60 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला: शिल्पा शेट्टी–राज कुंद्रा पर EOW की कड़ी जांच, लुकआउट सर्कुलर जारी

मुंबई EOW ने 60.48 करोड़ की कथित धोखाधड़ी मामले में जांच तेज की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बार-बार विदेश यात्राओं के चलते लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है।;

Update: 2025-09-06 05:28 GMT

Table of Contents

  1. मामले का सार
  2. लुकआउट सर्कुलर क्या और क्यों?
  3. शिकायत और आरोप क्या हैं?
  4. EOW की जांच में अब तक क्या?
  5. कानूनी प्रक्रिया: आगे क्या हो सकता है
  6. बार-बार विदेश यात्रा पर नियम समझें
  7. FAQ

60 करोड़ धोखाधड़ी केस: क्या है पूरा मामला

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक कथित धोखाधड़ी केस में बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा के खिलाफ जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। मामला लगभग ₹60.48 करोड़ की रकम से जुड़ा बताया जा रहा है। शुरुआती शिकायत जूहू थाने में दर्ज हुई थी और रकम 10 करोड़ से अधिक होने के कारण फाइल EOW को ट्रांसफर कर दी गई। फिलहाल एजेंसी दस्तावेज, बैंक एंट्री और कॉन्ट्रैक्ट्स जैसी चीज़ें खंगाल रही है। यह जांच आरोपों पर आधारित है, इसलिए फिलहाल किसी नतीजे पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगा।

लुकआउट सर्कुलर: क्यों जारी किया जाता है

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों की बार-बार विदेश यात्राओं को देखते हुए लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया गया है। LOC सामान्यतः तब लगाया जाता है जब किसी जांच में सहयोग सुनिश्चित करना हो और व्यक्ति बिना जानकारी विदेश न निकल जाए। इसका मतलब यह नहीं कि व्यक्ति दोषी है, बल्कि जांच एजेंसी यह चाहती है कि जरूरत पड़ने पर वे तुरंत उपलब्ध रहें। एयरपोर्ट अथॉरिटी और इमिग्रेशन को भी ऐसी सूचना भेजी जाती है ताकि यात्रा के समय पूछताछ की जा सके।

शिकायतकर्ता ने क्या आरोप लगाए

कारोबारी दीपक कोठारी ने आरोप लगाया कि 2015 से 2023 के बीच बिज़नेस एक्सपैंशन के लिए दी गई रकम का हिस्सा—कुल मिलाकर लगभग ₹60.48 करोड़—कथित तौर पर निजी खर्चों में इस्तेमाल किया गया। शिकायतकर्ता का कहना है कि तय उद्देश्यों के मुताबिक निवेश का इस्तेमाल नहीं हुआ और उन्हें वित्तीय नुकसान हुआ। दूसरी ओर, इस तरह के मामलों में आरोपित पक्ष आमतौर पर अपने दस्तावेज़ और स्पष्टीकरण पेश करता है; जांच में उन्हीं कागज़ों का मिलान होता है। अदालत में वही बात मानी जाती है जो सबूतों से साबित हो सके।

EOW की जांच: अब तक की स्थिति

EOW की टीम बैंक स्टेटमेंट, ट्रांज़ैक्शन ट्रेल, बोर्ड रेज़ॉल्यूशन और करारनामा जैसे पेपर्स की फॉरेंसिक जाँच कर रही है। साथ ही, फंड्स कहाँ से आए, कहाँ गए और किस उद्देश्य से खर्च हुए—इन सबका ट्रैक तैयार किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर गवाहों के बयान और ईमेल/मेसेज रिकॉर्ड भी देखे जाते हैं। अगर एजेंसी को prima facie मामला बनता दिखे, तो आगे समन, पूछताछ और चार्जशीट जैसी प्रक्रिया भी हो सकती है। यदि रिकॉर्ड्स में खर्च वैध निकला, तो मामला कमजोर भी पड़ सकता है। यानी दोनों ही तरफ़ की संभावनाएँ खुली हैं।

कानूनी तौर पर अगला कदम सबूतों की मज़बूती पर टिका होता है। पहले चरण में पूछताछ और दस्तावेज़-परीक्षण चलता है। इसके बाद आवश्यकता होने पर धारा-विशेष के तहत केस मजबूत कर चार्जशीट दायर की जाती है। कोर्ट में ट्रायल के दौरान दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क और सबूत पेश करते हैं। याद रहे, हर आरोपी को अपना पक्ष रखने और जमानत/कानूनी राहत लेने का अधिकार है। यह भी संभव है कि केस जांच स्तर पर ही सुलझ जाए या अदालत समझौते/मध्यस्थता जैसे विकल्पों पर विचार करे—यह पूरी तरह तथ्यों पर निर्भर है।

बार-बार विदेश यात्रा और कानून

अगर किसी व्यक्ति पर आर्थिक अपराध से जुड़े गंभीर आरोप हों और जांच प्रगति पर हो, तो एजेंसियाँ यात्रा पर नज़र रखती हैं। LOC होने पर एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन पूछताछ कर सकता है और जरूरत पड़े तो संबंधित एजेंसी से क्लीयरेंस मांगी जाती है। कई बार अदालत से अनुमति लेकर भी यात्रा की जा सकती है। इसलिए LOC का अर्थ यात्रा पर स्थायी पाबंदी नहीं, बल्कि “पहले बताएं, फिर जाएं” जैसा प्रोटोकॉल है।

FAQ: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q. क्या लुकआउट सर्कुलर लगने से व्यक्ति दोषी मान लिया जाता है?

A. नहीं। LOC केवल जांच के दौरान उपलब्धता सुनिश्चित करने का एक तरीका है।

Q. रकम 60.48 करोड़ बताई जा रही है—यह किस अवधि की है?

A. शिकायत के मुताबिक 2015 से 2023 के बीच बिज़नेस एक्सपैंशन के नाम पर दी गई रकम से जुड़े लेन-देन पर सवाल उठे हैं।

Q. केस EOW के पास क्यों गया?

A. रकम 10 करोड़ से ज़्यादा होने पर और आर्थिक अपराध की प्रकृति देखते हुए फाइल EOW को ट्रांसफर होती है।

Q. आगे क्या कदम हो सकते हैं?

A. आगे पूछताछ, दस्तावेज़ जाँच, समन, और ज़रूरत हुई तो चार्जशीट—सबूतों की स्थिति पर निर्भर करेगा।

Q. क्या दोनों पक्ष अदालत में अपना पक्ष रख पाएंगे?

A. हाँ, कानून के तहत हर पक्ष को अपना पक्ष रखने, जमानत और अन्य कानूनी राहत माँगने का अधिकार है।

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