Trimbakeshwar Jyotirlinga: विश्व में कही नहीं है ऐसा विलक्षण शिव मंदिर, जहां पूजा एक देव की और आशीर्वाद त्रिदेवों का
Trimbakeshwar Shiva Temple: त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
Trimbakeshwar Shiva Temple, Trimbakeshwar Jyotirlinga: ऐसा बहुत कम सुनने को मिलता है कि एक देवता की पूजा की जाए और आशीर्वाद 3 देवताओं का मिले। लेकिन अपनी विलक्षणता के लिए विश्व भर में जाना जाने वाले भारतवर्ष में एक ऐसा विलक्षण शिव मंदिर विद्यमान है जहां पर भगवान शिव ल`(Lord Shiv) को जल अर्पित करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज के इस भागमभाग भरे जीवन में आज के लोगों को अवश्य ही इस स्थान पर जाना चाहिए। इस मंदिर के संबंध में और भी कई विलक्षण बातें आम चर्चा में हैं। तभी तो स्थानीय लोगों के साथ ही देश के तमाम श्रद्धालु यहां आस्था रखते हैं। यह स्थान महाराष्ट्र के नासिक शहर में विद्यमान है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) है।
त्रिदेव हैं मौजूद,
त्रिंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश शिवजी एक ही स्थान पर विराजमान है। यहां भगवान शिव को प्रधान देवता माना गया है।
बताया गया है कि त्रंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar Temple) के गर्भ गृह में जाकर देखने पर आंख के समान 1 इंच के तीन ज्योतिर्लिंग एक जगह दिखते हैं।
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रावण मास में पूजन करने से त्रिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा भारत में क्या विश्व में भी कहीं नहीं है।
मौजूद हैं गंगा
त्रिंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए बताया गया है कि यहां गौतम ऋषि की तपस्या से पवित्र गंगा नदी गोदावरी के रूप में अवतरित हुई थी। वहीं गंगा जी के आग्रह पर भगवान भोलेनाथ शिवजी लिंग रूप में विराजमान हुए।
मौजूद है पवित्र कुशावर्त
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पीछे कुशावर्त नाम का पवित्र कुंड है। कहा गया है कि जब मां गंगा भगवान शंकर की जटाओं से निकलकर धरातल पर आ रही थी। अपने तीव्र वेग की वजह से वह पाताल चली जाती थी। ऐसे में गौतम ऋषि अपने कुशा के सहारे उनके बेग को कम करते हुए धरती पर रोक लिया था।
कहा गया है जिस जगह पर गंगा जी गिरी थी और गौतम ऋषि ने वहां कुशा के द्वारा उन्हें रोका था। उस स्थान पर एक बड़ा गड्ढा हो गया। आज इसी स्थान को कुशावर्त (Kushavarta Tirth) के नाम से जाना जाता है।
यहां लगता कुम्भ मेला
बताया गया है कि जब बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं उस समय देश के प्रमुख स्थानों में से एक त्रंबकेश्वर निकुंभ पड़ता है। 12 वर्ष में पड़ने वाले इस कुंभ में कुशावर्त कुंड (Kushavarta Kund) में स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है।
कई जन्मों के पापों से मिलती है मुक्ति
कहा गया है कि त्रिंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन और कुशावर्त में स्नान करने से व्यक्ति पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्त हो जाता है।
होती है विशेष पूजा
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में कालसर्प दोष की पूजा की जाती है। साथ ही बताया गया है कि यहां त्रिपिंडी श्राद्ध तथा नारायण बलि का विशेष पूजा की जाती है। जो अन्य स्थानों में नही होती है। यहां इन तीनों पूजाओं का विशेष महत्व बताया गया है।
आवागमन की है बेहतर सुविधा
त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक शहर से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर है। नासिक पहुंचने के लिए देश ट्रेनों का आना जाना लगा रहता है। यहां पहुंचना बहुत सरल एवं सुगम है।
प्रशासन द्वारा त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंचने के लिए नासिक में मेला बस स्टैंड के नाम से एक स्थान निश्चित किया हुआ है। जहां पर महाराष्ट्र परिवहन की बसें लोगों को त्रंबकेश्वर तक पहुंच जाती हैं।