पृथ्वी पर आज भी जीवित हैं भगवान शिव के 2 अवतार, एक की होती है पूजा तो दूसरे को मिला है श्राप

भगवान भोलेनाथ शिव (Lord Bholenath Shiva) जी के कई अवतार हुए है। जिसमें दो अवतार आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं।

Update: 2022-02-27 04:57 GMT

MAHASHIVRATRI

भगवान भोलेनाथ शिव (Lord Bholenath Shiva) जी के कई अवतार हुए है। जिसमें दो अवतार आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। जिसमें एक अवतार की पूजा होती है। जगह-जगह उनकी मूर्ति स्थापित है तो वहीं दूसरे अवतार की पूजा नही होती। श्रापवस उस दूसरे अवतार को पृथ्वी पर भटकना पड़ रहा है। आइये जाने भगवान भोलेनाथ के उन दो अवतारों के बारे में विस्तार से।

कौन से हैं वह दो अवतार

पैराणिक मान्यताओं की बात करें तो उनसे पता चलता है कि भगवन भोलेनाथ सृष्टि के कल्याण के लिए समय-समय पर अवतार लिए। इन्ही अवतारों में से दो ऐसे अवतार हैं जो आज कलियुग के समय भी जीवित बताए जा रहे है। इसमें एक है हनुमान जी और दूसरे अश्वत्थामा। अब आप समझ ही गये होगे कि हनुमान जी आज हर जगह पूजा होती है। तो वहीं अश्वत्थामा जीवित होने के बाद भी भटक रहे हैं।

जाने हनुमान जी के सम्बंध में

शिवपुराण में कहा गया है कि हनुमान जी के जन्म होना सागर मंथन के समय ही निश्चित हो गया था। जब सागर मंथन के बाद अमृत निकला और दानव लेकर भागने लगे। तब श्री नारायण श्री विष्णु जी मोहनी का रूप बनाकर दानवों को भ्रमित किया। लेकिन इसी समय मोहनी रूप को देखकर शिवजी का वीर्यपात हो गया। जिसे सप्त ऋषियों ने एक पत्ते में रख लिया। समय आने पर सप्त ऋषियों ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कोनों में डालकर गर्भ स्थापित करवाया। और इसके बाद परमतेजस्वी भगवान श्री हनुमान का जन्म हुआ।

माता सीता ने दिया अमरत्व का वरदान

कहा जाता है कि माता सीता जब लंका में थी उस समय श्री हनुमान जी सागर लांग कर पहुंचे थे। उन्होने श्रीराम की अंगूठी लेजाकर सीता माता को दिया था। जिसके बाद माता सीता ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को अमर होने का आर्शीवाद दिया था।

अश्वत्थामा का जन्म

अश्वत्थामा के जन्म के सम्बंध में बताया जाता है कि इनके पिता महाभारत काल में पांडवों तथा कौरवों के गुरू दोणचार्य थे। जिन्होने महाभारत के युद्ध में विशेष भूमिका निभाई थी। कहा जाता है कि दोणाचार्य ने घोर तपस्या कर शिवजी से पुत्र के रूप में पाने का आशीर्वाद प्राप्त किया। जिसके बाद सवन्तिक रूद्र ने अपने अंश से अश्वत्थामा का जन्म हुआ।

श्री कृष्ण ने दिया था श्राप

महाभारत युद्ध के समय जब कौरवों की पराजय हो गई तो अश्वत्थामा ने रात को सोते समय पांडवो के पांचों पुत्रो को मार दिया। साथ ही उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। जिससे नाराज होकर भगवान श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम्हे चिरकाल तक पृथ्वी पर जीवित रहना होगा।

नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। 

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