Ganga Dussehra 2023: इस साल कब पड़ रहा है गंगा दशहरा? जानें पूजा विधि और महत्त्व के बारे में

Ganga Dussehra 2023 Date (गंगा दशहरा कब है?): गंगा नदी के प्रति आस्था रखने वालों के लिए गंगा दशहरा का पर्व बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है।

Update: 2023-05-16 10:42 GMT

Ganga Dussehra 2023 Date (गंगा दशहरा कब है?): गंगा नदी के प्रति आस्था रखने वालों के लिए गंगा दशहरा का पर्व बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। गंगा दशहरा के दिन गंगा के घाटों में गंगा की आरती उतारी जाती है। लोग विधि विधान से मां गंगा की पूजा करते हैं। गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। तब से लेकर आज तक मां गंगा को गंगा दशहरा के दिन को विशेष मानकर पूजा अर्चना की जाती है।

गंगा दशहरा 2023 कब है? (Ganga Dussehra 2023 Date)

गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान, पूजन तथा दान करने का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। इस वर्ष गंगा दशहरा 29 मई को पड़ रहा है।

कैसे मनाएं गंगा दशहरा / Ganga Dussehra Pooja Vidhi

गंगा दशहरा जेष्ठ मास में पड़ता है। गंगा दशहरा के दिन देश के प्रमुख गंगा नदी के किनारे स्थित स्थलों में विशेष पूजा आरती की जाती है। इसमें हरिद्वार वाराणसी प्रयागराज ऋषिकेश जैसे स्थान है। जहां आज से नहीं सदियों से गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा की जाती है।

घाटों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। ऐसा लगता है मानो कुंभ मेला का समय आ गया। कहा गया है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में डुबकी लगाने से 10 तरह के पाप मिट जाते हैं।

कहां से आई गंगा, क्या है इतिहास

गंगा जी के संबंध में बताया गया है कि भगवान श्री रामजी के पूर्व अयोध्या के राजा उनके पूर्वज राजा सगर हुआ करते थे। राजा सगर के 60 हजार पुत्र थे। वह अपने राज्य का विस्तार करने अश्वमेध यज्ञ शुरू किया। अश्वमेध का घोड़ा छोड़ा गया। लेकिन स्वर्ग में बैठे इंद्र इस घोड़े का अपहरण कर हम उन्हें महामुनी कपिल की कुटिया में लेजाकर बांध दिए।

राजा सगर के सभी पुत्र अश्वमेध के घोड़े ढूंढने के लिए निकल पड़े। काफी खोज के पश्चात पता चला कि घोड़ा महामुनी कपिल की कुटिया के पास बंधा हुआ है। राजा के सभी पुत्र महाममुनि की कुटिया के पास पहुंचे। घोड़े को वहां बांधा देखकर राजा के पुत्र क्रोधित हो गए और हल्ला मचाने लगे।

बताते हैं कि जिस समय राजा के सभी पुत्र महामुनी कपिल के आश्रम में पहुंचे उस समय महामुनी कपिल तपस्या में लीन थे। लेकिन राजा के पुत्रों द्वारा किए जा रहे उत्पाद से उनका ध्यान भंग हो गया और उनकी तपस्या भी भंग हो गई। ऐसे में महामुनी क्रोधित हुए और उन्होंने अपनी तपस्या के बल पर जैसे ही क्रोधित होकर राजा के पुत्रों की ओर दृष्टि डाली सभी जलकर राख के ढेर में तब्दील हो गए।

जब इस पूरी घटना का पता राजा सगर को चला वह विचलित हो उठे। उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों मोक्ष के लिए गरुण जी से उपाय पूछा। तो गरुड़ जी ने कहा कि केवल गंगा जी के आने से ही इनका उद्धार हो सकता है। इसके पश्चात राजा सगर ने घोर तपस्या की लेकिन वह मां गंगा को प्रसन्न नहीं कर सके। इसके पश्चात राजा सगर के पुत्र भगीरथ ने अपने कुल के उद्धार के लिए घोर तपस्या कर मा गंगा को धरती पर लाने मे सफल हो गए।

कहते हैं जिस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई उस दिन को गंगादशहरा कहां जाने लगा। आज भी गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लोगों की मान्यता है कि गंगा नदी में गंगा दशहरा के दिन स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 29 मई को गंगा दशहरा पड़ रहा है।

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