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क्या आप जानते है सिर्फ अग्नि को साक्षी मानकर क्यों लेते हैं सात फेरे !
विवाह हमारी जिंदगी में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है जिसके बाद इंसान की जिंदगी कई मायनों में बदल जाती है। एक और जहाँ विवाह के बाद नैतिक जिम्मेदारियां बढ़ जाती है वहीँ इंसान जीवन के अहम् पड़ाव का सफर भी शुरू करता है। शादी दो शरीर ही नहीं दो आत्माओं का मिलन है।
हर धर्म की तरह हिन्दू धर्म में भी शादी का विशेष महत्व है और जो परम्पराएं हिन्दू धर्म में निभाई जाती है वो शायद आपको किसी और धर्म में देखने को नहीं मिलेगी। हिन्दू धर्म में विवाह के वक्त अनेक रस्में निभाई जाती है जिसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है।
क्यों मानते अहै अग्नि को साक्षी इस रीति रिवाजों को निभाने के पीछे अच्छे और सुखी जीवन की कामना की जाती है।हिंदू धर्म में शादी के वक्त कन्या और वर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं। और फिर सात जन्मों के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं।
परंतु क्या आपने सोचा है की विवाह में अग्नि के विचारों और क्यों फेरे लिए जाते हैं कहते हैं। कि मनुष्य की रचना अग्नि पृथ्वी जल वायु और आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बनी हुई है।
अग्नि को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है।शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि सभी देवताओं की आत्मा अग्नि में ही बसती है। अग्नि के सात फेरे लेते वक्त सभी देवता विवाह के साक्षी बनते हैं।
माना जाता है कि अग्नि सभी अशुद्धियां दूर होकर पवित्रता आती है अग्नि के सामने फेरे लेने से माना जाता है। कि वह और कन्या दोनों ने पवित्र मन से एक दूसरे को स्वीकार किया है।
अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेने का अर्थ है। यदि वर वधु में वैवाहिक जीवन के नियमों का पालन नहीं किया तो अग्नि ही उन्हें दंड भी देगी अग्नि के सात फेरों में फर्क फ्री में कन्या और वर इस पवित्र रिश्ते को निभाने का एक दूसरे को वचन देते हैं।