मोहन भागवत का बड़ा बयान: 'अमीर और अमीर हो रहा, गरीब और गरीब', 4% आबादी 80% संसाधन उपयोग करती है; विकास अभी हर व्यक्ति की पहुंच से दूर

जयपुर में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया की 4% जनसंख्या 80% संसाधनों का उपयोग करती है। असंतुलित विकास, मानव क्षमता और समाजिक असमानता पर बड़ा बयान।;

Update: 2025-11-15 18:18 GMT
NEWS HIGHLIGHTS
  • मोहन भागवत ने कहा—दुनिया की 4% जनसंख्या 80% संसाधनों का उपयोग करती है।
  • 96% लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों से वंचित हैं।
  • असंतुलित विकास को बताया वैश्विक स्तर की सबसे बड़ी समस्या।
  • जयपुर में दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में रखी बड़ी बातें और चिंताएं।

दुनिया में संसाधनों की भारी असमानता: जयपुर में बोले मोहन भागवत | Global Resource Inequality Explained

जयपुर में आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने वैश्विक संसाधन असमानता पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की केवल 4% जनसंख्या कुल 80% संसाधनों का उपभोग कर रही है, जबकि शेष 96% लोग अब भी उन मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं जो विकास का आधार मानी जाती हैं।

उन्होंने कहा कि विकास तो हो रहा है, लेकिन वह सिर्फ उन लोगों तक पहुंच रहा है जिनके पास पहले से शक्ति, पैसा और साधन हैं। जो लोग विकास की मुख्यधारा से दूर हैं, उन्हीं से संसाधन लेकर अमीरों के लिए और सुविधाएं खड़ी की जा रही हैं। यह स्थिति न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में देखी जा रही है।

मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर, जीवनशैली पर चिंता | Human Immunity & Lifestyle Concerns

भागवत ने कहा कि आधुनिक सुविधाओं के बढ़ने के बावजूद मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता लगातार घट रही है। जो व्यक्ति पहले मौसम के बदलाव को सहजता से सह लेता था, आज वही नाजुक और संवेदनशील हो गया है। उन्होंने कहा कि बदलती जीवनशैली, खान-पान और भौतिक संसाधनों की दौड़ ने मनुष्य को अधिक निर्भर और कमजोर बना दिया है।

असंतुलित विकास: अमीर और अमीर, गरीब और गरीब | Growing Economic Divide

मोहन भागवत ने कहा कि आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या असंतुलित विकास है। जैसे-जैसे वैश्विक विकास बढ़ रहा है, अमीर और अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल भारत की है बल्कि पूरी दुनिया इसी समस्या से जूझ रही है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद की बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी वैश्विक स्तर पर तनाव और संघर्ष को बढ़ा रही है। इससे महायुद्ध जैसी परिस्थितियां भी जन्म ले सकती हैं।

एकात्म मानव दर्शन 60 साल बाद भी प्रासंगिक | Relevance of Integral Humanism

भागवत ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन कोई नया विचार नहीं है, लेकिन आज की दुनिया में यह पहले से अधिक प्रासंगिक हो गया है। व्यक्ति का विकास परिवार से, परिवार का समाज से और समाज का राष्ट्र से जुड़ा होता है। समाज के लिए जीना ही वास्तविक मानव जीवन का सार है।

गोविंददेवजी मंदिर में दर्शन, परंपरा का सम्मान | Visit to Govind Devji Temple

कार्यक्रम से पहले मोहन भागवत जयपुर के प्रतिष्ठित गोविंददेवजी मंदिर पहुंचे और ठाकुर श्री राधा–गोविंद देव जी महाराज की राजभोग झांकी में शामिल हुए। मंदिर प्रशासन ने उनका पारंपरिक स्वागत किया तथा उन्हें शॉल, प्रसाद और गोविंद धाम मंदिर का स्मृति स्वरूप भेंट किया


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FAQs

मोहन भागवत ने संसाधनों की असमानता पर क्या कहा?

उन्होंने कहा कि दुनिया की 4% जनसंख्या 80% संसाधनों का उपयोग करती है और 96% लोग मूल सुविधाओं से वंचित रहते हैं।

एकात्म मानव दर्शन क्या है?

एकात्म मानव दर्शन व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र के सामूहिक विकास का सिद्धांत है जिसे दीनदयाल उपाध्याय ने प्रस्तुत किया था।

क्या असंतुलित विकास भारत तक सीमित है?

भागवत के अनुसार यह समस्या पूरी दुनिया में दिखाई दे रही है, जहां अमीर और अमीर और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं।

भागवत जयपुर में किन कार्यक्रमों में शामिल हुए?

उन्होंने दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में हिस्सा लिया और सुबह गोविंददेवजी मंदिर में दर्शन भी किए।

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