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रीवा/सतना: आखिरकार 100 घंटे बाद डकैतों के चंगुल से रिहा हुआ किसान, जानिए कैसे...

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:09 AM GMT
रीवा/सतना: आखिरकार 100 घंटे बाद डकैतों के चंगुल से रिहा हुआ किसान, जानिए कैसे...
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डकैतों ने उप्र के मारकुंडी इलाके में छोड़ा, रीवा के जवा थाने में आइजी ने की पूछताछ

सतना. दस्यु प्रभावित धारकुण्डी थाना इलाके के हरसेड़ गांव से अपहृत किसान 100 घंटे बाद डकैतों के चंगुल से रिहा हो सका। पिछले शनिवार की रात दो बजे किसान अवधेश नारायण द्विवेदी को अगवा करने के बाद डकैतों ने 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। उप्र के मारकुण्डी थाना क्षेत्र में गुरुवार तड़के करीब साढ़े 3 बजे डकैतों ने किसान को छोड़ दिया। कुछ ही दूर जाने पर किसान के रिश्तेदार मिले, जिनके साथ वह परिवार के पास पहुंचा। खबर है कि फिरौती लेकर ही डकैत बबुली कोल ने किसान को मुक्त किया है। जबकि पुलिस दावा कर रही कि पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण किसान की रिहाई हो सकी।

आइजी ने जंगल का मैप दिखाया उप्र और मप्र के बियावान जंगलों से निकल कर जब किसान वापस आया तो पुलिस उसे रीवा जिले के जवा थाने में लेकर गई। वहां आइजी चंचल शेखर ने खुद किसान से पूछताछ की। अवधेश ने पुलिस को बताया कि अपहरण के बाद गांव से लगे जंगल में उसे डकैत लेकर गए थे। उसके भरोसेमंद आदमी को जंगल में दाखिल होते हुए डकैतों ने लौआ दिया था। इसके बाद झौला लिए एक बदमाश अपहरण करने वाले पांच बदमाशों के साथ हो लिया। घाटी उतार कर जंगल में करीब १५ किमी के दायरे में डकैत जगह बदलते रहे। वहां पुलिस पहुंच ही नहीं पाई। अवधेश ने डकैतों के जो ठिकाने बताए हैं उन स्थानों पर पुलिस की दबिश तेज करा दी गई है। इसके साथ ही जंगल से आने जाने वाले हर व्यक्ति से पूछताछ हो रही है। पुलिस ने अवधेश को जंगल का एक मैप दिखाते हुए उससे जानकारी जुटाई है कि डकैत किस रास्ते लेकर गए, कहां रखा और फिर किस जगह पर छोड़ा था।

करीबी का ही हाथ किसान अवधेश का कहना है कि उसके अपहरण के पीछे किसी करीबी का हाथ है। उसने कुछ संदेहियों के बारे में आइजी को बताया है। यह भी बताया कि डकैतों ने उसे एक मोबाइल फोन और एक सिमकार्ड देकर छोड़ा था। जबकि डकैतों के पास उसके दो मोबाइल फोन थे। आइजी ने सतना एसपी रियाज इकबाल और दस्यु प्रभावित इलाके में काम करने वाले पुलिस अफसरों को टास्क दिया है, ताकि डकैतों की घेराबंदी करते हुए कार्रवाई की जाए।

रिश्तेदारों का अपना कनेक्शन तराई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पुलिस पर शुरूआती दौर से ही पीडि़त परिवार को भरोसा नहीं था। एेसे में किसान अवधेश नारायण के बेटे और परिवार के सदस्य कुछ परिचितों के जरिए डकैतों से संपर्क साधने में जुटे थे। संपर्क सधने पर मोलभाव शुरू हुआ। हालांकि अवधेश अपनी माली हालत के बारे में डकैतों को बता चुका था। एेसे में मोलभाव के बाद सौदा तय हुआ और उसे मारकुण्डी के जंगल में छोड़ दिया गया। जहां रोशनी की ओर जाते वक्त कुछ ही दूरी पर अवधेश को उसके रिश्तेदार मिल गए थे। यहां से टिकरिया के रास्ते सभी रीवा के जवा पहुंचे। इसके बाद देर शाम अवधेश को पुलिस बल के साथ उनके गांव भेजा गया। दस्यु उन्मूलन इलाके में काम कर चुके सूत्र बताते हैं कि तराई में उधारी चलती है। पुलिस से बचने के लिए डकैत सौदा तय करने के बाद अपने बताए समय पर रकम मंगा लेते हैं।

