क्या है Daylight Saving Time? जिसे अपनाकर अमेरिका पूरी दुनिया से एक घंटा आगे हो जाएगा

What is Daylight Saving Time In Hindi: 15 मार्च को अमेरिका ने डे लाइट सेविंग टाइम के नाम से एक कानून पास किया है, जिसमे घडी के 24 घंटों में से एक घंटा बचाने और पूरी दुनिया से एक घंटा आगे होने जैसा कुछ सिस्टम है;

Update: 2022-03-21 07:18 GMT

What is Daylight Saving Time: इस भागदौड़ भरी जिंदगी में 24 घंटे भी कम पड़ जाते हैं. लेकिन अमेरिका ने इसका तोड़ निकाल लिया है, अब यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका (USA) कुछ ऐसा करने वाला है जिससे वो बाकी दुनिया के देशों से 1 घंटा आगे हो जाएगा, जाहिर है मन में सवाल उठता है कैसे? असल में 15 मार्च को अमेरिका ने एक न'ए कानून पर मुहर लगाई है जिसका नाम है 'Daylight Saving Time' मतलब 'दिन के समय की बचत' 

डे लाइट सेविंग टाइम क्या है  

Daylight Saving Time को शार्ट में DST कहते हैं. US ने मंगलवार को इसके लिए एक विशेष कानून बनाया है और DST को परमानेंट करने का प्रस्ताव पेश किया है. डे लाइट सेविंग टाइम के जरिए सर्दियों की शरुआत और अंत के साथ मैच होने वाले टाइम को आगे और पीछे रखने की Biannual Practice मतलब द्विवार्षिक प्रथा को खत्म करना है। 

यदि Daylight Saving Time कानून, सनशाइन प्रोटेक्शन एक्ट (Sunshine Protection Act), प्रतिनिधि सभा में भी पारित हो जाता है, और राष्ट्रपति जो बिडेन (Joe Biden) द्वारा कानून में हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो यह नवंबर 2023 में लागू होगा। हर नवंबर माह में घड़ियों को एक घंटे से मानक समय में बदलने की प्रथा बंद हो जाएगी और डीएसटी, जो अमेरिका में मार्च में शुरू होता है पूरे साल लागू रहेगा।

 2019 में, यूरोपीय संसद ने रिवाज को खत्म करने के लिए मतदान किया, लेकिन बाद में इसके प्रभाव में आने को रोक दिया, जो कि 2021 के लिए निर्धारित किया गया था। वर्तमान में डीएसटी का पालन लगभग 70 देशों में वर्ष में दो बार किया जाता है, अमेरिका चाहता है कि यह परमानेंट हो जाए. 

क्यों जरूरी है Daylight Saving Time 

 Day Light Saving Time समझना कोई बहुत दिमाग लगाने वाली चीज़ नहीं है, इसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ ऊर्जा की बचत करना है। अमेरिका में हर दो साल में बसंत ऋतू के पहले और पतझड़ के बाद घडी को एक घंटे आगे-पीछे करने का नियम है. ऐसा करने के पीछे अमेरिका का लॉजिक है कि इससे उन्हें लम्बा दिन मिलता है, इससे लोग अपने काम-काज एक घंटा पहले निपटा लेते हैं और दिन के उजाले का पूरा उपयोग हो जाता है। 

 डे लाइट सेविंग टाइम को सबसे पहले कनाडा में अपनाया गया था जहां पूरे देश के लोगों ने अपनी घड़ियों को एक घंटे पीछे कर दिया था, इसे सबसे पहले 1 जुलाई 1908 में प्रैक्टिस में लाया गया था. वहीं अप्रेल 1916 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया ने आर्टिफिशियल लाइट के उपयोग को कम करने के लिए DST को अमल में लाया था. और धीरे धीरे दुनिया के 70 सहित यूरोपीय यूनियन के 28 सदस्य देशों ने भी इसे अपनाना शुरू कर दिया। जिसके तहत 'मार्च महीने के अंतिम रविवार को घडी का एक घंटा पीछे कर दिया जाता है और अक्टूबर के अंतिम रविवार को वापस से समय सेट कर दिया जाता है। 'भारत की बात करें तो यहां ऐसा कुछ नहीं होता न कभी हुआ है'' 

ये कैसे होता है? इससे दिक्कत नहीं होती? 

इससे लोगों की नींद में बुरा असर पड़ता है, टाइम बदलने से दिन का रुटीन को एक घंटे आगे बढ़ सकता है लेकिन सोते वक़्त समय मनाये नहीं रखता। DST के कारण अमेरिका में एक घंटे की नींद की कमी के साथ महामारी के बाद एक्सीडेंट की दर 5.4% से 7.6% बढ़ जाती है। लोगों को ऐसा करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता क्योंकि इससे नींद ख़राब होती है 

नहीं समझ में आया? अब समझ लीजिये 

अमेरिका सहित दुनिया के 70 देशों में मार्च से लेकर नवंबर तक इस नियम का पालन किया जाता है, गर्मी के दिनों में समय को एक घंटा के लिए आगे बढ़ा दिया जाता है और सर्दी में घडी के कांटे को एक घंटे पीछे कर दिया जाता है। इससे दिन के समय की रौशनी का एक घंटे और इस्तेमाल किया जाता है. अमेरिका कहता है बार-बार समय एक घंटे क्यों बदलना है इसे परमानेंट ही कर दो बात खतम. 

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