदी ने बुलाया था। गुजरात पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने देश भर के शीर्ष संत, महात्मा और धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया था। उसमें भय्यू महाराज भी शामिल थे।

भय्यू जी महाराज उस वक्त भी चर्चा में आए थे जब 2011 में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था। और अन्ना हजारे ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था।

भय्यू महाराज का वास्तविक नाम उदयसिंह देशमुख था और उनका जन्म शुजालपुर के एक किसान परिवार में हुआ था। पहली पत्नी माधवी के निधन के बाद उन्होने ग्वालियर की डॉक्टर आय़ुषी शर्मा से दूसरा विवाह किया था उनका मुख्य आश्रम इंदौर स्थित बापट चौराहे पर है उनके आश्रम का नाम सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट है।

भय्यु महाराज अपने सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट के जरिए स्कॉलरशिप बांटने से लेकर कैदियों के बच्चों को पढ़ाने तक का काम करते थे और किसानों को खाद-बीज मुफ्त में देते थे। इसके साथ ही वह अपनी शानदार जीवन-शैली के लिए भी पहचाने जाते थे। मर्सडीज जैसी महंगी गाड़ियों में चलने वाले भय्यू महाराज रॉलेक्स ब्रांड की घड़ी पहनते थे और आलीशान महल जैसे घर में रहते थे।

भय्यू महाराज पर एक बार पुणे से लौटते समय राष्ट्रीय संत भय्यू महाराज पर जानलेवा हमला हुआ था। हमले के कारण उनकी कार का एक्सीडेंट भी हो गया था।

भय्यू महाराज सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए गृहस्थ संत थे। उनको कुछ दिनों पहले राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था, लेकिन उन्होने यह कहकर राज्यमंत्री का दर्जा लेने से इन्कार कर दिया था कि उनको सेवा के लिए किसी पद की जरूरत नहीं है।

भय्यू महाराज ने उस वक्त कहा था, 'प्रदेश सरकार ने मुझे नर्मदा नदी की रक्षा के लिए बनाई गई विशेष समिति में शामिल कर मुझ पर जो भरोसा जताया है उस पर मैं एक आम नागरिक की तरह खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा, लेकिन मैं राज्यमंत्री के दर्जे के रूप में किसी तरह का सरकारी लाभ नहीं लूंगा।'

50 वर्षीय आध्यात्मिक गुरु ने कहा था, 'मैंने अपने जीवन में अब तक न तो लाभ का कोई पद ग्रहण किया है, न ही किसी पद का लाभ लिया है। लिहाजा मैं राज्यमंत्री दर्जे से मिलने वाली कोई भी सरकारी सुख-सुविधा स्वीकार नहीं कर सकता।'

भय्यू महाराज ने कहा था, 'प्रदेश सरकार ने मुझे नर्मदा नदी की रक्षा के लिए बनाई गई विशेष समिति में शामिल कर मुझ पर जो भरोसा जताया है। उस पर मैं एक आम नागरिक की तरह खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा, लेकिन मैं राज्यमंत्री के दर्जे का किसी तरह का सरकारी लाभ नहीं लूंगा।'

Aaryan Dwivedi

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