बेहद शातिर है डकैत बबुली दो राज्यों की पुलिस को आठ साल से छका रहा छह लाख का इनामिया डकैत बबुली कोल बेहद शातिर है। उसका खास डकैत लवलेश कोल गैंग के मूवमेंट तय करता है। ताकि गिरोह के हार्डकोर मेंबर पुलिस के हाथ नहीं लग सकें। पुलिस उन लोगों तक ही पहुंच पाती है जो कैजुअल मेंबर हैं या फिर डकैतों के डर से उन तक जरूरत का सामान पहुंचाने जाते हैं। अब देखना यह है कि बगदरा घाटी में डकैती के बाद किसान का फिरौती के लिए अपहरण कर लगतार दो बड़ी वारदात कर पुलिस को खुली चुनौती देने वाले डकैत गिरोह को पुलिस सबक सिखा पाती है या फिर कुछ दिनों की सरगर्मी के बाद चुप बैठ जाएगी।

पुलिस का अनुभवहीन दबाव मप्र और उप्र के बियावान जंगलों में डकैतों के सुरक्षित ठिकाने जानने के लिए यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को जानना जरूरी है। शहरी हवा खा चुके अफसर दस्यु प्रभावित इलाकों में सहजता से काम नहीं कर पाते। यहां मुखबिर तंत्र बनाना भी अपने आप में एक चुनौती है। इसके लिए बड़े अफसरों का हाथ होने के साथ और ग्रामीणों का भरोसा जीतना पड़ेगा। मौजूदा अफसरों पर गौर करें तो मझगवां थाना प्रभारी ओपी सिंह के पास कुछ हद जंगल का अनुभव है। नयागांव थाना प्रभारी संतोष तिवारी, धारकुण्डी थाना प्रभारी पवन राज, बरौंधा थाना प्रभारी केएस टेकाम को उन्हीं रास्तों के बारे में मालुमात है जो पुराने स्टॉफ बताते रहे। घने जंगल में डकैतों के ठीहों पर यह अनुभवहीन थाना प्रभारी पहुंच ही नहीं सके। यही हाल जिले के उन तमाम आला पुलिस अफसरों का है जो दस्यु उन्मूलन के लिए काम कर रहे हैं। अपहरण की वारदात के बाद पहली बार पुलिस अफसरों ने जंगल के उन रास्तों पर कदम रखा है जो खतरे भरे हैं और डकैत इन्हीं रास्तों को सुरक्षित मानते हैं। अगर इस बार पुलिस चुनौती को स्वीकार करते हुए अपना दम लगाए तो उम्मीद है कि डकैत गिरोह को कमजोर किया जा सकता है।

पुलिस ने खोली पुरानी डायरी किसान के रिहा होने के बाद तराई के पुलिस अफसरों ने पुरानी डायरी खोल ली है। इसी के आधार पर पर नयागांव से धारकुण्ड के इलाके में रहने वाले उन तमाम लोगों पर सख्ती की जा रही है जो डकैतों की मदद करते आए हैं। सायबर टीम भी अपने टास्क पर लगी है। डकैतों की मांद में घुसने का प्रयास कर रही है लेकिन दस्यु दल ने अपना ठिकाना उप्र की ओर बना रखा है। हर बार की तरह इस बार भी उप्र पुलिस की मदद ली जा रही है। लेकिन मदद उतनी ही मिल रही जितना हर बार मिलती आई है। एक दर्जन से ज्यादा संदिग्धों को पुलिस ने बैठा लिया है। लवलेश की पत्नी भी पुलिस के राडार पर है।

"धारकुण्डी के हरसेड़ गगांव से डकैतों ने फिरौती के लिए अवधेश नारायण द्विवेदी का अपहरण कर लिया था। पुलिस ने काफी प्रयास किए, डकैतों पर दबाव बनाया। मानिकपुर के मारकुण्डी क्षेत्र में डकैतों ने छोड़ा है। अवधेश सकुशल हैं। पीडि़त ने किसी प्रकार की फिरौती देना नहीं बताया है।" - चंचल शेखर, आइजी, रीवा जोन

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