अधर में मध्यप्रदेश के छात्रों का भविष्य, जानिए क्या है कारण...
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मध्य प्रदेश में 150 मेडिकल छात्रों के भविष्य पर मंडरा रहे संकट के मामलों को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। दरअसल एमसीआई ने भोपाल के एक कॉलेज पर शैक्षणिक सत्र 2017-2018 के लिए छात्रों के दाखिले पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इस संकट से निपटने के लिए एमसीआई से कोई हल निकालने के लिए कहा है। जस्टिस यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ ने स्थिति पर चिंता जताई और यह जानना चाहा कि इस मामले से निपटने का क्या तरीका हो सकता है।
कॉलेज की प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगाने से परेशान छात्र दरअसल सेंट्रल काउंसलिंग एजेंसी ने छात्रों को एक कॉलेज में सीट आवंटित की और वह कालेज बाद में संकट में आ गया। पीठ ने कहा कि क्या छात्रों को अब संकट में छोड़ा जा सकता है? मध्य प्रदेश सरकार के वकील अर्जुन गर्ग ने कहा कि राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2017-2018 के लिए कोई भी सीट खाली नहीं है।
एमसीआई को दो हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश इस पर पीठ ने कहा कि अगर यह जानकारी गलत निकली तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है। इसके बाद गर्ग ने जानकारी देने वाले अतिरिक्त मुख्य सचिव आरएस जुलानी का नाम कोर्ट को बताया। पीठ ने एमसीआई से मध्य प्रदेश और पड़ोसी राज्यों में शिक्षण सत्र 2017-2018 के लिए खाली पड़ी सीटों का ब्योरा मांगा है। एमसीआई को इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर अपना जवाब देना है। यह है मामला यह मामला आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का है। इसे केंद्र और एमसीआई ने शिक्षण सत्र 2014-2015 के लिए एमबीबीएस कोर्स के लिए छात्रों के दाखिले की अनुमति दी थी। हालांकि बाद में अगले सत्र 2015-2016 में एमसीआई ने कॉलेज का निरीक्षण किया और उसे नवीकरण अनुमति नहीं दी साथ ही उसे छात्रों की भर्ती करने पर रोक लगा दी।