शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए करें र्सिफ एक छोटा सा उपाय, बरसेगा धन, नहीं होगा कष्ट...

कहा जाता है कि अगर न्याय के देवता शनिदेव अगर किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो रंक से राजा बना देते हैं। और अगर उनकी कुदृष्टि या महादशा हो तो राजा को भी रंक बना देते हैं। शनिदेव भगवान सूर्यदेव के पुत्र हैं। वहीं इनकी माता का नाम छाया है। अक्सर लोग शनिदेव का नाम सुनते ही घबराने लगते हैं लेकिन ऐसा नही है। अगर शनिदेव की कृपा किसी को प्राप्त करनी हो तो वह एक छोटा सा उपाय करे तो उसे कोई कष्ट नही होगा।

Update: 2021-04-02 08:32 GMT

कहा जाता है कि अगर न्याय के देवता शनिदेव अगर किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो रंक से राजा बना देते हैं। और अगर उनकी कुदृष्टि या महादशा हो तो राजा को भी रंक बना देते हैं। शनिदेव भगवान सूर्यदेव के पुत्र हैं। वहीं इनकी माता का नाम छाया है। अक्सर लोग शनिदेव का नाम सुनते ही घबराने लगते हैं लेकिन ऐसा नही है। अगर शनिदेव की कृपा किसी को प्राप्त करनी हो तो वह एक छोटा सा उपाय करे तो उसे कोई कष्ट नही होगा।

पीपल में जल चढाएं

माना जाता है कि सूर्योदय के पूर्व पीपल को जल देना शनि शांति के साथ कई तरह से उपयोगी है। कहा जाता है कि अगर सूर्याेदय के पूर्व कोई भी व्यक्ति पीपल पर जल चढाता है तेा उस पर शनि की महादशा का कोई प्रभाव नही पडता है। यह वरदान भगवान ब्रह्माजी ने दिये। भगवान शनिदेव उस व्वक्ति की रक्षा करते हैं। 

पिप्पलाद ने थी तपस्या

महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद ने एक बार ब्रह्मा जी की घोर दपस्या की और भगवान ब्रह्मा जी से वर मागा कि उसकी दृष्टि मात्र से किसी को भी जलाया जा सके। कहा जाता है कि ऐसा वर पाने के बाद पिप्पलाद ने भगवान शनि देव को बुलाया और अपने दृष्टि मात्र से उन्हे जलाने लगा। 

शनिदेव से नाराज था पिप्पलाद

शनिदेव की महादशा की वहज से ही दधीचि ने बज्र बनाने अपना शरीर दान किया और पत्नी सती हो गई और दधीचि पुत्र पिप्पलाद अनाथा हो गया था। वह शनि देव से नाराज था। वही पिप्पलाद पर भी शनि की महादशा थी। इस अवस्था को देखकर भगवान ब्रहृमाजी ने उसे रोका और फिर से वर मागने को कहा।

बच्चों में नही होता शनि की महादशा

जिस पर पिप्पलादि ने दो वर मागे जिसमें पहला वर यह रहा कि जन्म से 5 वर्ष की उम्र के बच्चांे की कुंडली मे शनि का कोई स्थान नही रहेगा और ना ही कोई प्रभाव। 

शनि की महादशा की स्थिति में बने हुए काम बिगडने लगते हैं। कई बार तो लोगों को अपने प्राण तक गावाने पड जाते हैं। इसलिए भगवान की मन लगाकर पूजा करनी चाहिए। 
 

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