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इस समीकरण से बन सकती है मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार, सट्टा मार्केट का यू-टर्न
भोपाल। विधानसभा चुनाव 2018 का मतदान 28 नवंबर को समाप्त हो चुका है, अब 11 दिसम्बर को परिणाम आना शेष है। परिणाम आने के उपरांत ही पता चल सकेगा कि मध्यप्रदेश में किसकी सरकार बन रही है। निर्वाचन आयोग ने किसी भी तरह के सर्वे पर 7 दिसंबर तक बैन लगा रखा है, इस कारण सट्टा बाजार में ही कयास एवं आंकलन का दौर जारी हैं। मतदान के तुरंत बाद Speculative market (सट्टा बाजार) ने भी कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया था, परंतु अब सट्टा बाजार ने यू-टर्न ले लिया है।
सट्टा बाजार की मानें तो भाजपा को 110-120 सीटें मिल सकती हैं, जबकि 90-100 कांग्रेस को। इसके पहले मतदान के तुरंत बाद सट्टा बाजार ने बीजेपी को 96-98 एवं कांग्रेस को 120-122 सीटें मिलने का दावा किया था। अब सट्टा बाजार ने अपने भाव बदल दिए हैं।
क्यों बदला सट्टा बाजार का भाव दरअसल इस बार मध्यप्रदेश में पहली बार बंपर वोटिंग हुई है। सट्टा बाजार के विशेषज्ञों ने जब इसका आंकलन किया तो पता चला इस बार कई विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं के मतदान का प्रतिशत पुरूषों की तुलना में काफी बढ़ा है। बता दें इस बार मध्यप्रदेश में 75 प्रतिशत मतदान हुए हैं। जिसमें महिलाओं ने 74.03 फीसद एवं पुरूषों ने 75.98 फीसद मतदान किए हैं।
महिलाओं के मतदान के चलते प्रदेश के सभी समीकरण ध्वस्त नजर आ रहें हैं। वहीं कांग्रेस जो सत्ता का ताज पहनने की तैयारी में जुट गई थी, उसे भी कहीं न कहीं इस बात का भय सता रहा है कि महिलाओं की बंपर वोटिंग कहीं उनके लिए घातक साबित न हो जाए। इसके पूर्व 2013 के चुनाव में भी महिलाओं की मतदान संख्या में काफी इजाफा देखा गया था, जिसके चलते भाजपा को काफी फायदा हुआ था एवं बहुमत के साथ भाजपा ने प्रदेश में तीसरी बार सत्ता सम्हाला था।
महिलाओं की वोटिंग का सस्पेंस प्रदेश में महिलाओं की बंपर वोटिंग कहीं न कहीं एक सस्पेंस भी पैदा करती है। दरअसल यह वर्ग जिस ओर वोट कर दे उस ओर एकतरफा परिणाम आते हैं। इनमें घरेलू महिलाओं का भी सबसे बड़ा योगदान माना जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं की बंपर वोटिंग सत्तापक्ष में भी हो सकती है क्योंकि महिलाओं के लिए राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई, जिनमें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, सभी वर्गों की छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना, जननी सुरक्षा योजना, जच्चा-बच्चा से लेकर कई योजनाएं महिलाओं को भाजपा के पक्ष में आकर्षित कर सकती हैं। वहीं मुस्लिम महिलाएं भी त्रिपल तलाक को अवैधानिक घोषित करने के कारण भाजपा पर भरोषा जता सकती हैं एवं इसका उदाहरण उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को भी मिला था। जबकि मंहगाई की मार के चलते महिलाओं ने कांग्रेस के पक्ष में भी मतदान किया होगा।
एमएलए की खरीद-फरोख्त और सौदेबाजी होगी सट्टा बाजार के बदले रुख के बाद राजनीति के समीक्षकों का मानना है कि मध्यप्रदेश में इस बार सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त होगी। इस बार चुनाव में बागी उम्मीदवारों के अलावा कुछ निर्दलीय भी दमदार स्थिति में हैं। बसपा और सपा ने भी जोर लगाया है। सपाक्स और जयस का भी असर नतीजों पर दिखाई देगा। नोटा ने 2013 में 26 सीटों पर चुनाव प्रभावित किए थे। इस बार यह आंकड़ा बढ़ सकता है।