रीवा की इन कॉलोनियों पर चलने वाला हैं ननि का चाबुक, जानिए जहाँ आप निवासरत हैं वहां के हाल...

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Update: 2021-02-16 06:07 GMT

विकास शुल्क से करीब 20 करोड़ रुपए जुटाने की बनाई गई थी तैयारी, कोर्ट ने प्रक्रिया पर लगाई रोक, आर्किटेक्ट के भुगतान पर भी फंसेगा पेंच

रीवा। शहर में वर्षों पहले से अस्तित्व में आईं अवैध कालोनियों पर एक बार फिर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन कालोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया जिस नियम के तहत की जा रही थी, उसे कोर्ट ने शून्य घोषित कर दिया है। जिसकी वजह से अब तक की पूरी प्रक्रिया अमान्य कर दी गई है। कोर्ट का आदेश जारी होते ही नगर निगम अब इन पर कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हो गया है।

आधिकारिक तौर पर अभी निगम के पास इसका आदेश नहीं आया है लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों से चर्चा के बाद निगम प्रशासन अवैध कालोनियों पर एक्शन लेने की तैयारी में है। निगम आयुक्त ने भोपाल में अधिकारियों से चर्चा कर इस बारे में आगे की रणनीति बनाई है और कहा है कि जल्द ही नई कार्रवाई की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।

बताया गया है कि नगर पालिका नियम 1998 की धारा 15-ए के तहत रीवा शहर की १२२ अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसमें कुछ एक ही व्यक्ति की थी और अलग-अलग दर्ज हो गई थी, जिसकी वजह से १२० पर प्रक्रिया अपनाई गई। निगम की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दावा-आपत्तियां मंगाई गई थी। किसी भी कालोनियों के लिए कोई दावा-आपत्ति नहीं आई तो निगम ने विकास प्लान तैयार कर अंतिम नोटिफिकेशन के लिए भेजा था। इसी अवधि में अब प्रक्रिया पर रोक गई है, जिसकी वजह से पूर्व की तरह यह अवैध होंगी, निगम आयुक्त को शक्तियां मिली हैं, वह चाहें तो सीधे कार्रवाई भी कर सकते हैं। पहले दिन ही आयुक्त सभाजीत यादव ने अधिकारियों के साथ चर्चा कर इसकी पूरी प्रक्रिया की जानकारी मांगी है। कहा जा रहा है कि जल्द ही कार्रवाई की शुरुआत भी की जाएगी।

101 कालोनियों का तैयार है डेवलपमेंट प्लान अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया के नोडल अधिकारी एसके चतुर्वेदी ने बताया कि १०१ कालोनियों का सर्वे कर वहां के लिए डेवलपमेंट प्लान तैयार किया गया है। अब कोर्ट के निर्णय के बाद शासन के आदेश का इंतजार है। पूर्व में रीवा की अवैध कालोनियों से ७० रुपए प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब से विकास शुल्क वसूला जाना था लेकिन नियमों में संशोधन कर कहा गया कि कॉलोनी की संरचना के आधार पर विकास शुल्क तय होगा। इसमें शर्त रखी गई कि जिस कॉलोनी में 70 फीसदी से अधिक छोटे प्लाट होंगे वहां पर विकास शुल्क का 25 प्रतिशत और बड़े प्लाट जहां अधिक होंगे वहां पर 50 प्रतिशत राशि जमा कराई जाएगी। पहले चरण की कार्रवाई में निगम को २० करोड़ से अधिक की राशि मिलने का अनुमान था।

ऐसी कालोनियों को अवैध माना गया नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा अवैध कालोनियों को चिह्नित करने के लिए पूर्व में जारी की गई गाइड लाइन के तहत नगर तथा ग्राम निवेश, शहरी भूमि अधिकतम सीमा, भूमि का व्यपवर्तन, नजूल तथा नगर पालिका से वैध अनुमति या अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना निर्मित की गई है। विकास योजना मुख्यमार्ग, उद्यान, खेल के मैदान, सांस्कृतिक अस्तियों के क्षेत्र, नदी-तालाब, नाले तथा हरित क्षेत्र, आमोद-प्रमोद के क्षेत्र पर स्थित हो। बाह्य एवं आंतरिक विकास कार्य नहीं किया गया हो। साथ ही शासकीय भूमि तथा विकास प्राधिकरण की भूमि पर निर्मित कालोनियों को अवैध माना गया है।

नए विकास प्रारूप में कराने थे ये कार्य कालोनियों में नियमितीकरण के बाद सुविधाएं देने की तैयारी की गई थी। इसे दो भागों में बांटा गया था। आंतरिक विकास के तहत समतलीकरण, भूखंड, सड़कों एवं खुली भूमि का सीमांकन, प्रस्तावित मार्गों का निर्माण, पुल और पुलिया निर्माण, नाला-नाली, आंतरिक जलप्रदाय, सीवेज नेटवर्क, सेप्टिक टैंक, बिजली, उच्च स्तरीय टंकी, पौधरोपण आदि करना है। इसके अलावा बाह्य विकास में कालोनी का पहुंच मार्ग या चौड़ीकरण, कालोनी की सीमा तक बिजली लाइन, जलप्रदाय आदि की लाइन बिछाने का काम किया जाएगा।

अफसरों पर भी कार्रवाई की तैयारी अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा है कि उन अफसरों पर भी कार्रवाई की जाए जिन्होंने इनके लिए मौन स्वीकृति दे रखी थी। रीवा नगर निगम में कई अधिकारियों पर कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है। इसमें से कुछ बड़े अधिकारी जो अब निगम से बाहर पदस्थ हैं, उनकी भूमिका का भी परीक्षण कराया जाना है। बताया जा रहा है कि शिकायतों की अनदेखी करते हुए अवैध कालोनियों का विस्तार किया गया था, जो अब मुश्किलें खड़ी कर रहा है। कोर्ट ने निर्देश जारी किया है, इसका अध्ययन तो अभी नहीं किया है लेकिन अवैध कालोनियों के मामले में अब कार्रवाई भी शुरू करना है। इसकी तैयारी की जा रही है, कार्रवाई का स्वरूप क्या होगा, यह जल्द ही सामने आएगा।-सभाजीत यादव, आयुक्त नगर निगम

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