सावन शिवरात्रि 23 जुलाई को: शुभ योग में करें भोलेनाथ का पूजन, मिलेगी कृपा

सावन की शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी. इस दिन रोहिणी नक्षत्र और वृद्धि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिससे भगवान शंकर की पूजा का विशेष फल मिलेगा.;

Update: 2025-07-20 14:43 GMT

सावन शिवरात्रि : इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन-अर्चन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं

सावन शिवरात्रि 23 जुलाई को: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में एक महाशिवरात्रि और 11 मासिक शिवरात्रि होती हैं. इन सभी शिवरात्रियों में सावन माह की शिवरात्रि को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है. इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई, मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव का विधि-विधान से पूजन-अर्चन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यह दिन शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें पड़ने वाली शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है.

सावन शिवरात्रि पर कौन सा नक्षत्र है?

ज्योतिषाचार्य रमेश शास्त्री के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. पंचांग के हिसाब से, सावन की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट से होगी और यह 24 जुलाई को रात 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के नियमों के अनुसार, सावन शिवरात्रि का व्रत 23 जुलाई को ही रखा जाएगा.

इस बार की सावन शिवरात्रि को और भी खास बनाने वाले कुछ अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं. उन्होंने बताया कि सावन के दूसरे सोमवार, जो कि 21 जुलाई को था, उस दिन रोहिणी नक्षत्र का शुभ योग था. हालांकि, शिवरात्रि 23 जुलाई को है. 23 जुलाई को भी रोहिणी नक्षत्र का योग रहेगा, जिसे ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में गोचर करेगा. इसके साथ ही, वृद्धि योग की शुभता भी भक्तों को प्राप्त होगी, जिससे किए गए शुभ कार्यों में वृद्धि होती है. इसके अलावा, कामिका एकादशी का शुभ समय भी रहेगा और सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग जैसे अत्यंत शुभ मुहूर्त भी प्राप्त होंगे, जो पूजा और व्रत के फल को कई गुना बढ़ा देंगे.

सावन माह की शिवरात्रि में पूजा की विधि: कैसे करें महादेव को प्रसन्न?

सावन शिवरात्रि पर पूजा कैसे करें? सावन की शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान से पूजा करना बहुत जरूरी है. यहां पूजा की सरल विधि बताई गई है:

  • व्रत का संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद हाथ में जल लेकर सावन शिवरात्रि व्रत का संकल्प लें और मन ही मन भगवान शिव से प्रार्थना करें.
  • शिवलिंग का अभिषेक: पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें. इसके बाद गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. अभिषेक करते समय "ॐ नम: शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें.
  • पुष्प और सामग्री अर्पित करें: शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, चंदन का लेप, फल और धूप-दीप अर्पित करें. शिवजी को ये सभी चीजें अत्यंत प्रिय हैं.
  • मंत्र जाप और ध्यान: भगवान शिव को समर्पित नम: शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. इस दौरान एकाग्र होकर भगवान शिव का ध्यान करें और अपनी मनोकामनाएं उनसे कहें.
  • रात्रि जागरण और पाठ: शिवरात्रि पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है. रात में शिव भजन गाएं, शिव स्तोत्र का पाठ करें, या शिव पुराण की कथा सुनें. इससे व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है. अगले दिन सुबह स्नान कर व्रत का पारण करें.

सावन शिवरात्रि का महत्व

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान भक्त विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. सावन शिवरात्रि का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह भगवान शिव के प्रिय महीने में आती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और विवाहित महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं. इसके अलावा, धन-धान्य की वृद्धि, संतान प्राप्ति और रोगों से मुक्ति के लिए भी यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है. भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं.

 

Tags:    

Similar News