देश में गहराया बिजली संकट, भीषण गर्मी के बीच 16 राज्यों में 10 घंटे की कटौती, रेलवे ने कैंसिल की 42 ट्रेनें

देश में बढ़ रहे बिजली का संकट के बीच रेलवे ने बड़ा कदम उठाया है।

Update: 2022-04-29 10:20 GMT

देश के 16 राज्यों में 10 घंटे बिजली की कटौती शुरू हो गई है। इसका कारण है कि लगातार बढ़ती भीषण गर्मी के चलते बिजली की मांग बढ़ रही है तो वही कोयले की कमी और पावर प्लांट बंद होने से यह समस्या बढ़ रही है। समय रहते कदम नही उठाया गया तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है, यानि की बिजली समस्या का सामना अब और ज्यादा लोगों को करना पड़ सकता है।

रेल मंत्रालय ने उठाया कदम

रेलवे मंत्रालय ने समस्या को देखते हुए अपनी 42 ट्रेनों को कैंसिल कर दिया है। जिससे पावर प्लांट्स तक कोयले की तेजी से सप्लाई हो सके और कोयला ले जा रही मालगाड़ियां समय पर निर्धारित स्टेशनों पर पहुंच सकें। इतना ही नही रेलवे अपने बेड़े में एक लाख और वैगन जोड़ने जा रहा है। इसके अलावा रेलवे माल को तेजी से पहुंचाने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स भी बना रहा है। बताया जाता है कि रेलवे प्रति दिन 415 कोल रैक्स की ढुलाई कर रहा है, ताकि कोयले की मौजूदा मांग को पूरा किया जा सके। इनमें से हर एक कोल रैक में 3500 टन कोयला होता है।

दिल्ली में भी असर

बिजली की कंमी का असर देश की राजधानी दिल्ली पर भी पड़ रहा है। यहां तक की अस्पताल और मैट्रो ट्रेनों को भी 24 घंटे बिजली आपूर्ति में दिल्ली सरकार ने असमर्थता जताई हैं। इस समस्या को लेकर सरकार ने एक बैठक करके केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा है। जिसमें राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की मांग की है।

बिजली कमी का यह है कारण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिजली कटौती का मुख्य कारण देश के एक चौथाई बिजली प्लांट्स का बंद होना है। इनमें से 50 प्रतिशत प्लांट कोयले की कमी के चलते बंद हैं। पावर सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि देश में बिजली उत्पादन की मौजूदा क्षमता 3.99 लाख मेगावॉट है। इसमें 1.10 लाख मेगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी है। शेष 2.89 लाख मेगावॉट में से 72,074 मेगावॉट क्षमता के प्लांट बंद हैं। इनमें से 38,826 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में उत्पादन हो सकता है, लेकिन ईंधन उपलब्ध नहीं है। 9,745 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में शेड्यूल्ड शटडाउन है। 23,503 मेगावॉट क्षमता के प्लांट अन्य कारणों से बंद पड़े हैं।

ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार देश के 18 पिटहेट प्लांट यानी ऐसे बिजलीघर, जो कोयला खदानों के मुहाने पर ही हैं, उनमें तय मानक का 78 प्रतिशत कोयला है, जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर में मानक का औसतन 25 प्रतिशत कोयला उपलब्ध है। यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक के मुताबिक 100 प्रतिशत होता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं।

खबरों के तहत देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25 प्रतिशत के बीच ही है। दरअसल कोयला प्लांट बिजली उत्पादन को कोयले के स्टॉक के मुताबिक शेड्यूल करते हैं। स्टॉक पूरा हो तो उत्पादन भी पूरा होता है।

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