18 या 19 अगस्त जानिए कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? पूजा विधि, शुभ मुहूर्त भी जानें

Krishna Janmashtami 2022 Pooja Vidhi Aur Shubh Muhurat: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भरे भादव या कहें भाद्रपद के महीने में हुआ था।

Update: 2022-08-17 03:14 GMT

Krishna Janmashtami 2022 Kab Hai, Krishna Janmashtami Pooja Vidhi Aur Shubh Muhurat: भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भरे भादव या कहें भाद्रपद के महीने में हुआ था। कहते हैं जब रोहणी नक्षत्र हो, अष्टमी तिथि हो, कष्णपक्ष चल रहा हो तथा आधी रात या कहें मध्यरात्रि के समय तभी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। लेकिन इस बार भी पहले की तरह 2 दिन अष्टमी तिथि पड़ रही है। यह इस वर्ष का मामला नही हैं ज्यादातर ऐसा ही होता है। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण के भक्त परेशान हो जाते हैं कि आखिर किस दिन भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाय। लेकिन हमारे ज्योतिषाचार्य तथा पंचांग आदि के जानकारों द्वारा बताया जाता है कि किस दिन व्रत करना है। आइये हम भी जाने।

Krishna Janmashtami 2022 Kab Hai?

कृष्ण का जन्म कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में 18 और 19 अगस्त दोनों दिन अष्टमी तिथि है। कुछ लोग 18 अगस्त को तो कुछ लोग 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत पूजन करेंगे। 19 अगस्त को वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे।

उदयकाल है महत्वपूर्ण

वैष्णव संप्रदाय के लोग ज्यादातर त्यौहार या कहें कि सभी त्यौहार उदयकाल में मनाते हैं। ऐसे में उदयकाल की जन्माष्टमी 19 अगस्त को है। मतलब सूर्य के उदय होते समय अगर वह तिथि है तो उसे उदयकाल मानकर वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत करते हैं।

Dwarkadhish Mandir Mei Kab Hai Janmashtami

द्वारिकाधीश मंदिर में 19 को जन्माष्टमी

जानकारी के अनुसार 19 अगस्त को द्वारिकाधीश मंदिर, बांके बिहारी मंदिर और मथुरा के मंदिरों में 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। पंचांगो में बताए अनुसार अष्टमी तिथि 18 अगस्त 2022 को रात 9ः21 पर शुरू हो जाएगी। इसी दिन ध्रुव और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। अष्टमी तिथि का समापन 19 अगस्त को रात 10ः50 पर है। कुछ लोग मध्यरात्रि कॉल लेने के लिए 18 अगस्त को जन्म व्रत रखते हुए पूजन करेंगे।

Krishna Janmashtami 2022 Pooja Vidhi

पूजन विधि

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें। भगवान श्री कृष्ण का गंगाजल से स्नान करवाएं। नए पवित्र वस्त्र पहनाएं है। भगवान श्री कृष्ण को सर्वाधिक प्रिय बांसुरी अवश्य ले जाएं। भगवान श्री कृष्ण का सिंगार करते समय हुए मुकुट, वैजयंती माला, कुंडली, तुलसीदल जरुर चढ़ाएं। भगवान को पालने पर बिठाकर फूल माला से सजाकर पालना झुलाएं। भगवान को फल फूल मिष्ठान के साथ भोग लगाएं।

साथ ही बताया गया है कि इन्हें विधियों के साथ भगवान के जन्म के समय मतलब रात्रि के 12ः00 बजे जब भगवान का जन्म हुआ था उस काल में भगवान को जगाए। इन्हीं विधियों के द्वारा भगवान का पूजन श्रृंगार करें। भोग लगाकर आरती करें।

ऐसे करें जागरण

कई मंदिरों में तथा कई भक्तगण अपने घर में भी रात्रि जागरण करते हैं। रात में अगर जागरण करना है तो भगवान को पालने पर बिठाकर उनका पालना हिलाते हुए जागरण करें। भगवान के भजन और भगवान श्री कृष्ण के नाम का संकीर्तन जागरण के समय करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

आयोजित होते हैं कई कार्यक्रम

जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे देश में बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगह भगवान श्री कृष्ण को याद करते हुए मटकी फोड़ प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। लोगों द्वारा भगवान श्री कृष्ण को याद करते हुए रासलीला का आयोजन किया जाता है।

नोट- इस समाचार में दी गई जानकारी पंचांग तथा सोशल मीडिया तथा इंटरनेट के माध्यम से मिली जानकारी पर आधारित है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता। अधिक जानकारी के लिए अपने पुरोहित आदि से संपर्क करें।

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