Maha Shivratri 2022: इस मंदिर में छिपा है भोलेनाथ का त्रिशूल, इनके रहस्य जान हैरान रह जाएंगे

Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि का पर्व आज है. ऐसे में भगवान भोलेनाथ के दैवीय गुणों के बारे में, देश में मौजूद महादेव के अद्भुत और चमत्कारी प्रभाव देने वाले मंदिरो के बारे में चर्चा करना आवश्यक हो जाता है।

Update: 2022-03-01 03:26 GMT

Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि का पर्व आज है. ऐसे में भगवान भोलेनाथ के दैवीय गुणों के बारे में, देश में मौजूद महादेव के अद्भुत और चमत्कारी प्रभाव देने वाले मंदिरो के बारे में चर्चा करना आवश्यक हो जाता है। भगवान भोलेनाथ का प्रभाव अनादि काल से चला आ रहा है। त्रिनेत्र धारी भगवान शिव शंभू के संबंध में कहा गया है कि वह अवघड दानी है। भोलेनाथ को बहुत ही सरल तरीके से प्रश्न किया जा सकता है। आज हम भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिस के संबंध में कहा जाता है कि इस मंदिर में 24 द्वार हैं। साथ ही और भी कई रहस्य जुड़े हुए हैं।

कौन सा है वह मंदिर

जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के चमोली में भोलेनाथ का एक अद्भुत मंदिर है। इस मंदिर को गोपीनाथ मंदिर के रूप में जाना जाता है। कहा गया है कि यह मंदिर 24 दरवाजे वाला है। मंदिर में अद्भुत गुम्बद लगा हुआ है। कहते हैं कि भगवान शिव शंभू का त्रिशूल यहां विराजमान है।

साक्षात शिव है त्रिशूल

गोपीनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर का त्रिशूल बहुत अलौकिक है। त्रिशूल को आज तक कोई हिला भी नहीं सका है। त्रिशूल की लंबाई करीब 5 मीटर है। लोग इसे भगवान भोलेनाथ का साक्षात स्वरूप मानते हैं। मान्यता है कि मंदिर आने वाले भक्तों त्रिशूल का दर्शन अवश्य करते हैं। आज भी देश तथा विदेश से लोग इस त्रिशूल का दर्शन करने आते हैं।

पूर्ण होती है सभी मनोकामना

गोपीनाथ मंदिर के संबंध में कहा गया है कि जो भी है श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ भगवान भोलेनाथ की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि केवल मंदिर का दर्शन कर लेने से इंसान के हर जायज मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान भोलेनाथ अपने दर्शनार्थियों पर सदैव कृपा करते हैं।

नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। 

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