नहर में बह रहा था सांभर, वन विभाग की टीम ने बचाया

रीवा। जंगली क्षेत्रों में भी जल संकट गहराने लगा है। हालात यह हैं कि जंगलों से निकलने वाली नहरों पानी पीने के लिये आने वाले वन्य प्राणी नहर के तेज बहाव में बह रहे हैं। ऐसा ही मामला रविवार को उस वक्त देखने को मिला जब एक सांभर गोविंदगढ़ क्षेत्र के अमिलकी नहर के तेज बहाव में बह रहा था। नजारा देख खेतों में काम कर रहे श्रमिकों ने शोर शराबा मचाया जिसकी जानकारी वन अमले को दी गई। मौके पर पहुंचे वन अमले ने कड़ी मशक्कत के बाद नहर से सांभर को बाहर निकाला।

Update: 2021-03-08 00:16 GMT

रीवा। जंगली क्षेत्रों में भी जल संकट गहराने लगा है। हालात यह हैं कि जंगलों से निकलने वाली नहरों पानी पीने के लिये आने वाले वन्य प्राणी नहर के तेज बहाव में बह रहे हैं। ऐसा ही मामला रविवार को उस वक्त देखने को मिला जब एक सांभर गोविंदगढ़ क्षेत्र के अमिलकी नहर के तेज बहाव में बह रहा था। नजारा देख खेतों में काम कर रहे श्रमिकों ने शोर शराबा मचाया जिसकी जानकारी वन अमले को दी गई। मौके पर पहुंचे वन अमले ने कड़ी मशक्कत के बाद नहर से सांभर को बाहर निकाला।

इस संबंध में हासिल जानकारी के अनुसार रविवार एक सांभर जंगल से भटककर गांव की ओर आ गया। यह वन्य जीव  पूर्वा की मुख्य नहर में गिर गया। इस दौरान खेतों में कृषि कार्य कर रहे ग्रामीणों ने उसे देखा। जिसकी सूचना उन्होंने वन परिक्षेत्रधिकारी वीके अवस्थी को दी। जानकारी मिलते ही परिक्षेत्रधिकारी द्वारा अपने मातहत कर्मचारियों को भेजकर सूचना की पुष्टि करा कर उसे नहर से सुरक्षित निकाला गया और उसके बाद वन अमला के साथ गए पशु चिकित्सक से उपचार उपरांत वन अमला द्वारा उसे मड़वा के जंगल में वापस से छोड़ दिया गया।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीकर डिप्टी रेंजर नागेश्वर तिवारी, मुंशी दिलीप साकेत, विनय कुमार द्विवेदी, मुंशी हरीनाथ आदि शामिल रहे। गौरतलब है कि तराई क्षेत्रों में भी मार्च के महीने में ही जल संकट गहराना शुरू हो जाता है। जिसके चलते इन इलाकों में भी रहने वाले वन्य प्राणी नहरों एवं नदियों के किनारे पहुंचते हैं और नदी के तेज बहाव में बह जाते हैं।

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