राष्ट्रीय

कयासों का दौर समाप्त, ममता की शरण में आये मुकुल, 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थें

Aaryan Dwivedi
11 Jun 2021 7:01 PM GMT
कयासों का दौर समाप्त, ममता की शरण में आये मुकुल, 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थें
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कोलकाता। पिछले कई दिनों से आ रही खबरों पर अब विराम लगाते हुए मुकुल राय ने ममता की शरण में पहुंच ही गये। उन्होंने भाजपा को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। साथ ही उनके बेटे सुभ्रांशु रॉय भी तृणमूल कांग्रेस में दुबारा शामिल हो गये। आपको बता दें कि मुकुल रॉय नवम्बर 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे। पिछले कई दिनों के कयास के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आज लंबी चर्चा के बाद उन्होंने फिर से पार्टी का दामन थाम लिया।

कोलकाता। पिछले कई दिनों से आ रही खबरों पर अब विराम लगाते हुए मुकुल राय ने ममता की शरण में पहुंच ही गये। उन्होंने भाजपा को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। साथ ही उनके बेटे सुभ्रांशु रॉय भी तृणमूल कांग्रेस में दुबारा शामिल हो गये।

आपको बता दें कि मुकुल रॉय नवम्बर 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे। पिछले कई दिनों के कयास के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आज लंबी चर्चा के बाद उन्होंने फिर से पार्टी का दामन थाम लिया।

इस बात के कयास काफी दिनों से लगाये जा रहे थे कि मुकुल रॉय वापस अपनी पुरानी पार्टी में लौट सकते हैं। बीते दिनों कोलकाता में आयोजित भाजपा की बैठक में मुकुल राय नहीं पहुंचे थे। इसके बाद ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी मुकुल रॉय और उनकी पत्नी को देखने अस्पताल पहुंचे थे। दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी अपनी पार्टी से गये साथियों को वापस लाने की कोशिश में जुटी हुुई थीं।

वापसी की मानी जा रही जो वजह

बताते चलें तो भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो बनाया, लेकिन चुनाव के दौरान उनकी कोई खास भूमिका नहीं रही। पुराने नेता होने के बावजूद वो कभी सुवेंदु अधिकारी की तरह आक्रामक नहीं रहे। इस वजह से पार्टी में उनकी अहमियत और पूछ कम होती गई। पिछले 4 सालों में धीरे-धीरे बीजेपी में उनकी भूमिका सिमटती गई और शुवेंदु अधिकारी की पूछ बढ़ती रही। उनकी आखिरी उम्मीद थी कि अगर बीजेपी सत्ता में आ जाए, तो उन्हें कोई बड़ा पद मिल जाएगा।

लेकिन पार्टी की हार के साथ ये संभावना भी खत्म हो गई। ऊपर से बीजेपी ने उनसे जूनियर रहे शुवेंदु अधिकारी को नेता विपक्ष का पद दे दिया। इसके बाद उनके पास बीजेपी में बने रहने की कोई वजह नहीं बची थी।

बढ़ेगा पार्टी में कद

दूसरी ओर कभी पार्टी में नंबर दो के नेता रहे मुकुल रॉय के लिए तृणमूल कांग्रेस में अब ज्यादा संभावनाएं हैं। शुवेंदु अधिकारी के जाने का बाद अब वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे करीबी नेता होंगे।

वहीं तृणमूल कांग्रेस के उत्तराधिकारी अभिषेक बनर्जी को भी इनसे कोई शिकायत नहीं है। ऐसे में वापसी से ना सिर्फ उनका रुतबा बढ़ेगा बल्कि सत्ता, सम्मान और बेटे का भविष्य भी बनता दिख रहा है।

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