इंदौर

ढाबा चलाते-चलाते इस छात्र ने पास कर लिया CAT, बॉलीवुड फिल्मों की तरह है ये स्टोरी

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 5:57 AM GMT
ढाबा चलाते-चलाते इस छात्र ने पास कर लिया CAT, बॉलीवुड फिल्मों की तरह है ये स्टोरी
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इंदौर: इंदौर के रहने वाले शशांक अग्रवाल की कहानी कई लोगों को प्रेरणा दे सकती है. 2017 में CAT को उन्होंने 98.01 परसेंटाइल के साथ पास किया. अब आईआईएम रोहतक में वह मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले उन्होंने कई मुसीबतों को झेला है. यहां तक कि उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए ढाबा चलाना पड़ा. लेकिन आज वह आईआईएम में मैनेजमेंट की डिग्री ले रहे हैं. उनकी कहानी में हर वो मोड़ है, जो हमें कई बार हिंदी सिनेमा में देखने को मिलता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 वर्षीय शशांक अग्रवाल बताते हैं कि उन्होंने अपने पिता को बहुत कम उम्र में खो दिया. उसके बाद उनके घर को चलाने की जिम्मेदारी उनके दादाजी पर आ गई. उनकी पेंशन से घर आराम से चल रहा था. स्कूल खत्म करने के बाद उन्होंने इंदौर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिल लिया. जब वह सेकंड इयर में थे, तभी उनके दादाजी की मौत हो गई. अब उस पेंशन का स्रोत भी खत्म हो गया. परिवार पर बड़ा संकट आ गया.

ऐसे में शशांक ने तय किया कि अब वह अपने परिवार का खर्चा उठाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखने का फैसला किया. इसके लिए शशांक ने 50 हजार का कर्ज लेकर इंदौर के भवर कुआं चौराहे पर एक ढाबा शुरू किया. ये जगह इंदौर में उन स्टूडेंट्स के लिए जानी जाती है, जो शहर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं. शशांक ने पांच लोगों को साथ लेकर ढाबा शुरू किया. यहां उन्होंने 50 रुपए में भरपेट खाना देना शुरू किया.

खाने की क्वालिटी अच्छी थी, इसलिए उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम मिले. जल्द ही उनकी आमदनी 30 हजार रुपए प्रतिमाह तक पहुंच गई. शशांक का कहना है कि इस दौरान उन्होंने तय किया कि वह अपनी पढ़ाई को नुकसान नहीं होने देंगे. उन्होंने अपनी पढ़ाई और काम के बीच संतुलन बनाया. वह सुबह 6 बजे जागकर स्थानीय मंडी पहुंचते. वहां से ढाबे के लिए सब्जी और दूसरे सामान लेकर अपने ढाबा की तैयारी कराते. इसके बाद दोपहर में कॉलेज पहुंच जाते. शाम को ढाबा पर आते. ये सिलसिला रात 11 बजे तक चलता.

शशांक का कहना है कि इस ढाबे ने उन्हें सेल और मार्केट में अच्छी समझ दी. यहीं से शशांक को समझ आया कि वह इंजीनियरिंग नहीं मैनेजमेंट के लिए बने हैं. इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वह हैदराबाद के एक स्टार्टअप से जुड़ गए. ये स्टार्टअप प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कंटेट तैयार करता था. इसमें कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) भी शामिल था. इसके साथ ही उन्होंने CAT की तैयारी भी शुरू कर दी. शशांक के अनुसार, इंजीनियरिंग स्टूडेंट होने के नाते डेटा इंटरप्रटेशन एंड लॉजिकल रीजनिंग सेक्शन मेरे लिए ज्यादा कठिन नहीं था. इसलिए मैंने अपना ध्यान वर्बल एंड रीडिंग कॉम्परेहेंशन सेक्शन की ओर ध्यान लगाया. इसका फायदा मुझे मिला.

Aaryan Dwivedi

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