विस चुनाव 2018: सियासी दलों के अध्यक्षों का रीवा में जमघट, जानिए कब आ रहें राहुल, शाह और मायावती..

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Update: 2021-02-16 06:00 GMT

रीवा। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की दुंदुभी बजने में कुछ ही दिन शेष हैं। दिसंबर तक चुनाव की संभावनाओं को देखते हुए सियासी दलों में चुनावी रंग परवान चढ़ चुका है। सत्तारूढ़ दल भाजपा, कांग्रेस व बसपा सहित अन्य दलों की प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। वैसे तो प्रदेश के कोने-कोने में चुनावी चर्चा तेज है, लेकिन विंध्य में कुछ अलग ही चुनावी बयार बह रही है।

प्रदेश के पूर्वोत्तर में स्थित विंध्य में तीनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों की पैनी नजर है। एक हफ्ते बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर रीवा आ रहे हैं। उसके ठीक एक हते बाद भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आएंगे। नवंबर या चुनाव दौरान बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के भी रीवा आने की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष तो चुनाव से पहले ही रीवा में रोड शो शुरू कर रहे हैं, जबकि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह विंध्य के कार्यकताओं का महासमेलन करेंगे।

सियासी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों की रीवा में बढ़ती धमक से यहां की राजनीतिक फिजा बदलेगी। प्रदेश की राजनीति में पिछले 15 सालों से भाजपा सत्तासीन तो कांग्रेस वनवास में है। भाजपा चौथी पारी के लिए तो कांग्रेस पुनर्वापसी के लिए राजनीति के सभी प्रयोगों को अपना कर सत्ता की सीढ़ी चढऩे को बेताव है। बसपा यहां अभी सरकार बनाने की हैसियत में तो नहीं लेकिन राष्ट्रीय पार्टी बने रहने के लिए कुछ सीटों में अपना प्रभाव बरकरार रखने के लिए कमर कस चुकी है। अन्य दल प्रत्याशी प्रभाव के कारण भले ही एक-दो सीटें जीतने में कामयाब हो जाएं, लेकिन उनका सत्ता की दौड़ दूर-दूर तक नहीं है।

यह अलग बात है कि कांग्रेस-भाजपा में दोनों के बहुमत में न आने पर बैशाखी का काम कर जाएं। देखा यह जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति में विंध्य को तीनों दल केंद्र बिंदु के रूप में मानते हैं। बसपा के लिए विंध्य महत्वपूर्ण है ही, योंकि सदन की सीधी चढऩे का मौका उसे विंध्य ने ही दिया है। अब भाजपा और कांग्रेस की विंध्य में पैनी नजर है। अधिकांश चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव दौरान ही विंध्य की ओर रुख करते थे, लेकिन इस बार अधिसूचना लागू होने के पहले ही चुनावी दौरा शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विंध्य में जैसी बयार बहती है, उसका असर महाकौशल व बुंदेलखंड में भी पड़ता है। शायद यही कारण है कि तीनों प्रमुख दलों की निगाह खासतौर से विंध्य में रहती है।


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