शहडोल कलेक्टर पर MP हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन! बेगुनाह पर NSA लगाने पर 2 लाख रुपये का जुर्माना; DM की आदेश से एक साल तक जेल में रहा पीड़ित

जबलपुर हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कलेक्टर ने अपराधी के बजाय एक बेगुनाह युवक पर NSA लगा दिया था, जिससे युवक को एक साल जेल में रहना पड़ा।;

Update: 2025-11-04 18:21 GMT
  • जबलपुर हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया।
  • कलेक्टर ने अपराधी के बजाय बेगुनाह युवक सुशांत बैस के नाम पर NSA लगा दी थी।
  • पीड़ित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, तब जाकर सच सामने आया।
  • कोर्ट ने कहा – यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जांच के आदेश जारी।

जबलपुर (मध्यप्रदेश) – मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह पर गंभीर कार्रवाई करते हुए ₹2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने पाया कि कलेक्टर ने गलती से नहीं, बल्कि लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी से एक बेगुनाह युवक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लागू कर दिया था, जिसके कारण युवक को एक साल से ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा।

गलती से नहीं, लापरवाही से NSA लगाया गया

यह मामला शहडोल जिले के रहने वाले सुशांत बैस से जुड़ा है। दरअसल, एसपी शहडोल ने नीरजकांत द्विवेदी नामक अपराधी पर NSA लगाने की सिफारिश की थी, लेकिन कलेक्टर ने गलती से सुशांत बैस के नाम पर आदेश जारी कर दिया। पुलिस ने आदेश के अनुसार सुशांत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी ने भी दस्तावेजों की जांच तक नहीं की।

हाईकोर्ट ने कहा – मौलिक अधिकारों का हनन

सुशांत के पिता हीरा मणि बैस ने बेटे की रिहाई के लिए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह की बेंच ने पाया कि कलेक्टर की गलती से एक निर्दोष व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा गया। अदालत ने कहा कि यह मामला किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों के गंभीर उल्लंघन का है।

कलेक्टर पर ₹2 लाख का जुर्माना, जांच के आदेश

कोर्ट ने कलेक्टर डॉ. केदार सिंह पर ₹2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और यह राशि उन्हें अपनी जेब से पीड़ित को देनी होगी। साथ ही, अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पूरे मामले की विभागीय जांच की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस गलती के लिए अब सिर्फ क्लर्क को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

कोर्ट ने कहा – “बाबू ऑर्डर लिख रहे हैं, आप साइन कर देते हैं”

एडिशनल चीफ सेक्रटरी ने कोर्ट में कहा कि यह गलती उनके क्लर्क राकेश तिवारी से हुई थी। इस पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा – “यह तो और भी खतरनाक बात है कि बाबू आदेश लिख रहे हैं और अधिकारी बिना पढ़े साइन कर रहे हैं। अब जब मामला खुला, तो क्लर्क को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।”

हाईकोर्ट ने गृह विभाग से मांगी रिपोर्ट

कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे गृह विभाग के एसीएस और शहडोल कलेक्टर के खिलाफ जांच रिपोर्ट तैयार कर 25 नवंबर तक अदालत में पेश करें। साथ ही अदालत ने कहा कि अब किसी भी अधिकारी को नागरिकों के मौलिक अधिकारों से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

याचिकाकर्ता का पक्ष: “जानबूझकर फंसाया गया”

याचिकाकर्ता के वकील ब्रह्मेन्द्र प्रसाद पाठक ने कहा कि प्रशासन ने बिना जांच के सिर्फ बेगुनाह को फंसाने के इरादे से यह कार्रवाई की थी। उन्होंने बताया कि NSA की फाइल एक ही दिन में तैयार की गई और कलेक्टर ने बिना सत्यापन के साइन कर दिए। कोर्ट ने इस बात को गंभीर मानते हुए पूरे रिकॉर्ड की जांच का आदेश दिया।

Q1. हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर पर जुर्माना क्यों लगाया?

कलेक्टर ने एक अपराधी की जगह निर्दोष युवक पर NSA लागू कर दिया था, जिससे वह एक साल से अधिक जेल में रहा। इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए कोर्ट ने ₹2 लाख का जुर्माना लगाया।

Q2. बेगुनाह युवक का नाम क्या है?

बेगुनाह युवक का नाम सुशांत बैस है, जिसके पिता हीरा मणि बैस ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।

Q3. कोर्ट ने कलेक्टर को क्या आदेश दिया?

कोर्ट ने आदेश दिया कि कलेक्टर यह राशि अपनी जेब से दें और गृह विभाग इस मामले में विभागीय जांच करे।

Q4. क्या यह गलती क्लर्क की थी?

कोर्ट ने कहा कि क्लर्क पर दोष डालना पर्याप्त नहीं है। यह कलेक्टर की जिम्मेदारी थी कि वे हस्ताक्षर से पहले दस्तावेजों की जांच करें।

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