Chaitra Mash Parve 2021 : इस तारीख को मनाया जाएगा हिन्दू नव वर्ष व गुड़ी पाड़वा, जानिए पूजा विधि एवं महत्व

Chaitra Mash Parve 2021 : चैत्र माह की शुरूआत हो चुकी हैं। हिन्दू पंचांगों की माने तो इस माह कई विशेष पर्व पड़ने वाले हैं। जिसमें चैत्र नवरात्रि, हिन्दू नव वर्ष, रामनवमी, एवं गुड़ी पड़वा शामिल हैं। रामनवमी को छोड़कर यह सभी त्यौहार 13 अप्रैल को मनाए जाएंगे।

Update: 2021-04-04 23:31 GMT

Chaitra Mash Parve 2021 : चैत्र माह की शुरूआत हो चुकी हैं। हिन्दू पंचांगों की माने तो इस माह कई विशेष पर्व पड़ने वाले हैं। जिसमें चैत्र नवरात्रि, हिन्दू नव वर्ष, रामनवमी, एवं गुड़ी पड़वा शामिल हैं। रामनवमी को छोड़कर यह सभी त्यौहार 13 अप्रैल को मनाए जाएंगे। महाराष्ट्र में हिन्दू नव वर्ष को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है।

यह चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन भगवान विष्णु एवं ब्रम्हा जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती हैं। इस दिन कई जगह अच्छे पकवान भी तैयार किए जाते हैं। हिन्दू नव वर्ष को कई जगह फसल दिवस के रूप में भी सेलीब्रेट किया जाता है। 

गुड़ी पड़वा का महत्व ( Gudi Padwa 2021)

पौराणिक कथाओं की माने तो हिन्दू नव वर्ष यानी कि गुड़ी पड़वा के ही दिन भगवान ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस दिन ब्रम्हा जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व हैं। मान्यता है कि गुड़ी पड़वा के दिन बुराईयों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृति आती है।

शुभ मुर्हूत

गुड़ी पड़वा तारीख -13 अप्रैल 2021
शुभ मुर्हूत- सोमवार 12 अप्रैल की सुबह 8 बजे से प्रतिपदा तिथि का आरंभ होगा जिसकी समाप्ति 13 अप्रैल 2021 को 10.16 पर होगी।
ऐसे करें पूजन
13 अप्रैल की सुबह स्नान करके सबसे पहले सूर्यदेव को स्नान कराएं। इसके बाद मुख्य द्वार को आम पत्तों से सजाएं। इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगाइ जाती और पुष्प, आम के पत्तों आदि से सजाया जाता है। फिर ब्रम्हा जी की पूजा की जाती है और गुड़ी फराहते हैं। गुड़ी को फराने के बाद विष्णू जी की विधि-पूर्वक पूजा की जाती है। 

ऐसे मनाते है गुड़ी पड़वा

जानकारों की माने तो महाराष्ट्र में इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग नए वस्त्र धारण करते हैं। इस दिन पूरन पोली एवं श्रीखण्ड तैयार किया जात है। मीठा चावल तैयार किया जाता है जिसे शक्कर भांत भी कहते हैं। सूर्योदय के सयम ब्रम्हा जी एवं विष्णू भगवान की पूजा की जाती है। 

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