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रीवा विधानसभा : कमल-पंजे की सीधी टक्कर, पढ़ें पूरी खबर...
रीवा। 2003 के विस चुनाव में भाजपा दिग्विजय सरकार को मात देकर सत्ता में आई। सत्ता में आते ही भाजपा ने बुनियादी विकास के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया। सड़क, बिजली, पानी को भाजपा सरकार ने तवज्जो दिया। तो मतदाताओं ने भी दूसरी और तीसरी बार फिर निर्णायक भूमिका निभाई और भाजपा को सत्ता सौंप दिया। इस बार समीकरण अलग हैं। शुरूआत में प्रदेश की भाजपा सरकार का तालमेल केन्द्र में सत्ताधीन यूपीए सरकार से नहीं बैठा। फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सरकार केन्द्र पर आई और विकास को वहीं से पर लगने शुरू हो गए। परंतु तब तक प्रदेश की सरकार के ऊपर व्यापम का कलंक लग चुका था। लिहाजा सत्तापक्ष के पास विकास का मजबूत एजेंडा तो है, परंतु कहीं न कहीं बेरोजगारी और मंहगाई के चलते जनता में आक्रोष भी व्याप्त है, जिसका फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस उठाने की कोशिश कर रही है।
बात रीवा विधानसभा की करें तो पिछले तीन पंचवर्षीय तक क्षेत्र के विकास की जो देन विधायक एवं मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के नाम हुई, वह पहले कभी किसी भी विन्ध्य के नेता की झोली में नहीं गई और न ही पहले किसी भी प्रदेश सरकार ने विन्ध्य की ओर ध्यान दिया। श्री शुक्ल का कहना है कि प्रदेश सरकार के साथ साथ केन्द्र सरकार ने भी रीवा के विकास के लिए बेझिझक सहायता की है। शहर आज जो भी है भाजपा की देन है। शहर में सड़कों का जंजाल है, मीठे पानी, 24 घण्टे बिजली, स्वच्छता है। रानी तालाब का सौंदर्यीकरण, चिरहुला मंदिर तालाब, संजय अस्पताल में करोंड़ों के अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण, कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम, देश में रीवा को पहचान दिलाने वाला व्हाइट टाईगर सफारी अभ्यरण, बसामन मामा गौ-अभ्यारण केन्द्र, सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, शहर के हर वार्डों में भूमिगत नाली, गुजरात के साबरमती नदी के तर्ज पर रीवा के बीहर नदी तट पर सौंदर्यीकरण योजना, विवेकानंद पार्क में ओपन जिम, ट्रैफिक को सुविधायुक्त बनाने के लिए फ्लाईओव्हर, समान तिराहे पर तीन तरफ का प्रस्तावित फ्लाईओव्हर, चोरहटा हवाई अड्डा का अत्याधुनीकीकरण, एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊजा प्लांट, रतहरा से सिलपरा तक रिंग रोड, जगह-जगह शुलभ कॉम्प्लेक्स जैसे तमाम जनहितैषी सार्वजनिक कार्यों को राजेन्द्र शुक्ल द्वारा अंजाम दिया गया, जो मप्र गठन के बाद किसी भी विधायक या मंत्री द्वारा नहीं कराया गया।
राजेन्द्र शुक्ल की पहल पर बाणसागर का पानी आज गांव-गांव, खेत-खेत पहुंच रहा है। उनके द्वारा शहर सौंदर्यीकरण से लेकर शिक्षा की दिशा में भी अनेकों कार्य किए गए। जिनमें माखन लाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय, पॉलिटेकनिक कॉलेज के अलावा सैकड़ों स्कूलों का उन्नयन भी मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के द्वारा कराया गया है। श्री शुक्ल विकास के इन्ही मुद्दों को लेकर जनता के सामने हैं। हांलांकि रीवा नगरीय क्षेत्र के नागरिक जो कि विधानसभा के मतदाता नहीं हैं उनके द्वारा व्यक्तिगत कार्य न होने का आरोप लगाकर मंत्री श्री शुक्ल के प्रति नाराजगी जाहिर की जा रही है लेकिन इस नाराजगी का विधानसभा रीवा के मतदाताओं पर कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा है।
वहीं रीवा से कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा, जो कि वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उनकी व्यक्तिगत नाराजगी भारतीय जनता पार्टी और मंत्री राजेन्द्र शुक्ल से हैं। इसी नाराजगी के चलते उन्होने करीब छः माह पूर्व भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। श्री मिश्रा इसके पूर्व सेमरिया विधानसभा से वर्ष 2008 में विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। उन्होने अपना राजनैतिक जीवन जनपद पंचायत सिरमौर के अध्यक्ष के रूप में शुरू किया था। 2013 में भाजपा ने श्री मिश्रा के स्थान पर उनकी पत्नी नीलम मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा था, जिसमें वे निर्वाचित हुई थी।
यह भी पढ़ें : कांग्रेस की आदरणीय माता सोनिया गांधी की तुलना में यह प्रधानमंत्री मोदी चौअन्नी भी नही : अभयअभय मिश्र चुनाव जीतने के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। मंत्री से नाराजगी के चलते उन्होने तमाम विरोधों का सामना करते हुए कांग्रेस से टिकट पाने में सफलता हांसिल की है। यद्यपि अभय मिश्र को टिकट मिलने से रीवा कांग्रेस का बड़ा हिस्सा नाराज है और उनके साथ नहीं है। बावजूद अभय मिश्रा युवाओ की फौज लेकर घर घर जनसंपर्क पर परिवर्तन के लिए वोट मांग रहे हैं। अभय के लिए दल तो नया है, पर उनका राजनैतिक तजुर्बा काफी पुराना है।
हांलांकि मंत्री राजेन्द्र शुक्ल की तुलना में अभय मिश्रा के पास सेमरिया क्षेत्र में किए गए विकास का कोई उल्लेखनीय उदाहरण नहीं हैं। लेकिन वे चुनाव जीतने पर छिंदवाड़ा मॉडल के तर्ज पर रीवा की तस्वीर बदलने की बात कर रहे हैं। अब देखना यह है कि रीवा का जागरूक मतदाता धरातल पर दिख रहे विकास का चुनाव करता है या फिर परिवर्तन के साथ जुड़ना चाहता है।
रीवा में भाजपा के राजेन्द्र शुक्ल और कांग्रेस के अभय मिश्रा के बीच सीधा मुकाबला है। यहां बहुजन समाज पार्टी की स्थिति काफी कमजोर है, जबकि सवर्ण पार्टी के बैनर पर मैदान में उतरे देवेन्द्र शुक्ल लगातार जनसंपर्क कर मतदाताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। इनके अलावा शेष बचे 22 प्रत्याशी भी अपने तरीके से चुनाव प्रचार मे लगे हुए हैं।
विधानसभा चुनाव 2018 के मतदान के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। आने वाली 28 नवंबर को मतदाता ईव्हीएम मशीन के जरिए प्रत्याशियों के भाग्य की बटन दबाएंगे। ऊंट किस करवट बैठता है और किसके भाग्य में ताज लिखा है, इसका निर्णय 11 दिसम्बर को सामने आ सकेगा।
जातीय समीकरण
- ब्राम्हण : 73092
- ठाकुर : 7722
- ओबीसी : 29498
- वैश्य : 26414
- मुस्लिम : 23900