महाशिवरात्रि का महत्व: रातभर रीढ़ को सीधा रख, साधना करने पर होगी अलौकिक शक्ति की अनुभूति

Significance of Mahashivratri: इस महारात्रि में ऊर्जा कुदरती रूप से ऊपर की और चढ़ती है

Update: 2022-03-01 08:18 GMT

Significance of Mahashivratri: आज महापर्व महाशिवरात्रि है. यह योग, साधना, अध्यात्म और धर्म के लिए सबसे बड़ी महारात्रि है. आप इसे दिव्य अँधेरे का त्यौहार कह सकते हैं. अगर धर्मग्रंथों लिखीं गईं कहानियों के पीछे विज्ञान को आप समझने की कोशिश करें तो शिवरात्रि का महत्त्व सिर्फ व्रत-कथा तक सीमित नहीं है, यह सिर्फ भगवान की उपासना करना मात्र नहीं है बल्कि खुद को अनंत ब्रम्हांड की अलौकिक शक्तियों से संपर्क बनाने की रात्रि है। 

हर चंद्रमास के चौदहवें दिन और अमावस्या के एक दिन पूर्व शिवरात्रि होती है. इस दिन इंसानी तत्रं में ऊर्जा कुदरती रूप से ऊपर की और बढ़ती है. हिन्दू कैलेंडर में आने वाली सभी शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि एक अलग महत्त्व है.

महाशिवरात्रि में गृह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार से अवस्थित होता है कि इंसान के अंदर की ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है, यह एक ऐसा दिन होता है, जब मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में यह संसार मदद करता है. इसी विशेष समय का उपयोग करके यह उत्सव मनाया जाता है, जो पूरी रात  चलता है. रातभर मनाए जाने  वाले इस उत्सव में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा मौका मिले। इस विवेश रात में साधना करना चाहिए और पूरी रीढ़ की हड्डी सीधा रखकर निरन्तर जागना चाहिए। 

शिवविवाह के अलावा इससे बड़ा महत्त्व है 

लोग शिवरात्रि को भगवान शिव के विवाह के रूप में मानते हैं, लेकिन साधकों के लिए यह वो समय है जब महादेव कैलाश पर्वत के साथ एकात्म हो गए थे. वे एक पर्वत की तरह स्थिर और निश्चल हो गए थे. योगिक परम्परा में शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता था.उन्हें आदिगुरु माना जाता था, पहले गुरु जिन्होंने ज्ञान की शुरुआत की. जब शिव ध्यान की अनेकों सहस्त्ब्दधियों से बाद एक दिन वह पूर्ण रूप से स्थिर हो गए थे वह दिन महाशिवरात्रि का था. उनके भीतर की सभी गतिविधियां शांत हो गई थीं. इसी लिए साधक महाशिवरात्रि को स्थिरता की रात्रि के रूप में मनाते हैं. 

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्त्व क्या है 

अगर हम शिव की कहानियों को पीछे छोड़कर उसका वैज्ञानिक और आद्यात्मिक महत्त्व के बारे में बात करें तभी हमें शिवरात्रि के असली महत्त्व का पता चलता है। बात सिर्फ शिवविवाह के उत्साह की नहीं है। इस दिन आध्यात्मिक साधक के लिए बहुत बड़ा अवसर होता है. वह खुद को ब्रम्हांड में चल रही गतिविधियों से खुदको जोड़ देता है।  

सद्गुरु कहते हैं - महाशिवरात्रि एक अवसर और संभावना है, जब आप स्वयं को, हर मनुष्य के भीतर बसी असीम रिक्तता के अनुभव से जोड़ सकते हैं, जो कि सारे सृजन का स्त्रोत है। एक ओर शिव संहारक कहलाते हैं और दूसरी ओर वे सबसे अधिक करुणामयी भी हैं। वे बहुत ही उदार दाता हैं। यौगिक गाथाओं में वे, अनेक स्थानों पर महाकरुणामयी के रूप में सामने आते हैं। उनकी करुणा के रूप विलक्षण और अद्भुत रहे हैं। इस प्रकार महाशिवरात्रि 2019 कुछ ग्रहण करने के लिए भी एक विशेष रात्रि है। यह हमारी इच्छा तथा आशीर्वाद है कि आप इस रात में कम से कम एक क्षण के लिए उस असीम विस्तार का अनुभव करें, जिसे हम शिव कहते हैं। यह केवल एक नींद से जागते रहने की रात भर न रह जाए, यह आपके लिए जागरण की रात्रि होनी चाहिए, चेतना व जागरूकता से भरी एक रात!

Tags:    

Similar News