Mahashivratri 2021 : मार्च माह में इस तारीख को है महाशिवरात्रि, जानिए शुभ एवं पूजन विधि

Mahashivratri 2021 : इस साल महाशिवरात्रि का पर्व मार्च माह की 11 तारीख को पड़ रहा हैं। हिन्दू धर्म में इस पर्व का बड़ा महत्व हैं। यह दिन पूर्णतः भगवान शिव का माना गया हैं। इस दिन शिव भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं

Update: 2021-02-26 21:48 GMT

Mahashivratri 2021 : इस साल महाशिवरात्रि का पर्व मार्च माह की 11 तारीख को पड़ रहा हैं। हिन्दू धर्म में इस पर्व का बड़ा महत्व हैं। यह दिन पूर्णतः भगवान शिव का माना गया हैं। इस दिन शिव भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, जलाभिषेक करते हैं। कीर्तन करते हैं। महाशिवरात्रि के दिन कई जगह मेले का आयोजन भी किया जाता हैं। हालांकि यह परम्परा काफी पुरानी हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव धरती पर भ्रमण करते हैं। इस दिन शिव आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती हैं। 

शुभ मुर्हूत

विद्वानों की माने तो महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 12 मार्च को 3 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। 

इस तिथि को होता है महाशिवरात्रि

पंचांगों की माने तो इस वर्ष महाशिवरिात्र 11 मार्च 2021 को मनाया जाएगा। यह पर्व फाल्गुन मास के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। भगवान भोलेनाथ को कई नामों से जाना जाता हैं जैसे आदिदेव महादेव, भोलेनाथ, श्रीकण्ठ, शूलपाणी, महेश्वर, शम्भू, शिव सहित कुल 108 नामों से कैलाशवासी को जाना जाता है। 

धरती पर करते हैं भ्रमण

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ धरती के भ्रमण पर निकलते हैं। इस दौरान उनके साथ माता पार्वती भी रहती हैं। चतुर्मास में वह धरती की बागडोर अपने हाथों में ले लेते और अपने भक्तों को विशेष फल प्रदान करते हैं।

पूजन विधि
महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने की मान्यता हैं। भोलेबाबा की विधानपूर्वक पूजा-पाठ करने के लिए भक्तों को सुगंधित पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, जौ की बालें, ईख का रस,  तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, आम्र मंजरी,  दही, शुद्ध देशी घी, शहद, शिव व माँ पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, सोना, चांदी, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, मलयागिरी, चंदन, पंच फल पंच मेवा, धूप, दीप, रूई, पंच रस, इत्र, गंध रोली, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन आदि सामग्री इकट्ठा करके मंत्रोच्चार के बीच पूजा-पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा वर देते हैं। 

 

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